Thursday ,21st November 2024

माँ का स्मारक तरस रहा है ,

माँ  का  स्मारक तरस रहा है , आज़ादी के मतवाले की माँ को भूली सरकार,.......... ---------------------------------------------------------------------------  हालही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्रांतिकारी शहीद चन्द्रशेखर तिवारी,, आजाद ,,की जन्मस्थली भाबरा में आकर 70 साल याद कर...

सुविधाओं की कमी से जूझती पुलिस मध्य प्रदेश के 111 थानों में टेलीफोन भी नहीं है

सुविधाओं की कमी से जूझती पुलिस मध्य प्रदेश के 111 थानों में टेलीफोन भी नहीं है सर्च स्टोरी न्यूज़   देश और प्रदेश में अपराध की बढ़ती खबरें अक्सर सुर्खियां बटोरती हैं. इनके लिए पुलिस को कटघरे में खड़ा किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश और प्रदेश में पुलिस की हालत कितनी दयन...

मोहन और नरेन्द्र यादों में भविष्य के लाइट हाउस बने रोशनी देते रहेंगे

अद्भुत विचारक राममनोहर लोहिया ने एक बात कही कि व्यक्ति का हो न हो, इतिहास का पुनर्जन्म होता है. आज होते तो उलटबांसी देखते. इतिहास का नहीं व्यक्तिवाचक नाम का पुनर्जन्म हुआ है. वह प्रतिइतिहास है. दो सत्ता शिखर पुरुष मोहन भागवत और नरेन्द्र मोदी के नामों के दोहराव के पहले मोहन हुए मोहनदास करमचंद गांधी....

भारत के डिजिटल विभाजन में महिलाएं पुरुषों से काफी पीछे

देश में स्टीम इंजन, एसेंबली लाइन और ऑटोमैटिक मशीनों के बाद इंडस्ट्री 4.0 का जमाना आ रहा है. उद्योग और काम का स्वरूप बदल रहा है और इसका असर महिलाओं पर भी हो रहा है. कितनी तैयार हैं भारत की महिलाएं इस बदलाव के लिए. सर्च स्टोरी मोबाइल के जरिये सुरक्षा से लेकर पेमेंट तक के काम हो रहे हैं लेकि...

इनके चूल्हे पर वोटों की आंच जलती रहे तो ये राम की मर्यादा को भूल सकते हैं

लोकतांत्रिक शासन की इस राजसी संस्कृति की क्षय हो. इस लोकतांत्रिक संस्कृति से लाख गुना बेहतर राजाशाही, बादशाही और किंगडम की वह संस्कृति थी, जिसमें शासन का शीर्ष व्यक्ति सेना के साथ सबसे आगे खड़े होकर हरावल दस्ते में सीना तानकर खड़ा होता था. ऐसे शासक न केवल स्वयं को बचाकर लाते थे, अपने हर सैनिक के प्राण...

धर्मनिरपेक्षता पर दुविधा या तुष्टिकरण

भारत की राजनीति के मौजूदा परिदृश्य में चारों ओर बीजेपी का वर्चस्व नजर आता है. लेकिन इसने बीजेपी के सामने कुछ मुश्किलें भी खड़ी कर दी हैं. ऐसा लगता है कि वो अपने ही बनाए बहुमतवाद के बोझ में दब रही है. इसका एक नजारा तब दिखा जब हिंदूवादी कही जाने वाली सरकार के महाधिवक्ता को संयुक्त राष्ट्र मानवा...

तीन साल से सिर्फ बांसुरी बज रही है.

सरकार और भाजपा तीन साल का जश्न मना रही है. जनता ने प्रचंड बहुमत दिया था, वह सब करने के लिए जिसका वादा किए थे . उस पर कुछ किया नहीं. लोगों को चुप कराने के लिए प्रचंड बहुमत को ब्रह्मास्त्र बना लिया. कोई उपलब्धि नहीं, लेकिन जश्न मनाएंगे ताकि असफलताओं को छिपाया जा सके और झूठ फैलाया जा सके.ऐसे में सुप्रस...

नचनिया बना स्किल इंडिया डेवलेपमेंट

  राजेंद्र सिंह जादौन आपने चचा के बड़े लड़के की बारात में मालवांचल आया हूं. अंगना में औरते लड़कियां विवाह का पारंपरिक गीत - गाली गा रही हैं - 'मांगटीका ना लिअईल ए तहार बहिन' .... मैं मुस्कुरा देता हूं, क्योंकि मांगटीका, हंसुली, बिछिया, हार सब रखा हुआ है. लेकिन गाली गाना एक परंपरा...

नये दलित उभार की दस्तक

भारत में दलितों के शोषण का सदियों का इतिहास है लेकिन उनके संघर्षों का भी उतना ही पुराना इतिहास है. हाल के सालों में दलितों के बीच एक नया उग्र उभार आया है. इसकी कमान गैर-राजनैतिक पढ़े-लिखे युवकों के हाथ में है. गाय से लेकर धर्म परिवर्तन तक, समाज में छुआछूत से लेकर शिक्षा में भेदभाव और उत्पीड़न तक-...

ये चार्ल्स दंपति के बच्चे तो हैं नहीं कि झुलाते हुए खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे

आज एक तस्वीर दिखी सोशल मीडिया पर. दो छोटे-छोटे बच्चे. देखने में ही गरीब लगते. यही कोई चार-पांच साल के. बदन पर कोई कपड़ा नहीं. एकदम नंगे. आंखों में आंसू और चेहरे पर डर. गले में दो हवाई चप्पल. सिर के बाल बेतरतीब तरीके से कुछ जगहों पर छिले हुए. इसी के साथ एक दूसरी तस्वीर भी एक और जगह दिखी. इसमें एक हाथ...

भारतीय नागरिक के नाते मेरा यह धर्म है कि में सरकारकी नाकामयाबियों पर प्रश्न करूं.

