मध्यप्रदेश राज्य को अन्ना हजारे जैसे ‘एंटी-करप्शन मूवमेंट की जरूरत है?
मध्यप्रदेश राज्य को अन्ना हजारे जैसे ‘एंटी-करप्शन मूवमेंट की जरूरत है?
साल 2011 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली में ‘एंटी-करप्शन मूवमेंट’ की शुरुआत कर एक पहल जरुर की थी, लेकिन शानदार शुरुआत के बाद वह मूवमेंट भी राजनीति का शिकार हो गई। उसके बाद से ऐसा कोई आंदोलन अभी तक आकार नहीं ले सका है, लेकिन फिर भी कुछ अधिकारी हैं जो अपने अपने स्तर पर कई सालों से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़े हुए हैं।
ऐसे ही अफसरों कई अधिकारियो में निजी तौर पर जनता हूँ जिनका नाम मेरी टॉप लिस्ट में सुमार है । सूत्रों से कुछ ही दिन पहले खबर आयी थी कि मध्यप्रदेश सरकार ने ईमानदार अधिकारियो की एक लिष्ट बनाई है और उन्हें लूप लाइन में डाल ने की साजिश है क्योकि उन्हें नेताओ की गुलामी स्वीकार नहीं है और नहीं प्रमोशन और पोस्टिंग से पैसा कमाने का हुनर आता है ।
बताता चालू की अपने अब तक के पत्रकारिता करियर में खुल कर लिखने और बोलने के चलते अपनी भी किसी से नहीं जमी और अब तक करीब 20 से ज्यादा अख़बार और 18 समाचार टीवी चैनलो को टाटा बय-बय कर चूका हूँ। अब इन आंकड़ों से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपने पूरे करियर के दौरान कितनी परेशानी और तनाव से गुजरना होता है मुझे । तो ईमानदार अधिकारियों को क्या -क्या झेलना पड़ता होगा । इनकी पीड़ा मुझ से बहेतर कौन जान सकता है ।
इसी लिए आप सोचिये की एक ईमानदार अधिकारी को कितना कुछ सहना पड़ता होगा शायद ये आपको बताने के लिए काफी है कि हमारे सिस्टम में भ्रष्टाचार से लड़ना कितना मुश्किल है। गौर करने वाली बात है कि अपनी ईमानदारी के कारण परेशानी झेल रहे कई आईएस ,आईपीएस हैं, उनसे पहले भी कई अधिकारी सरकार की प्रताड़ना का शिकार रहे हैं, जिन्हें अपनी ईमानदारी का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा। दुख की बात है कि कई अधिकारियों को तो अपनी जान देकर ईमानदारी की कीमत चुकानी पड़ी।
शायद आज फिर मध्यप्रदेश राज्य को अन्ना हजारे जैसे ‘एंटी-करप्शन मूवमेंट की जरूरत है। क्योकि मध्यप्रदेश में लगातार आईटी और अन्य संस्था के छापो ने कई बाड़े राज उगले है जिसके चलते अरबों खरबों की संपत्तियां सामने आई है?
Comment Now