कब बड़े होंगे ये गोद लिए गॉव ? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सांसद आदर्श ग्राम योजना मुहिम की तर्ज पर मध्यप्रदेश सरकार ने पिछड़े गांवों की तरक्की के लिए एक शानदार ढांचा तैयार किया था इसके तहत प्रदेश के सभी प्राइवेट एवं सरकारी कॉलेज और विश्वविद्यालय अपने कैंपस के पास बसे गांवों को गोद लेकर उनके विकास और उन्नति में देश और प्रदेश का सहयोग करेंगे लेकिन इस योजना की हवा निकल गयी। देश में आदर्श ग्राम योजना मुहिम के हालत भी कुछ खास नहीं है इस योजना में गोद लिए गावों विकास जनता के सामने है की मोदी की इस योजना ने दूसरी पारी में कितना विकास किया और पूर्व व वर्तमान में ये गावो में अभी तक ये चलना भी नहीं सीखे। ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार की प्राइवेट एवं सरकारी कॉलेज और विश्वविद्यालय की योजना कैसे कारगर होती। इस योजना के मसौदे में सरकार प्रदेश के गांवो का भविष्य देख रही थी लेकिन धन्ना सेठो को सिर्फ अपनी मोटी कमाई में ज्यादा लगाव है। मध्यप्रदेश सरकार की ये योजना मार्च 2021 से शुरू हुई उसके बाद विभाग ने अगस्त तक सभी कॉलेज और विश्वविद्यालय से रिपोट तलब करने को कहा ताकि सरकार कॉलेज और विश्वविद्यालय की रिपोट के आधार पर विकास का मसौदा तैयार कर सके। एक मोटे आँकड़े पर नज़र दौड़ाई जाये तो प्रदेश में अबभी 50 % कॉलेज और विश्वविद्यालय ने कोई आंकड़ा और जानकारी नहीं दी है। उच्च शिक्षा की इस रणनीति में विश्वविद्यालयों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आगे लाने की मंशा थी ताकि समाज के उत्थान में इनका योगदान हो सके। योजना के तहत कॉलेज अपने पास के गांव की पहचान करेंगे और उसके सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए काम करेंगे. उनका काम ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के लाभ के बारे में बताने के अलावा सामाजिक बुराइयों से अवगत कराना भी निश्चित किया गया था साथ ही इस योजना के माध्यम से स्टूडेंट और प्रोफेसर को गांव और ग्रामीणों के बीच जाने का मौका भी मिलता जिससे वह ग्रामीण भारत के बारे में जान सकते। इसको छात्र एक मौके की तरह भी देख सकते थे और रूरल डेवलपमेंट के अंतर्गत अपने इनोवेटिव आइडियाज को गोद लिए हुए गांव में एक्सपेरिमेंट के तौर पर पूरा कर सकते हैं। इस योजना में गांव को गोद लेने के बाद यूनिवर्सिटीज का काम यह था कि वह गांव की तरक्की के लिए अलग-अलग उपाय सोचें और उस पर कार्य करें. इसके साथ ही वह शासन द्वारा जारी की गयी योजनाओं को गांव के हर व्यक्ति तक पहुंचाते हुए उस योजना के द्वारा मिलने वाले लाभ के बारे में बताएं। साथ ही गांव की समस्याएं और सरकार की वह योजनाएं जो गांव तक ना पहुंची हो उस पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे और रिपोर्ट तैयार करने के बाद उसे उच्च शिक्षा विभाग को सोपे। मध्य प्रदेश सरकार की मंशा के पिछड़े गांवों में सुधार लाने के लिए इसे जारी किया गया था क्योकि यूनिवर्सिटी के द्वारा बनने वाली रिपोर्ट के बाद प्रशासन का लक्ष्य उन कमियों को दूर करने का था। लेकिन अन्य योजनाओ की तरह इस योजना का भी सर पैर अभी तक नहीं मिला है गौर गांव अभी गोद में ही है आखिर कब बड़े होंगे ये गांव ?
Comment Now