कश्मीर को लेकर अरुंधति के विचारों से ज्यादा महत्वपूर्ण विचार हैं मोदी सरकार के. अरुंधति और अरुंधति जैसे विचार रखने वालों के पास सिर्फ़ और सिर्फ़ विचार हैं, सत्ता का कण भी नहीं. इस समय केंद्र में जो सरकार है और उस सरकार और उस दल का जो विचार है, वह राष्ट्रवाद, भारतीयतावाद और उससे भी आगे है. हम भाजपा औ...

आखिर गांधीवाद को उनकी मातृ संस्था कांग्रेस ने ही तो श्मशान के बदले कब्रिस्तान कर दिया

ठर्र हिन्दूवादी दिमागी पेंच या गांठ की गुत्थी को केवल गांधी ने समझा था. उनके कारण दक्षिणपंथी विचारधारा चौके छक्के नहीं मार पाई. आखिर बाउंसर फेंकने का फैसला कर उनकी हत्या कर दी गई. सोचा गया उसके साथ उनकी विचारधारा का भी अंत हो जाए. इस अनुमान को लेकर हिन्दूवादी योजना गलत नहीं हुई. आखिर गांधीवाद को उन...

संघ की विचारधारा धर्म के क्षेत्र से अपने सियासी गंठजोड़ के साथ ही डुबकी लगाती रहती है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार पहले कांग्रेस के सदस्य हुए. उन्हें कांग्रेस की सर्वसमावेशी समझ से इत्तफाक नहीं रहा होगा. इसलिए उन्होंने नया संगठन बनाया. प्रचारित हुआ संघ सांस्कृतिक संगठन है. संस्थापक और नेता जानते रहे होंगे राजनीति वह जबड़ा है जिससे संस्कृति को भी चबाया जा सकता है. ध...

अच्छे दिन आएंगे का नारा किताबी राजनीतिज्ञ मनमोहन सिंह ने दिया

संघ के पाठयक्रम के रचयिताओं की दृष्टि में मझोले दर्जे का व्यावहारिक बुद्धिजीवी बड़े सिद्धांत प्रणेता से कहीं ज्यादा समाजोन्मुखी और कारगर होता है. गुजरात में दीनानाथ बतरा के द्वारा सिखाए गए बौद्धिक हिचकोलों को अंतरिक्ष की उड़ान के अभियान नवाचार की तरह शिक्षा जगत में घातक लेकिन आश्वस्त प्रयोग किए जा रह...

सरकार को इस बात का गर्व होता है कि वह शराबखोरी के धंधे को पनपा रही

सरकार को इस बात का गर्व होता है कि वह शराबखोरी के धंधे को पनपा रही                                                                 &nb...

फक्क्ड़ पत्रकार की पत्रकारिता ,कलम को सलाम

 फक्क्ड़ पत्रकार की पत्रकारिता ,कलम को सलाम  लेख - संजना प्रियानी पत्रकारिता सार्वजनिक दायित्व से परिपूर्ण एक प्रकृष्ट कला है जैसा कि कार्लांइन ने कहा है कि ‘महान है पत्रकारिता, लोकमानस को प्रभावित करने वाला होने के कारण पत्रकार क्या विश्व का शासक नहीं ? वास्...

जी हां, मै दुनिया भर का ठेका अपने सिर पर लेकर आपतक खबरे पहुंचाने वाला पत्रकार हूं...

जी हां, मै दुनिया भर का ठेका अपने सिर पर लेकर आपतक खबरे पहुंचाने वाला पत्रकार हूं...   लेख - राजेंद्र सिंह जादौन     पत्रकारिता और पत्रकार पर मेरी चर्चा मेरे पत्रकार मित्र " राकेश व्यास " से हुई राकेश एक सहज और सरल व्यक्तित्व के धनि व्यक्ति है पर जब मेरी चर्...

मध्यप्रदेश की पत्रकारिता में भी बसता है गुरु द्रोन का शिष्य अर्जुन

मध्यप्रदेश की पत्रकारिता में भी बसता है गुरु द्रोन का शिष्य अर्जुन   लेख - राजेंद्र सिंह जादौन   वैसे तो पत्रकारिता में कई गुणी जनो का सहयोग मुझे मिला और इसी लिए मेने भी ठान लिया की हम पत्रकार दिनभर बिना धुप ,बारिश ,ठण्ड देखे बस खबर के लिए निकल पड़ते है और खबर आप तक पहोचते है पर...

बुलंद हौसलों और अदम्य साहस से बनाई अपनी पहचान

महिला दिवस विशेष  बुलंद हौसलों और अदम्य साहस से बनाई अपनी पहचान     नारी के कई रूप हैं, नारी जननी है ,मार्गदर्शिका है, बेटी है बहन, है प्रेमिका है, पत्नी है और सबसे बढ़कर एक बहुत प्यारी दोस्त भी है। प्रकृति की एक बेहद ही खूबसूरत रचना नारी के बारे में सदियों से बहुत कुछ लिखा...

70 सालों में भारत की नारी को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सुनिश्चित मौलिक अवसर और अधिकार

समाजिक न्याय के पैमाने पर आखिर कहाँ मिले है आज़ादी के 70 सालों में भारत की नारी को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सुनिश्चित मौलिक अवसर और अधिकार - क्रन्तिकारी *********************** जिस भारत में भारतीय संस्कृति के अनुसार नारी को देबतायों द्वारा पूजनीय बताया गया है .और नारी के सहयोग के बिना इंसान की...

कट्टर पूँजी बाद की रक्षा के लिए मोदी ने उज्जवल भविष्य और सुरक्षा के सपने दिखाकर हासिल की है सत्ता -

भारत देश में आज़ादी से पूर्व लिए गये दृढ़संकल्प से पथभ्र्ष्ट होने का दुष्यपरिणाम प्रत्येक समाज और देश झेलने पर है मजबूर -- *********************** कट्टर पूँजी बाद की रक्षा के लिए मोदी ने उज्जवल  भविष्य और सुरक्षा के सपने दिखाकर हासिल की है सत्ता -​ *********************** जिस व्यक्ति ,संगठन औ...

