मुख्यमंत्री जी आपसे मिलने महीनों से कतार में है पीड़ित, इन्हें समय कब मिलेगा आपसे मिलने का ?
मध्यप्रदेश में लगातार 18 साल से भी अधिक समय से शिवराज सिंह मध्यप्रदेश के मुखिया के पद पर आसीन है । गरीब जनता, पीड़ित कर्मचारियों ,भांजे भांजीयो के मामा उनका दुःख दर्द मंचो से ही बाटते नज़र आते है पर व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री के पास इन्ही के लिए टाईम नही है ?
उद्योगपति, धन्ना सेठ ,फ़िल्म कलाकार औऱ चाय पर चर्चा का समय ही समय है ? अब पीड़ित भी बोल रहे है *यह कैसे मामा?* मामला मध्य प्रदेश पुलिस के ट्रेड आरक्षक एवं उनका परिवार से जुड़ा है जो पिछले 6 महीने से प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से मिलने कतार में खड़े है लेकिन आवेदन पर आवेदन निवेदन पर निवेदन करने के बाद भी मुख्यमंत्री के पास दो मिनिट का भी समय महीनों से इन पीड़ितों से मिलने के लिए नहीं मिल पा रहा है । क्या वजह है जो मामा जी अपने ही उन कर्मचारियों से नही मिलना चाहते जिनकी तारीफे वो मंचों से करते थकते नही क्या इसके पीछे अफसरशाही हावी है या फिर मामा जी किसी शुभ मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं ? आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के ट्रेड आरक्षक और उनके परिवार के सदस्य जिनमे मुख्यमंत्री जी की विधानसभा के लोग भी शामिल है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने के लिए पिछले 6 महीने से गुहार लगा रहे हैं
लेकिन मामा जी के कानों तक उनकी गुहार गूंज नही रही है। 300 से ज्यादा बार मिलने का समय ट्रेडआरक्षकों द्वारा पिछले 6 महीने से मांगा जा रहा है लेकिन समय नहीं दिया जा रहा है पर फिर भी ट्रेड आरक्षक बार-बार मामा जी से मिलने की गुहार लगा रहे हैं क्योंकि उनको उम्मीद है कि मामाजी मिलकर उनका दुखड़ा सुन उनके लिए कुछ अच्छा कर सकते हैं या यूं कहें कि उनकी पीड़ा हर सकते हैं क्योंकि मामा जी से मिलकर वह अपना जो दुखड़ा सुनाना चाहते हैं कही उनके दुखड़े सुनकर मामा जी के पैरों तले जमीन ना खिसक जाए मध्य प्रदेश के मामा शिवराज सिंह चौहान अपने ही प्रदेश के कर्मचारियों से मिलने से इतना क्यों कतराते हैं इस बात का तो पता नहीं पर यह जरूर मालूम है कि मध्य प्रदेश सरकार में कोई भी छोटा सरकारी कर्मचारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीधे जाकर नहीं मिल सकता वह कम से कम 6 महीने पूर्व से मिलने की कोशिश करता है तब भी उसको मिलने के लिए समय नहीं दिया जाता है और इसके उलट मध्य प्रदेश के बड़े बड़े अधिकारी सीएम साहब से जब चाहे तब मिल सकते हैं और बात कर सकते हैं जबकि मामा का कहना है कि मैं पूरे मध्य प्रदेश का मामा हूं आपको जब मुझसे मिलना हो आकर मिल सकते हैं यह स्थिति तब है जब अगले वर्ष मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं वर्तमान में मध्यप्रदेश में सरपंच, जिला पंचायत, नगर पंचायत, और नगर परिषद एवं निकाय चुनाव का बिगुल भी बज चुका है मामा जी, पता नहीं क्यों अपने सरकारी भांजे भांजीयों से नाराज हैं पता नहीं क्यों मामा जी इनको मिलने के लिए क्यों समय नहीं दे रहे या यूं कहें कि मामाजी को इनकी चिंता ही नहीं है मामा जी मध्य प्रदेश पुलिस के ट्रेड आरक्षकों को अनदेखा कर रहे हैं क्या मामा जी खुद इनसे नहीं मिलना चाहता रहे हैं या फिर कुछ ईमानदार अफसर जिकी कारगुजारी की पोटली खुलने के डरस इनको मामा जी के पास नही पहुंचने देना चाहते या कोई और वजह है जो मामाजी को कर्मचारियों की कोई परवाह ही नहीं है मामला समझ से परे हैं।
लेक़िन इनकी पीड़ा का अगर समाधान नही हुआ तो वो दिन दूर नही जब ये अधिकारियों के गुलाम होंगे और अंग्रेजी जमाने के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की तरह ही भारतीय पुलिस जवान होने का कर्ज अदा करते हुए पीठ पर मेम साहब के कोड़े खाने खड़े रहेंगे ? औऱ सोचेंगे कि कोई भगतसिंग या राजगुरु इन्हें आज़ादी दिलाने जरूर आयेगा । क्योकि प्रदेश के मुखिया औऱ सत्ता के सरताजो को इनकी चिन्ता ही नही है उन्हें सिर्फ अपने सत्ता सुख का भोग लेने का ही समय बचा है । बाकी प्रदेश अंधेर नगरी में बदल रहा है । या यू कहे मध्यप्रदेश में सब अंधेर नगरी चौपट राजा की चाल चल रहा है....?
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