Wednesday ,2nd April 2025

शाह तुम डटे रहो!

राजेंद्र शर्मा 
      
इसी को कहते हैं, होम करने गए थे, हाथ जलाकर आ गए। बेचारे अमित शाह की क्या गलती थी। वह तो नादां अम्बेडकर प्रेमियों को स्वर्ग जाने का सच्चा रास्ता बता रहे थे। एकदम मुफ्त स्वर्ग यात्रा एडवाइज और वह भी बिना मांगे। शुद्ध परोपकार की भावना और उसकी भी इच्छा इतनी उत्कट कि बंदा आ बैल मुझे मार तक के लिए तैयार। पात्र-कुपात्र भी नहीं देखे, लगे समझाने कि अम्बेडकर का नाम जपने में कुछ नहीं धरा है, बस इतना ही भगवान का नाम जप लेगा तो स्वर्ग पा लेगा। और हां! मोदी जी का नाम जप लेगा तो यह भूलोक पा लेगा। पर बदले में शाह जी को क्या मिला? मुर्दाबाद का शोर और माफी से लेकर इस्तीफे तक की मांग! दूसरों को स्वर्ग का रास्ता दिखाया और अपना इहलोक तक खतरे में डलवा लिया। योगी जी मन ही मन में जरूर हंस रहे होंगे।

पर हमारी समझ में ये नहीं आ रहा कि शाह जी डिफेंसिव पर क्यों पड़ रहे हैं? छाती ठोक कर कहते क्यों नहीं हैं कि उन्होंने गलत क्या कहा था? क्या अम्बेडकर का नाम लेने से स्वर्ग मिल सकता है? सात जन्म के लिए छोड़ो, एक जन्म के लिए बल्कि एक जन्म भी नहीं एक दिन के लिए, एक पल के लिए भी स्वर्ग मिल सकता है? हर्गिज नहीं। कागज में आरक्षण लिखा है, तब भी मामूली लोगों की इस दुनिया में एक मामूली नौकरी तो आसानी से मिलती नहीं है। फिर स्वर्ग कैसे मिल जाएगा? वहां कम से कम यहां वाला आरक्षण तो नहीं ही चलेगा। वहां तो दूसरा ही आरक्षण चलेगा। आखिर, भगवान जी कोई चुनाव नहीं लडऩा होता है, जो सबको प्रतिनिधित्व का वादा करते फिरेंगे। उनकी गद्दी पक्की है, कोई नाराज होता हो तो हो। और अल्ला वाले अपने अलग स्वर्ग में होंगे, हमारे स्वर्ग में न वो टांग अड़ाने आएंगे और न उनसे बचाने के लिए अंबेडकर वाले सिर पर चढ़ाए जाएंगे। तो सच कहने में क्या डर-स्वर्ग तो भगवान का नाम रटने से ही मिलेगा।
रही बात शाह जी के इहलोक की तो, मोदी जी की दोस्ती बनी रहे, उन पर कोई खरोंच भी नहीं आ सकती है। माफी और इस्तीफे के तो शब्द भी मोदी जी की डिक्शनरी में नहीं हैं। उल्टे सांसदों के साथ हिंसा के इतने मुकद्दमे लाद दिए जाएंगे, कि माफी की मांग करने वाले खुद माफी मांगते नजर आएंगेे!

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