समृद्धि या फिर समस्याओं और जरूरतों के आभाव में मरने का है आधार

समृद्धि या फिर समस्याओं और जरूरतों के आभाव में मरने का है आधार    2014 से पूर्व बीजेपी जब सत्ता से बाहर थी तब कांग्रेस द्वारा आधार कार्ड बनबाने के चलते देश की मेहनतकश 90% जनता के मौलिक अवसर और अधिकार खतरे में थे इसको आधार बनाकर बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट तक का सहारा लिया है और 2014 में...

मध्य प्रदेश की 90% कमेरा बर्ग की भरोशा और अरमानों की देवी का साथ सामूहिक बलात्कार

मध्य प्रदेश की 90% कमेरा बर्ग की भरोशा और अरमानों की देवी का साथ सामूहिक बलात्कार    लेख - गौरव सिंह कुशवहा  - क्रन्तिकारी      प्रत्येक व्यक्ति ,संगठन और राजनैतिक दल के नेतत्व बाली सरकार अपनी चेतना और चरित्र के ही अनुसार आचरण को अंज़ाम देता है .बीजेपी शुद्ध भ्र्ष...

मध्य प्रदेश के मुख्य मन्त्री शिवराज ने थमाया किसानों और बेरोज़गारों को कर्जमाफी और रोज़गार का लॉलीपॉप-

मध्य प्रदेश के मुख्य मन्त्री शिवराज ने थमाया किसानों और बेरोज़गारों को कर्जमाफी और रोज़गार का लॉलीपॉप- मध्य प्रदेश में कर्जमाफी और स्वामी रंगनाधन आयोग की सभी शर्तो की माँग लेकर आन्दोलन कर रहे किसानों को हक़ ,हकूक माँगने पर पुलिस की गोली से मौत देने बाले मध्य प्रदेश के मुख्य मन्त्री शिवराज सिंह चौह...

यौन सुख पर अपना दावा ठोंकने वाली : लस्ट स्टोरीज़

यौन सुख पर अपना दावा ठोंकने वाली : लस्ट स्टोरीज़ लोकप्रिय नारीवादी लेखिका सिल्विया प्लाथ ने लिखा है – If they substituted the word ‘Lust’ for ‘Love’ is the popular songs it would come nearer the truth इसका अर्थ है कि यदि लोकप्रिय गीतों में लव की जगह लस्...

दिग्विजय कहना ही काफ़ी है...

                                                           दिग्विजय कहना ही काफ़ी है...   रिज़वान अहमद सिद्दीक़ी लेखक डिजियाना मीडि...

सावधान भोपाल, दिल्ली के नक्शेकदम पर !

सावधान भोपाल, दिल्ली के नक्शेकदम पर ! डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल   हमारे विकास का पैमाना क्या होना चाहिए ? रोटी  ,कपड़ा ,मकान ,नौकरी  बढ़िया हेमामालिनी जैसी चिकनी सड़कें ,गगनचुम्बी बिल्डिंग्स , ओवर ब्रिज ,स्मार्ट सिटी आदि आदि .इससे क्या होता हैं ?इससे हमारी प्रतिष्ठा बढ़...

संत हिरदाराम नगर में कांग्रेस के सत्ते ?

झोला छाप ख़बरी  संत हिरदाराम नगर में कांग्रेस के सत्ते ? संतनगर - मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और भोपाल से सटा उपनगर बैरागढ़ जहाँ हाला की वर्तमान में 1  से लेकर वार्ड 6 तक के वार्ड आते है जिसमे वर्तमान में 5 वार्ड में भाजपा के पार्षद है और एक वार्ड में कांग्रेस का परचम है। हालाकी अ...

अजीब देश है चाइना टच फोन , टच वाला टीवी , टच वाली घड़ी , अब टच वाली बीमारी भी बना दी ?

यह हंसी ही हमारी ताकत है. ताकत, हर संकट से निपटने और आगे बढ़ने की. इसलिए कोरोना के दौर में ठहाके बिखरने वाले भी कोरोना योद्धा हैं.   लॉकडाउन ने हमें खुद के बारे में और अपनों के बारे में सोचने का मौका दिया है. साथ ही उसने हंसी की दुनिया को भी काफी कुछ दिया है. कोरोना महामारी के बीच जब सा...

स्त्रियों के खिलाफ यौन हिंसा का वातावरण हमसब के परवरिश से ही शुरू हो जाता है

स्त्रियों के खिलाफ यौन हिंसा का वातावरण हमसब के परवरिश से ही शुरू हो जाता  है .   बलात्कार/ यौन हिंसा सनी लियोन के विज्ञापनों से नहीं होते हैं , स्त्रियों के खिलाफ यौन हिंसा का वातावरण हमसब के परवरिश से ही शुरू हो जाता  है, जब बच्चे के पौरुष को पोसा जाता है और स्त्रियों की देह &...

मजबूरी किसी बंद दरवाजे के पीछे कपड़े उतारने को मजबूर करती है ?

  कभी  नौकरी के झूठे वादे, तो कभी प्यार का झांसा, पति का धोखा और कई बार खुद उनकी मजबूरी किसी बंद दरवाजे के पीछे कपड़े उतारने को मजबूर करती है ? झोला छाप ख़बरी की कलम से (पहचान छुपाने के लिए उनका नाम बदला गया है) उस सेक्स वर्कर की जुबानी जब मेने सुनी उसकी मज़बूरी की कहानी तब पता च...

