Thursday ,5th December 2024

टप-टप, टपा-टप!

राजेंद्र शर्मा 

भारत जानना चाहता है कि आखिर देश में ये हो क्या रहा है? अव्वल तो नाशुक्री पब्लिक ने चुनाव में ही भांजी मार दी। न पांच किलो मुफ्त राशन का ख्याल किया, न उज्ज्वला वाले सिलेंडर का। न पांच सौ रुपए महीने वाली किसान सम्मान निधि का ख्याल किया, न किसी पेंशन-वेंशन का। और बाकी करोड़ों को घर-शौचालय वगैरह दिलाने को तो छोड़ दो, रामलला को पक्का घर दिलाए जाने तक का ख्याल नहीं किया। मोदी जी के खुद अपने मुंह से यह याद दिलाने का भी ख्याल नहीं किया कि मेरा अन्न खाकर, वोट का आशीर्वाद नहीं दिया, तो पब्लिक के ही खाते में पुण्य नहीं चढ़ेगा! खुद राम जी की नगरी तक में हरा दिया। सरकार के नाम पर बैसाखियां पकड़ा दीं, सो ऊपर से। फिर भी बेचारे मोदी जी ने जैसे-तैसे नीतीश-नायडू को पटाकर एनडीए की ही सही, सरकार बनायी है। बैसाखी लगाकर भी दोनों पांवों पर खड़ी सरकार वाली धज बनायी है। यहां तक कि लोकसभा के स्पीकर की कुर्सी तक पिछली बार वाले ओम बिड़ला को ही थमाई है। और ओम बिड़ला ने भी विपक्षी नेताओं के माइक बंद करने से लेकर, विपक्ष की मांग पर कोई चर्चा न होने देने तक की अपनी महारत दुहराई है। और हाय इमर्जेंसी, हाय इमर्जेंसी की पुकार लगायी, सो ऊपर से। उधर भगवा सरकारों ने भी दोबारा बुलडोजरबाजी से लेकर मुसलमानों की लिंचिंग-विंचिग शुरू करायी है। मोदी जी ने भी बीच में टैम निकालकर इटली में जाकर, गोरे विश्व नेताओं से झप्पी-वप्पी पाई है। नीट के घोटाले पर मोदी जी ने चुप्पी भी लगाई है। अरुन्धती राय पर यूएपीए का मामला चलाने की दिल्ली के लैफ्टीनेंट गवर्नर से इजाजत दिलायी है।

और सबसे खास बात कि केजरीवाल की जमानत, ताबड़तोड़ काम कर के सरकार ने रुकवाई और अगला कहीं जमानत पाकर निकल न जाए, अब जेल में ही सीबीआइ ने अगले की नये सिरे से गिरफ्तारी करायी। यानी सब नॉर्मल सा लगने लगा था मोदी 3.0 वाला। लेकिन, तब तक रांची की हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को जमानत देकर रिहा कर दिया। ऊपर से ये और कह दिया कि पहली नजर में सोरेन के खिलाफ कोई मामला ही नहीं बनता है! बेचारी ईडी अगर जमानत रुकवाने जाती भी, तो किस अदालत में और सीबीआइ नये सिरे से गिरफ्तारी करती भी तो कैसे? यानी इतनी मुश्किल से मोदी जी ने जो सब सामान्य-सा कराया था, उस पर अदालत ने खामखां में पानी फेर दिया। अब क्या झारखंड मोदी जी के लिए सामान्य रह पाएगा, जबकि आगे झारखंड में भी चुनाव होने हैं।

फिर भी अगर सोरेन की जमानत का ही मामला होता, मोदी जी फिर भी बात संभाल लेते। आखिर, सोरेन न सही, केजरीवाल सही, एक मुख्यमंत्री तो मोदी जी की जेल में है। कम से कम मोदी जी की जेल अब भी मुख्यमंत्री-विहीन नहीं हुई है। ये काम तो इमर्जेंसी में इंदिरा गांधी भी नहीं कर पायी थीं, जो मोदी ने हंसी-हंसी में कर दिया है! पर अयोध्या में जो पहली ही बारिश में हजारों करोड़ के राम पथ में कार समाऊ गड्ढे बन गए हैं, उनका मोदी जी क्या करें? इंद्रदेव की दुष्टता देखिए, पट्ठे ने बारिश कर के नयी-नवेली अयोध्या की दिव्यता और भव्यता की सबके सामने पोल ही खोल दी। और राम पथ के गड्ढे  तो फिर भी सडक़ पर हुए, पर भव्य राम मंदिर में जो दिव्य टपके लगे हुए हैं, उनका क्या? रामलला का अयोध्या से चुनाव हराकर पेट नहीं भरा था, जो गुजराती भव्य निर्माण के बखिया उधेड़े जा रहे हैं? हाथ पकडक़र लाने वाले से ऐसी भी क्या नाराजगी! मोदी 3.0 में कहीं यही तो सामान्य नहीं होगा यानी बैसाखियों की खटखट और हर काम में राम मंदिर वाली टप-टप, टपा-टप।           

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