Thursday ,21st November 2024

टोपी पहनकर टोपी पहनाती वर्तमान राजनीति ?

*टोपी पहनकर टोपी पहनाती वर्तमान राजनीति ?

*राजेन्द्र सिंह जादौन* 
(लेखक ,विचारक, पत्रकार)

आज देश मे राजनीति का स्वरूप बदलगाय है । राजनीति में नेताओ के बदलते रूप भी देखने को मिलजाते है । यानी जैसी स्थिति होती है नेता अपने को वैसे ही प्रचारित करने लगते है ।

इसे अगर व्याख्या कर कहाँ जाए तो तर्क संगत होगा कि हमारे नेता बहरूपिया बन जाते है ? औऱ भारत की भोली भाली जनता उनके इस स्वरूप की नोटंकी देख कर ताली बजाती है । 

इसे सही मायने में टोपी पहनना कहते है और नेता लगातार टोपियां जनता को पहना रहे है । जितने सर उतनी टोपियां । ये टोपियों का खेल हमारे देश और जनता को किस दिशा में ले जा रहा है पता नही लेकिन यह सत्य है कि ये टोपी बाजो का खेल बड़ा खतरनाक है औऱ इस खेल का सूत्र धार बहरूपिया नटवरलाल देश के भविष्य के साथ एक रंगमंच सजाकर नोटंकी कर जनता से पैसे बटोर रहा है ।

बार बार रूप बदलना नेताओ की फितरत बन गया है । भारत की जनता के समक्ष ऐसे हालत बन गये है कि वो सही और गलत की पहचान भी नही कर पा रही । क्योकि अब बाज़ार में शुद्ध सोना भी नही है ?

ये कोई राजनीतिक तर्क या बात नही की हम किसी राजनीति पार्टी का सपोट कर रहे है औऱ दूसरे का विरोध । बल्कि आज जो देश के हालात है उसे जस का तस रख रहे है । कई बार नेताओ की टोपी भी राजनीति में मुद्दा बन जाती है । औऱ हमारे राजनेता टोपी के सहारे कौन कौन से खेल खेलते हैं ये सबको अब दिखाई देने लगा है ।

नेता बनते ही ये लोग पैसा कमाने लग जाते है और विकास के नाम पर जनता बहरूपिये के जाल में आज मध्यप्रदेश में औऱ देश मे कई नेता ऐसे है जीनका कोई पुश्तेनी व्यापर नही रहा नाही आज भी कोई व्यापर है लेक़िन टोपी पहनाते पहनाते करोड़ो रूपये की संपत्ति इनके पास है ?

बस जहाँ तक टोपी का सवाल है तो टोपी बदल बदल कर लगाने वाला हम दर्द और हिमायती कभी नही हो सकता । वह केवल समुदाय जाती और जनता को टोपी के जरिये टोपी पहनता है ।और भावुकता सहानभूति दिखार वोर्ट तैयार करता है । 

आज के हालातों की ये टोपी बाज राजनीति एक बहरूपिया है जो दोस्त और हमदर्द बनकर समुदाय ,जनता,युवा,बेरोजगार,ग़रीब, सबको खूबसूरत टोपी पहना रही है और सस्ती टोपी तीनगुना में दे रही है ?

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