एक था टाईगर , टाईगर ज़िंदा है ये सब पुराने टाईटल है अब है भोपाल पुलिस के तीन टाईगर ।

एक था टाईगर , टाईगर ज़िंदा है ये सब पुराने टाईटल है अब है भोपाल पुलिस के तीन टाईगर । झोला छाप ख़बरी की कलम से भोपाल - अपने अजय देवगन की फिल्म सिंघम जरूर देखि होगी और उसमे पुलिस  के एक किरदार से वकीप भी होंगे लेकिन हम ना तो सिंघम फिल्म के किरदार की बात कर रहे है नहीं सलमान की फिल्म के टाईटल...

मध्यप्रदेश और देश में ये केसा रामराज्य फिर ज़िंदा हुई बंधुआ मज़दूरों की लाशें

मध्यप्रदेश की स्थापना 64 वर्ष और देश की आजादी के 74  के बाद भी प्रदेश में बंधुआ मजदूरी एक कड़वा सच है मध्यप्रदेश ने एक नवंबर २०१९ में अपना 64 वा स्थापना दिवस मनाया और आगामी एक नवम्बर को अपना 65 वा स्थापना दिवस 2020  में मानाने वाला प्रदेश होगा जहा एक तरफ देश को आज़ादी मिले 74 वर्ष हल ही...

नर्मदा का सीना चीरते बंदूक धारी बाहुबली ?

नर्मदा का सीना चीरते बंदूक धारी बाहुबली? होशंगाबाद ,हरदा,सीहोर,देवास जिले में लगातार नर्मदा को चीर कर रेत का अवैध खनन किया जा रहा है माफ़िया का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि हर रास्ते पर इनके मुखबिर इन्हें तत्काल सूचना प्रदान करते है । आप जैसे ही अवैध खनन क्षेत्र के ज़ीरो पॉइंट में प्रवेश करते है तो आ...

कब बड़े होंगे ये गोद लिए गॉव ?

कब बड़े होंगे ये गोद लिए गॉव ? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सांसद आदर्श ग्राम योजना मुहिम की तर्ज पर मध्यप्रदेश सरकार ने पिछड़े गांवों की तरक्की के लिए एक शानदार ढांचा तैयार किया था इसके तहत प्रदेश के सभी प्राइवेट एवं सरकारी कॉलेज और विश्वविद्यालय अपने कैंपस के पास बसे गांवों को गोद लेकर उनके विका...

*बिना दांत के रिटायर्ड मेन्ट की उम्र के करीब नेता जी की सुरक्षा में खड़ा जवान ?*

बिना दांत के रिटायर्ड मेन्ट की उम्र के करीब नेता जी की सुरक्षा में खड़ा जवान ? लोग पुलिस को लाख गालियां देते ,रिश्वत खोर कहते ओर भी बहौत कुछ लेकिन श्रीमान जी एक कहावत है एक गंदी मछली पूरा तालाब गंदा कर देती है यही हाल इस विभाग का है । पाप और रिश्वत की कमाई से कोई भी अपना परिवार चलना पसंद नही...

बेरोजगारों को सरकार का एक औऱ लॉलीपॉप स्टार्टअप गरीब से कोसो दूर?

झोला छाप ख़बरी बेरोजगारों को सरकार का एक औऱ लॉलीपॉप स्टार्टअप गरीब से कोसो दूर? केंद्र सरकार हो मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार लगातार बेरोजगारों को रोजगार के अवसर प्रदान करने स्वरोजगार की बात करती है । मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना हो या मुद्रा लोन योजना लेक़िन सरकार के सरकारी आंकड़े सब नम्बर वन होते ह...

हाँ ये वही आदमी है जिसे आप पत्रकार कहते है ?

हाँ ये वही आदमी है जिसे आप पत्रकार कहते है ? आदमी जो लिखता है, महीने-दर-महीने, हफ्ते-दर-हफ्ते, दिन-रात लोगो को समझता है गों के विचारों को शक्लो-सूरत देता है, दरअसल वही आदमी है जो किसी अन्य व्यक्ति की बनिस्पत, लोगों के व्यक्तित्व या सिफत को तय करता है और साथ-साथ यह भी, कि वे किस तरह के निजाम के...

मध्यप्रदेश राज्य को अन्ना हजारे जैसे ‘एंटी-करप्शन मूवमेंट की जरूरत है?

मध्यप्रदेश राज्य को अन्ना हजारे जैसे ‘एंटी-करप्शन मूवमेंट की जरूरत है?   साल 2011 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली में ‘एंटी-करप्शन मूवमेंट’ की शुरुआत कर एक पहल जरुर की थी, लेकिन शानदार शुरुआत के बाद वह मूवमेंट भी राजनीति का शिकार हो गई। उसके बाद से ऐसा कोई आ...

मोदी भक्ति और भाजपा भजन में मग्न समाज ट्रांसजेंडर पर्सन्स बिल 2016 को दिखता ठेंगा ?

किन्नरों को तीसरे लिंग के रूप में पहचान तो मिली लेकिन अभी तक वो अपने अधिकारों से कोसो दूर है आज भी सरकारे हो या समाज सिर्फ महिला और पुरुष की बाते होती है यहाँ तीसरे लिंग को कागज़ो पर कही नहीं गिना जाता है चुनाव में भी आरक्षण सिर्फ महिला सीट और पुरुष सीट का होता है तीसरे लिंग का नहीं ठीक इसी तरह केंद्...

लिबाज़ औऱ सफेदी देखकर तजुर्बे का अंकल करे बुढ़ापे का नही?

दाढ़ी सफेद देख कर लोग अब मुझे बुढ़ा समझने लगे है अरे जनाब ये मेहनत और तजुर्बे की सफेदी है अभी तो अपनी उम्र जवान हुई है । कम उम्र में तजुर्बा ढेर सारा औऱ ठोकरे बहौत खाई है इस लिए आपकी नज़र में हम बूढ़े हो गए है।   किसी की हालत और कपड़ो से उसकी पहचान करना छोड़ दो यहाँ फ़क़ीर भी किराये की बीएमडब्ल...

