सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए सर्च स्टोरी समाचार देश का सबसे ज्यादा पढ़ा व देखा जाने वाला हिन्दी न्यूज पोर्टल एवं वेब न्यूज़ चैनल बना हुआ है। मजबूत नेटवर्क से देश में अपनी पहचान बनाने वाली पत्रिका सर्च स्टोरी का ये वेब न्यूज़ अपने विशेष खबरों के लिए जाना जाता हे देश के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी सर्च स्टोरी से जुड़े हुए हैं।
सर्च स्टोरी की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी देश के हित में हो, प्रकाशन व प्रसारण हेतु स्वीकार्य है। इसकी अपनी कोई सीमाएं एवं समाचार लिखने के कोई नियम भी नहीं हैं। लोग अपनी बात जिस तरीके से प्रस्तुत करना चाहें कर सकते हैं।
सर्च स्टोरी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पूरा उपयोग करने की नीति का समर्थन करती हैं एवं पूरे देश को एक साझा मंच उपलब्ध कराती हैं ताकि सभी लोग एक ही स्थान पर स्वतंत्रता पूर्वक अपनी अपनी बात रख सकें।
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*सर्च स्टोरी न्यूज़*
*न्यूज़ ग्रुप ऑफ़ इंडिया*
सर्च स्टोरी मिडिया की स्थापना का उद्देश्य पत्रकारिता और पत्रकारों का संरक्षण करना है वर्तमान हालातो पर नज़र दौड़ाई जाये तो पत्रकारिता में बढ़ती गोदी मीडिया संस्थान के बीच खोजी पत्रकारिता को ज़िंदा रखना एक कल्पना मात्र है इसी को ख़त्म करने और सामजिक मुद्दों ,खोजी पत्रकारिता की कल्पना की जा सकती है। जहां सिर्फ पत्रकार और पाठक को महत्व दिया जाए ? कोई ऐसा अखबार, टेलीविजन चैनल या मीडिया वेबसाइट जहां संपादक पत्रकारों की नियुक्ति, खबरों की कवरेज जैसे फैसले संस्थान और पत्रकारिता के हित को ध्यान में रखकर ले, न कि संस्थान मालिक या किसी नेता या विज्ञापनदाता को ध्यान में रखकर. किसी भी लोकतंत्र में जनता मीडिया से इतनी उम्मीद तो करती ही है पर भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में मीडिया के वर्तमान माहौल में संपादकों को ये आजादी बमुश्किल मिलती है. वक्त के साथ-साथ पत्रकारिता का स्तर नीचे जा रहा है, स्थितियां और खराब होती जा रही हैं।
पत्रकारिता में दिनोंदिन कई गलत प्रचलन सामने आ रहे हैं, जैसे खबरों को गैर-जरूरी तरीके से संपादित करना, पेड न्यूज, निजी संबंधों के लाभ के लिए कुछ खबरों को चलाना आदि. मीडिया संस्थान अब खबर तक पहुंचना नहीं चाहते, इसके उलट, उन्होंने पत्रकारिता की आड़ में व्यापारिक समझौते करने शुरू कर दिए हैं, कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं और खबरें जनता तक पहुंचती ही नहीं हैं क्योंकि मीडिया संस्थान उन्हें किसी व्यक्ति या संस्था विशेष को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सामने लाना ही नहीं चाहते. धीरे-धीरे ही सही पर जनता भी इस बात को समझने लगी है कि पत्रकारिता खतरे में पड़ रही है. आमजन का मीडिया पर विश्वास कम हो रहा है. वही मीडिया जो लोकतंत्र का *चौथा स्तंभ* होने का दम भरता था, अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है।
10 अगस्त 2002 में "सर्च स्टोरी" के अस्तित्व में आने की मुख्य वजह यही थी....दैनिक अख़बार ,मासिक पत्रिका ,वेब न्यूज़ के बाद अब इसी उद्देश्य के साथ जल्द ही हम इसका न्यूज़ चैनल ला रहे हैं. अगर पत्रकारिता को बचाए रखना है तो इसे संपादकीय और आर्थिक स्वतंत्रता देनी ही होगी. और इसका एक ही रास्ता है कि आमजन को इसमें भागीदार बनना होगा. जो पाठक इस तरह की पत्रकारिता बचाए रखना चाहते हैं, सच तक पहुंचना चाहते हैं, चाहते हैं कि खबर को साफगोई से पेश किया जाए न कि किसी के फायदे को देखकर तो वे इसके लिए सामने आएं और ऐसे संस्थानों को चलाने में मदद करें. एक संस्थान के रूप में *सर्च स्टोरी न्यूज़* का प्रसारण जनहित और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार चलने के लिए प्रतिबद्ध है. खबरों के विश्लेषण और उन पर टिप्पणी देने के अलावा हमारा उद्देश्य रिपोर्टिंग के पारंपरिक स्वरूप को बचाए रखने का भी है. जैसे-जैसे हमारे संसाधन बढ़ेंगे, हम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे।
इस उद्देश्य की तरफ ये हमारा छोटा ही सही पर महत्वपूर्ण कदम है. पत्रकारिता के इस स्वरूप को लेकर हमारी सोच के रास्ते में सिर्फ जरूरी संसाधनों की अनुपलब्धता ही बाधा है. हमारी पाठकों और दर्शको से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें ,देखे और शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव हमें दें।
*संस्थापक*
राजेंद्र सिंह जादौन सर्च स्टोरी मीडिया ग्रुप के समूह संपादक हैं साथ ही मालिक ,मुद्रक ,प्रकाशक और प्रसारक है . editorsearchstory@gmail.com और उनके मोबईल पर संपर्क किया जा सकता है।
*संस्थापक बारे में ..*
राजेंद्र सिंह जादौन पेशे से खोजी पत्रकार है इतना ही नहीं बहुमुखी कला के भी धनि है मध्यप्रदेश में जन्मे और पले बढे जादौन एक व्यावहरिक व्यक्ति के रूपमे लोगो के बिच अपना एक अलग मुकाम रखते है। जादौन कि कलम में जितनी धार है उसे कई ज़्यदा उनके कैमरे की पेनी नज़र है पत्रकारिता को एक समाज सेवा मानने वाले जादौन ने इसे कभी भी आय का साधन नहीं बनाया बल्कि पत्रकरिता के माध्यम से सरकार की आंख पर बंधी पट्टी खोलने और मजबूत विपक्ष के रूपमे कलम के इस हतियार को धार दी हैं।