Wednesday ,12th March 2025

परमाणु ऊर्जा उत्पादन और बढ़ाना चाहता है भारत

दिल्ली /भारत अधिक परमाणु ऊर्जा चाहता है और उसने रिसर्च के लिए दो अरब डॉलर से अधिक राशि देने का संकल्प लिया है. भारत का कहना है कि वह इसमें निवेश को बढ़ावा देने के लिए कानून में संशोधन करेगा.
भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस महीने की शुरुआत में बिजली उत्पादन बढ़ाने और उत्सर्जन कम करने की योजना के तहत ये वादे किए थे. परमाणु ऊर्जा बिजली बनाने का एक तरीका है जो धरती को गर्म करने वाली गैसों का उत्सर्जन नहीं करता है. हालांकि यह रेडियोधर्मी कचरा जरूर पैदा करता है. भारत दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है और इसकी 75 फीसदी से अधिक बिजली अभी भी जीवाश्म ईंधन, खास तौर से कोयले से पैदा होती है.
परमाणु ऊर्जा को लेकर भारत का लक्ष्य
भारत 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा हासिल करना चाहता है, जो सालाना लगभग 6 करोड़ घरों को बिजली देने के लिए पर्याप्त होगी. ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया को कोयला, तेल और गैस जैसे कार्बन प्रदूषण फैलाने वाले ईंधनों से दूर जाने के लिए परमाणु ऊर्जा जैसे स्रोतों की जरूरत है, जो सूर्य और हवा पर निर्भर नहीं होते हैं, लेकिन ये हमेशा उपलब्ध नहीं होते हैं.

हालांकि, कुछ लोग भारत की महत्वाकांक्षाओं के बारे में संशय में हैं, क्योंकि देश का परमाणु क्षेत्र अभी भी बहुत सीमित है और उद्योग के बारे में जनता की नकारात्मक धारणा बनी हुई है.

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैश्विक ऊर्जा नीति केंद्र में वरिष्ठ शोध सहयोगी शायक सेनगुप्ता के मुताबिक इस क्षेत्र के विकास के लिए व्यापार को नया स्वरूप देने की ट्रंप प्रशासन की इच्छा लाभदायक हो सकती है.

भारत की परमाणु विकास योजना अमेरिकी निर्यात के लिए "पर्याप्त अवसर" प्रदान करती है, क्योंकि यहां परमाणु ऊर्जा क्षेत्र बहुत अधिक परिपक्व है और कंपनियां प्रौद्योगिकी के विकास पर काम कर रही हैं, जैसे छोटे और सस्ते परमाणु रिएक्टर. भारत भी छोटे रिएक्टरों में निवेश कर रहा है.

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात होने वाली है. भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच अन्य विषयों के अलावा परमाणु ऊर्जा पर भी चर्चा होने की उम्मीद है.
भारत में परमाणु ऊर्जा महंगी
भारत में परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक महंगी है और इसे स्थापित करने में छह साल का समय लग सकता है. समान मात्रा में सौर ऊर्जा के स्रोत स्थापित करने में आमतौर पर एक वर्ष से भी कम समय लगता है. नए छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर सस्ते होते हैं और तेजी से बनाए जा सकते हैं, लेकिन वे कम बिजली भी पैदा करते हैं.

भारत ने पिछले दशक में देश में स्थापित परमाणु ऊर्जा की मात्रा को दोगुना करने में कामयाबी हासिल की है, लेकिन वह अभी भी अपनी कुल बिजली का केवल तीन प्रतिशत ही पैदा करता है. पर्यावरण थिंक टैंक अंबर की एनर्जी एक्सपर्ट रुचिता शाह कहती हैं, "पहली चुनौती जनता को अपने पड़ोस में परियोजनाओं के निर्माण की अनुमति देने के लिए राजी करना है."
परमाणु प्लांट का विरोध
स्थानीय समुदायों ने पिछले दशक में सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए तमिलनाडु के कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र और महाराष्ट्र में प्रस्तावित परमाणु संयंत्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) में विद्युत क्षेत्र इकाई के प्रमुख ब्रेंट वेनर का मानना ​​है कि "परमाणु ऊर्जा में रुचि का स्तर 1970 के दशक में तेल संकट के बाद से अब तक के उच्चतम स्तर पर है." उनके मुताबिक ऐसा इसलिए है क्योंकि यह विश्वसनीय और स्वच्छ ऊर्जा है.

आईईए ने पाया कि वर्तमान में दुनियाभर में 63 परमाणु रिएक्टर निर्माणाधीन हैं, जो 1990 के बाद से सबसे अधिक है. वेनर ने कहा कि परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं शुरू करने में सरकारें महत्वपूर्ण होती हैं और परमाणु उद्योग के लिए भारत की योजना "बहुत सकारात्मक" है.

क्लाइमेट थिंक टैंक 3ईजी की मधुरा जोशी कहती हैं कि परमाणु ऊर्जा पर नजर रखते हुए भारत को ऊर्जा के अन्य स्रोतों के बारे में नहीं भूलना चाहिए जो ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करते हैं. जोशी ने कहा कि सौर ऊर्जा व अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और भंडारण का निर्माण बहुत तेजी से किया जा सकता है और ये "तत्काल आवश्यक समाधान हैं."

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