एक झुका हुआ और बिका हुआ पत्रकार सिर्फ सिक्के बटोर सकता है ?

कुछ दशकों में देश की मीडिया को सिर्फ मुनाफे से मतलब रहा है और सभी ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में अपनी भूमिका त्याग दी है। ऐसी स्थिति में सराहना तो दूर की बात है, उल्टे अच्छी रिपोर्टिंग को जानबूझ कर सेंसर कर दिया जाता है. व्यावसायिकता के लिबास को बनाए रखते हुए संपादक विभिन्न हितों को संतुल...

सरकार की आशा का जीवन अब भी बेहाल ?

आशा अपने नाम के अनुरूप देश और प्रदेश के गांवों में स्वास्थ्य सेवा के लिये लोगों की उम्मीद बन गई हैं। लेकिन वे मानदेय, काम की गारंटी और खुद के स्वास्थ्य के मामले में बेहाल हैं। कंधे पर झोला और हाथ में रजिस्टर लिए आशा कार्यकर्ता आज देश और प्रदेश के गांव गांव में नजर आती हैं. एक्रेडिटेड सोशल हेल्थ एक्ट...

दो ग़ज़ ज़मीन औऱ लावारिसों के क़फ़न के लिए लड़ता राधेश्याम ?

लेख -राजेंद्र सिंह जादौन  9893894536  वैसे तो हर इंसान अपना जीवन सुखी रखने और अपनी पुश्तो को सुखी जीवन जीने धन दौलत ज़मीन सब कमाने में जीवन भर लगा रहता है । 80 साल का राधेश्याम अपनी इस उम्र में भी किसी युवा के जोश से कम नही पड़ता औऱ दिनरात लावारिसों के कफ़न-दफन की जुगाड़ में लगा रहता...

सुविधाओं की कमी से जूझती पुलिस की पीड़ा सुनने वाला कोई राजनितिक दाल नहीं ?

  देश और प्रदेश में अपराध की बढ़ती खबरें अक्सर सुर्खियां बटोरती हैं. इनके लिए पुलिस को कटघरे में खड़ा किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश और प्रदेश में पुलिस की हालत कितनी दयनीय है? सौ साल से लंबे अरसे से पुलिस सुधारों पर चलने वाली बहस भी अब तक परवान नहीं चढ़ सकी है. सुप्रीम कोर्ट क...

शिवराज सरकार पर हावी अफसर शाही आत्महत्या करने पर मजबूर म.प्र पुलिस के ट्रेड आरक्षक

भाजपा के वरिष्ठ नेता नड्डा जी का मध्यप्रदेश आगमन अभी कुछ ही दिन पूर्व हुआ था जिसमे उन्होंने कहा था कि सरकार पर अफसरशाही ज्यादा हावी है । अब ऐसे में इसका परिणाम  कही भाजपा को निगम चुनाव औऱ पंचायत चुनाव में न भुगतान पड़े वर्ना विधानसभा चुनाव में जो परिणाम आयगे वो सब खतरनाक होंगे । ऐसा इस लिए बोल र...

मध्य प्रदेश पुलिस में पनपता भ्रष्टचार औऱ कर्जे में डूबी सरकार ?

मध्य प्रदेश पुलिस वैसे तो देश मे नम्बर वन पुलिस है लेकिन अधिकारियों ,नेताओ की चाकरी में राज्य सेवा के जवान और अला अधिकारी सरकार को करोड़ों का चुना लगा रहा है मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारियों के बंगले पर लगे हुए कर्मचारी ट्रेड आरक्षक जोकि मध्य प्रदेश सरकार से आरक्षक से लेकर एएसआई स्तर तक के है (इनमें&...

क्या महिला पुलिस कर्मी ख़ुद सुरक्षित है पुलिस विभाग में ?

संविधान बनने से पहले स्त्रियों का कोई अधिकार नहीं था वो भारतीय रूड़ी वादी परम्परा का शिकार थी औऱ मनुस्मृति के अनुसार बचपन में पिता के अंडर, जवानी में पति की दासी और बुढ़ापे मे बेटे की कृपा पर निर्भर रहती थी। संविधान मे इनको बराबरी का दर्जा दिया। संपत्ति का अधिकार, नौकरी में बराबरी का अधिकार औऱ मानसिक...

मुख्यमंत्री जी आपसे मिलने महीनों से कतार में है पीड़ित, इन्हें समय कब मिलेगा आपसे मिलने का ?

मध्यप्रदेश में लगातार 18 साल से भी अधिक समय से  शिवराज सिंह मध्यप्रदेश के मुखिया के पद पर आसीन है । गरीब जनता, पीड़ित कर्मचारियों ,भांजे भांजीयो के मामा उनका दुःख दर्द मंचो से ही बाटते नज़र आते है पर व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री के पास इन्ही के लिए टाईम नही है ?   उद्योगपति, धन्ना सेठ...

जाँच एजेंसियो की मदद से विपक्ष को कमजोर करती सत्ता ?

देश के दस प्रमुख विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए सरकार विपक्ष के खिलाफ एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है' पत्र में कहा गया है, &...

एक ईमानदार पत्रकार फटेहाल क्यों ?

एक पत्रकार जब कलम उठाता है तो बहुत से विचारों से निकलता हुआ उसका मन उनसे भर जाता है और फिर जाकर के किसी भाव को व्यक्त करने के लिए वो शब्दरूपी सागर में गोते लगा कर कीमती शब्दों का निर्माण करता है जो वाक्य बनते हैं I किसी भी स्थिति को दर्शाने के लिए पत्रकार वाक्यों का निर्माण करता है जिनसे वो सभी पाठक...

टोपी पहनकर टोपी पहनाती वर्तमान राजनीति ?

*टोपी पहनकर टोपी पहनाती वर्तमान राजनीति ? *राजेन्द्र सिंह जादौन*  (लेखक ,विचारक, पत्रकार) आज देश मे राजनीति का स्वरूप बदलगाय है । राजनीति में नेताओ के बदलते रूप भी देखने को मिलजाते है । यानी जैसी स्थिति होती है नेता अपने को वैसे ही प्रचारित करने लगते है । इसे अगर व्याख्या कर कहाँ जाए...

वायनाड में प्रियंका को लाने के निहितार्थ

  सुरेश हिंदुस्तानी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट से इस्तीफ़ा देकर उपचुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया है। अब राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से ही सांसद रहेंगे। इसके पीछे का कारण यही माना जा रहा है कि रायबरेली सीट गांधी परिवार के ज्यादा करीब है। राहुल गांधी क...

ना रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी!

  राजेंद्र शर्मा के तीन लघु व्यंग्य                         1. पर इस्तीफा कभी नहीं यह तो विरोधियों की घनघोर टाइप की ज्यादती है। पहले इसकी रट लगा रखी थी कि नीट परीक्षा में गड़बड़–घोटाले के लिए नैतिक जिम्मेदारी लो। शि...

शाश्वत सतर्कता की आवश्यकता

(आलेख : मैथ्यू जॉन) एक दशक पहले, हम नींद में ही पकड़े गए और इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, “खतरनाक जुड़वाँ” ने हमारी आज़ादी छीन ली। फिर अचानक और तमाम मुश्किलों -- विरोधियों को परेशान करने वाली शिकारी एजेंसियाँ, पूरी तरह से समझौता करने वाला भारतीय चुनाव आयोग (इसीआई), सत्ताधारी पार्टी...

इमरजेंसी : घोषित और अघोषित

(आलेख : राजेंद्र शर्मा)   इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि अठारहवीं लोकसभा के जिस पहले सत्र की शुरूआत, सत्ता पक्ष द्वारा पचासवीं सालगिरह के नाम पर (जबकि गणित के हिसाब से यह 49वीं सालगिरह ही थी), श्रीमती इंदिरा गांधी की 1975 की 25-26 जून की मध्यरात्रि की आंतरिक इमरजेंसी की घोषणा को जी भरक...

अप्रासंगिक होती प्रतियोगी परीक्षाएं और ढहती शिक्षा प्रणाली

(आलेख : संजय पराते) नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनएटी) की निष्पक्ष तरीके से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को आयोजित कर पाने की असफलता ने न केवल इसमें घुसे भ्रष्टाचार को उजागर किया है, बल्कि हमारी समूची शिक्षा प्रणाली के ढहने की ओर भी इशारा किया है ; जिसे नई शिक्षा नीति से सबको संस्कारित करने और कानून के...

नान बायोलॉजिकल जी का पेड़ अभियान

(व्यंग्य : विष्णु नागर)  नान बायोलॉजिकल जी पिछले दस साल में लाखों पेड़ों की बलि लेने के बाद अब 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान लेकर आए हैं। फिर भी पेड़ तो कटेंगे ही और लाखों में ही कटेंगे। अभी दिल्ली में ही सर्वोच्च स्तर पर पेड़ कटाई का एक दिलचस्प मामला सामने आया। दिल्ली के संरक्षित...

आफतकाल लाने वालों के बीते आपातकाल पर बरसते घड़ियाली आंसू

(आलेख : बादल सरोज) नयी संसद की शुरुआत की रस्म से पहले ही मोदी और उनके कुनबे ने 49 साल पहले लगी इमरजेंसी को लेकर तूमार-सा खड़ा करना शुरू कर दिया। संसद भवन के परिसर में पुनर्नियुक्त प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार पहुँचने पर खुद मोदी इसकी कहानी सुनाने लगे, उनके बाकी नेता उनके सुर में सुर मिलाने लगे...

धर्मनिरपेक्षता पर संकट : भारतीय मुसलमानों के लिए चुनाव के बाद की वास्तविकताएँ

(आलेख : नदीम खान)   भारतीय मुसलमानों ने 18वीं लोकसभा के चुनावों में विपक्षी दलों या इंडिया ब्लॉक के लिए काफ़ी समर्थन दिखाया। इस समर्थन ने चरम हिंदुत्व दल को 240 सीटों पर रोकने में अहम भूमिका निभाई, जो सरकार बनाने के लिए ज़रूरी 272 सीटों से कम है। नतीजतन, भाजपा को अब एनडीए सहयोगियों पर निर्भ...

इतिहास के पुनर्लेखन की कोशिश में भाजपा : आरएसएस ने अंबेडकर को तुच्छ बताया था और विवेकानंद ने कट्टरता को

(आलेख : जॉन ब्रिटास, अंग्रेजी से अनुवाद : संजय पराते)  मोदी और उनकी टीम एक ऐसी विरासत को हथियाने के खेल में लगी हुई है, जिस पर उनका कोई दावा नहीं है। धार्मिक और जातीय राष्ट्रवादी एक ही पैटर्न दोहराते हैं : अपने पूर्वजों के इर्द-गिर्द एक आभामंडल बनाने के लिए एक काल्पनिक अतीत का आविष्कार करना,...

अबकी बार चार सौ उस पार!

राजेंद्र शर्मा   देखा, मोदी जी ने गलत नहीं कहा था। अब की बार‚ चार सौ पार! देख लीजिए‚ हो रहा है न इंग्लैंड में चार सौ पार। हिन्दुस्तान में न सही‚ इंग्लैंड में ही सही‚ मोदी जी का कहा सच तो साबित हो रहा है ; हिन्दुस्तानी कनेक्शन वाले ऋषि सुनक का न सही‚ लेबर पार्...

हिंदू खतरे में हैं !

राजेंद्र शर्मा  अब सेकुलर वाले क्या कहेंगे? क्या हिंदू अब भी खतरे में नहीं है? क्या हिंदुओं के खतरे में होने बात सिर्फ अफवाह है, जो हिंदुओं के खतरे में होने की दुकान चलाने वालों ने फैलायी है? अगर हिंदुओं के खतरे में होने की बात कोरी गप्प है, तो वह क्या है जो हाथरस में भोले बाबा के चक्कर में...

टप-टप, टपा-टप!

राजेंद्र शर्मा  भारत जानना चाहता है कि आखिर देश में ये हो क्या रहा है? अव्वल तो नाशुक्री पब्लिक ने चुनाव में ही भांजी मार दी। न पांच किलो मुफ्त राशन का ख्याल किया, न उज्ज्वला वाले सिलेंडर का। न पांच सौ रुपए महीने वाली किसान सम्मान निधि का ख्याल किया, न किसी पेंशन-वेंशन का। और बाकी करोड़ों को...

दूसरो की रोशनी चुराकर चमकने की निर्लज्ज चाहतें

(आलेख : बादल सरोज) अभी तक देशों के अपने राष्ट्रीय पशु, पक्षी, पेड़, पर्वत, झंडे और दीगर प्रतीक चिन्ह होने के रिवाज प्रचलन में हुआ करते थे । मोदी राज में इनमें खूब इजाफे हुए हैं, कई-कई नयी चीजें जुडी हैं। इन्हीं में से एक है राष्ट्रीय विवाह, जो मार्च से शुरू हुआ है और अभी तक है कि चल ही रहा है। इसक...

महामानव जी, देश को थोड़ा तो बख्श दो!

(व्यंग्य : विष्णु नागर) महामानव जी, देश की और हम-सब की, आपसे जितनी तरह से और भी जितनी बार ऐसी-तैसी हो सके, करना ; बस एक काम करना, 'विकसित भारत' बनाने का संकल्प तज देना। भारत को 'वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर' देना हमेशा के लिए भूल जाना। मैं देश का दो कौड़ी का नागरिक, जिसने कभी...

उत्तरप्रदेश चुनाव के नतीजे और राष्ट्रीय विपक्ष के लिए संदेश

(आलेख : संजय पराते) 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले, मतदाताओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर काफी बहस हुई थी। व्यापक रूप से यह माना जाता था कि राम मंदिर के उद्घाटन का मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। आम धारणा यह भी थी कि भाजपा की संगठनात्मक ताकत, असीमित धन और जमीनी स्तर पर सूक्ष्म प्रबंधन अजेय साबि...

हिंदू पानी, मुसलमान पानी!

राजेंद्र शर्मा  देखा, देखा, सेकुलर वालों का चंटपना देखा। मोदी जी, योगी जी कुछ भी करें, कितना ही शुद्धता-पवित्रता का ख्याल करें, ये पट्ठे हर चीज को घुमा देते हैं और उसमें सेकुलर-कम्युनल वाला एंगल घुसा देते हैं। अब बताइए, योगी जी की पुलिस ने मुजफ्फरनगर जिले में जो आर्डर निकाला था कि ठेले-खो...

मोदी-3 में ये क्या हो रहा है?

कोई बताएगा कि आखिर ये हो क्या रहा है? कहां तो मोदी 3.0 का शोर था। पहले की तरह शपथ ग्रहण थे। पहले की तरह का ही मंत्रिमंडल था। पहले की तरह मंत्रिपदों का वितरण था। दोनों सदनों में पहले वाले ही सभापति थे। पहले की तरह विदेश यात्राओं में झप्पियां वगैरह थीं। बस जरा मोदी जी का दिन का पोशाक बदलने का औसत कुछ...

राम नाम पर लूट है

  कौन जानता था कि ये राम विरोधी इतने गिर जाएंगे। बताइए, पहले मोदी जी का विरोध करते-करते, राम का विरोध करने लगे। पर अब तो ये राम तो राम, रामकृपा का भी विरोध करने तक चले गए हैं। कहते हैं कि राम मंदिर बनने से पहले, राम की नगरी में जमीनों की खरीद-बिक्री में जो करोड़ों-अरबों रुपया बनाया गया है, व...

पब्लिक पगला गयी है!

ये पब्लिक सच्ची में ही पगला गयी है क्या? बताइए, मोदी जी ने कितने अरमानों से 2047 तक विकसित भारत बनाने का प्रोग्राम बनाया था। चार सौ पार का टार्गेट बनाया था। पर पब्लिक ने क्या किया? मोदी जी की पार्टी को न तो जीतों में छोड़ा और न साफ हराया ; बेचारों को दो सौ चालीस पर ही अटका दिया। वह तो कह लो कि ऐसे व...

आपातकाल : घोषित और अघोषित के बीच

(आलेख : मज़्कूर आलम) आह! एक दिन पहले देश आपातकाल की घोषणा के पचासवें साल में प्रवेश कर गया। 26 जून 1975 की सुबह देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो से यह घोषणा की थी कि राष्ट्र पर आंतरिक अशांति का ख़तरा है ; इसी आधार पर राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल लगाया है।...

हिंदू बहुसंख्यकवाद के ख़तरों और चुनौतियों की शिनाख्त़ करती एक ज़रूरी किताब

(आलेख : संजीव कुमार) ज्यादा दिन नहीं हुए, 'द स्क्रॉल' में एक दिलचस्प लेख पढ़ा था — Civil Society Emerges as Quiet but Formidable Challenger to Modi Govt in the 2024 Elections. लेख की मुख्य स्थापना यह थी कि भाजपा अगर इस चुनाव में हारती है, तो यह मुख्यतः नागरिक समाज की कोशिशों की वजह स...

एक पौधा मां के लिए और पूरा जंगल 'अब्बा' के नाम! -- जय श्रीराम-जय श्रीराम!!

(आलेख : संजय पराते) यह हमारे समय का प्रहसन ही है कि एक ओर मोदी सरकार 'जय श्रीराम' के कानफाड़ू शोर के साथ भाजपा प्रायोजित 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान चला रही है, वही दूसरी ओर हसदेव के जंगल को अडानी के नाम करने की तैयारी कर रही है। केते एक्सटेंशन के नाम से अडानी को तीसरा कोयला ब्लॉक...

भारत एक कांवड़िया प्रधान देश है

राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य   भारत एक कांवड़िया प्रधान देश है। वो जमाने कब के लद गए, जब भारत एक कृषि प्रधान देश हुआ करता था। तब हम एक पिछड़ा हुआ देश थे। तब तो मोदी जी भी नहीं आए थे। कंगना जी की बात मानें, तो भारत को आजादी तक नहीं मिली थी। पर अब नहीं। अब आजादी भी आ चुकी है, मोदी जी भी आ चुके...

राजनीति तो करने दो यारो!

  इन विपक्ष वालों की चले, तो ये तो पीएम जी को पब्लिक के सामने अपने मन की बात भी नहीं करने देंगे। मन की बात भी सिर्फ मोदी जी के स्पेशल रेडियो प्रोग्राम वाली नहीं। कहते हैं कि उसे तो लोगों ने वैसे भी सुनना-सुनाना बंद कर दिया है। नहीं, ऐसा नहीं है कि बेचारे भगवाइयों को जबरन पकड़-पकड़कर, बैठाकर...

महिला हो, जानती नहीं हो!

सच ही कहा नीतीश जी और आपकी पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री लल्लन सिंह जी ने और क्या ही संयोग है कि दोनों ने एक ही दिन, लगभग एक-सी बात अलग-अलग शब्दों में अलग-अलग महिलाओं के लिए कहकर उन्हें 'सम्मान' दिया! एक ही दिन, एक ही पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के नेत्र खुले, ज्ञान का विस्फोट हुआ।...

मच्छर पुराण

मच्छर पुराण यह तब की बात है, जब चुनाव हो रहे थे। उस मौसम में मच्छर गरीब से गरीब को भी नहीं काटते थे, मगर मच्छर सुरक्षा के तमाम घेरों को तोड़कर रात भर फलांने जी को अवश्य काटते थे। आश्चर्य कि उनके नौकर-चाकरों की लंबी-चौड़ी फौज में से किसी एक को भी नहीं काटते थे। फलांने जी से उन्हें इतनी जबरदस्त...

कांवड़िये : चारा भी, शिकार भी, हथियार में बदलते औजार भी

(आलेख : बादल सरोज) दिल्ली की ओर जाती सड़कें हैरान हैं, दिल्ली से हरिद्वार के सभी राजमार्गों पर कोहराम है, रोज उनसे गुजरने वाले यात्री और उनके आसपास रहने वाले नागरिक परेशान हैं। कहीं उत्पात है, कहीं हुड़दंग है, पूरे रास्तों में दहशत है। कांवड़ यात्रा ने सब कुछ अस्तव्यस्त करके रखा हुआ है। इन पंक्तियों...

अडानीपरस्ती : इतना ज्ञान कहां से लाते हो माई-बाप?

(टिप्पणी : संजय पराते) सरकार अब माई-बाप है। वह कानून बनाती है, ताकि आम जनता इसके दायरे में रहे। लेकिन इस कानून को मानना या न मानना, उसकी मर्जी! इन कानूनों में भी इतने चोर दरवाजे जरूर रखे जाते हैं कि समाज का वह प्रभुत्वशाली वर्ग इसका आसानी से उल्लंघन कर सके, जिसके सहारे ये सरकार टिकी होती है। कॉर्...

गणतंत्र के अमृत काल की उपलब्धि : बदलना एक 'अधिकार संपन्न नागरिक' का ‘लाथार्थी प्रजा' में!

(आलेख : सुभाष गाताडे) महाराष्ट्र और झारखंड राज्य के चुनावों का ऐलान हो चुका है। दोनों राज्यों में अगले माह के अंत तक नई सरकार का गठन होगा। वैसे इस ऐलान के ऐन पहले एक कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार द्वारा महाराष्ट्र सरकार को भेजी गई लीगल नोटिस चर्चा का विषय बनी है।¹ इस नोटिस का फोकस महाराष्ट्र सरकार...

न्याय की गांन्धारी की आँखों से पट्टी का हटना सुखद

 राकेश अचल कहते हैं की जो होता है सो अच्छा ही होता है।  भारत में न्यायपालिका का प्रतीक चिन्ह आँखों पर पट्टी बंधे हाथ में तलवार लिए एक स्त्री का चित्र था ।  इसे न्याय की देवी कहा और माना जाता है ,क्योंकि न्याय देने का काम शायद देवता नहीं कर पाते हैं। न्याय की देवी की आँखों पर पट्टी...

भागवत की शताब्दी कथा : खतरा, खतरा, खतरा!!!

(आलेख : राजेंद्र शर्मा) इस दशहरे से आरएसएस का शताब्दी वर्ष शुरू हो गया। इस मौके पर, आरएसएस के वर्तमान सरसंघचालक, मोहन भागवत के संबोधन से बहुत से लोगों ने अगर, शताब्दी पार के आने वाले वर्षों में आरएसएस की दशा-दिशा के बारे कुछ नया सुनने की उम्मीद लगा रखी थी, तो उन्हें जरूर निराशा हुई होगी। वैसे आ...

व्हाइट हाउस में जचकी उधर और सोहर का शोर इधर

(आलेख : बादल सरोज) इस बार 5 नवम्बर को सभी को चौंकाते हुए, जो आदमी,  अमरीका के राष्ट्रपति का चुनाव जीता है, यह निर्लज्ज नस्लवादी, अंग्रेजी में बोले तो रेसिस्ट बन्दा है और जैसा कि नियम है, इस तरह के लोग विकृत – परवर्ट - और हर मामले में हर तरह से भ्रष्ट – करप्ट -  होते हैं, य...

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