Wednesday ,12th March 2025

मोदी ट्रंप की मुलाकात में क्या बात हुई

दिल्ली -अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत को अत्याधुनिक लड़ाकू विमान बेचने की पेशकश की. प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की मुलाकात में आपसी कारोबार बढ़ाने और संबंधों में गर्मजोशी लाने के उपायों पर चर्चा हुई.
अमेरिकी प्रशासन का दुनिया के ज्यादातर देशों के प्रति अभी जो तल्खी वाला रवैया है,  भारत पर उसका ज्यादा असर ना हो ऐसे संकेत दोनों नेताओं की मुलाकात से देने की कोशिश हुई है.

भारत को एफ-35 लड़ाकू विमान बेचने की पेशकश
व्हाइट हाउस में ट्रंप की वापसी के बाद नरेंद्र मोदी चौथे नेता हैं जो उनसे मिलने वहां पहुंचे हैं. मोदी ने राष्ट्रवादी नेता को दोस्त बताया और कहा कि वे उनके "अमेरिका को फिर महान बनाने" के नारे को स्वीकार करते हैं. डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि वे मोदी और भारत से एक खास जुड़ाव पाते हैं. यहां से थोड़ा और आगे जाकर प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए ट्रंप ने उनको खुद से "ज्यादा सख्त मोल तोल करने वाला" बताया.
एक के बाद एक अमेरिकी प्रशासन बीते सालों में चीन के उभार के सामने भारत को समान हितों के आगे प्रमुख सहयोगी के रूप में देखते हैं. ट्रंप ने यह भी कहा कि उनका प्रशासन भारत को एफ-35 लड़ाकू विमान बेचने के लिए तैयार है. यह विमान अमेरिकी सेना की खास सौगात है.
मुलाकात के बाद दोनों नेताओं की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में ट्रंप ने कहा, "इस साल से हम भारत को सैन्य साजोसामान की बिक्री कई अरब डॉलर बढ़ाने जा रहे हैं." ट्रंप ने यह भी कहा, "हम वह रास्ता भी तैयार कर रहे हैं जिस पर आगे चलकर भारत को एफ-35 लड़ाकू विमान दिए जाएंगे."

इन विमानों के साथ भारत उस एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा जिसमें नाटो सहयोगी, इस्राएल और जापान शामिल हैं. सिर्फ इन्हीं देशों को एफ-35 विमान बेचे जाते हैं. यह विमान  ध्वनि की गति से तेज रफ्तार पर भी बिना रडार की पकड़ में आए अपना काम करके निकल सकता है.

अपने पूर्ववर्ती जो बाइडेन की विरासत को आगे बढ़ाते हुए ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों ने बंदरगाह, रेलवे और अंडरसी केबल के क्षेत्र में निवेश की योजना बनाई है. उनका कहना है कि वे अंडरसी केबलों का "इतिहास के सबसे महान मार्गों में से एक को तैयार करेंगे" जो भारत से इस्राएल, यूरोप और दूसरे देशों में जाएगा. 
शुल्क के मामले में भारत को छूट नहीं
ट्रंप ने दोस्त और दुश्मन दोनों का रवैया अपनाया. बैठक से पहले उन्होंने भारत समेत सारे देशों के लिए आपसी शुल्क की घोषणा की. इसमें कहा गया है कि जो देश अमेरिकी चीजों पर शुल्क लगाएगा उस देश की चीजों पर अमेरिका में भी शुल्क लगेगा. मोदी के बगल में खड़े हो कर ट्रंप ने भारत के "अनुचित, बेहद कड़े शुल्कों" को "बड़ी समस्या" बताया, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश बातचीत के जरिए ट्रेड सरप्लस को भारत के हित में घटाने का रास्ता निकालेंगे.

मोदी ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े और पांचवे सबसे बड़े देश "आपसी हितों वाले कारोबारी समझौते" पर काम करेंगे जो "बहुत जल्द" होगा इसमें तेल और गैस पर ध्यान दिया जाएगा.

ट्रंप के साथ मोदी की मुलाकात में स्पेस एक्स और टेस्ला के मालिक इलॉन मस्क भी शामिल हुए. नए प्रशासन में मस्क की भूमिका ट्रंप के दाहिने हाथ जैसी है और उन्होंने अमेरिकी नौकरशाही को पूरी तरह बदलने की मुहिम शुरू की है.

मोदी ने मस्क के साथ अकेले में भी मुलाकात की. इस मुलाकात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि मस्क ने मोदी से निजी तौर पर मुलाकात की या फिर आधिकारिक तौर पर. प्रधानमंत्री ने मस्क और उनके बच्चों से मुलाकात की तस्वीरें पोस्ट की हैं. मोदी मस्क के एक्स प्लेटफॉर्म का खूब इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने बाद में यह भी कहा कि वह मस्क को प्रधानमंत्री बनने के पहले से जानते हैं.
अवैध आप्रवासियों को स्वीकार करेगा भारत
मोदी ने इस यात्रा के पहले शुल्कों में राहत देने का भी एलान किया है. भारत में ऊंचे दर्जे की मोटरसाइकिलों पर शुल्क घटाया गया है. इसका फायदा अमेरिका की हार्ले डेविडसन जैसी कंपनियों को मिलेगा. यह कंपनी भारत में अपना कारोबार बढ़ाने के लिए जूझ रही है जिसने ट्रंप को नाखुश किया है. भारत ने पहले ही अमेरिकी सैन्य विमान में भेजे गए 100 से ज्यादा अवैध आप्रवासियों को स्वीकार कर लिया है.
प्रेस कांफ्रेंस में मोदी ने कहा कि वह इस मामले में सहयोग जारी रखेंगे. मोदी का कहना है कि भारतीयों को मानव तस्कर लोभ देकर अपने जाल में फंसाते हैं. मोदी ने कहा, "कोई भी भारतीय जो अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहा है, हम उसे वापस लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं." ट्रंप ने यह भी घोषणा की है कि वे 2008 के मुंबई हमले के एक संदिग्ध को भारत प्रत्यर्पित करेंगे. इस संदिग्ध का नाम तहव्वुर हुसैन राणा है.
पाकिस्तानी मूल के इस कनाडाई नागरिक को 2011 में दोषी ठहराया गया था और बाद में 13 साल के जेल की सजा मिली थी. राणा के प्रत्यर्पण की पहले ही उम्मीद की जा रही थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील ठुकरा दी थी.

भारत ने अमेरिकी बर्बन व्हिस्की पर शुल्क घटाया

अमेरिका से व्यापार संतुलन बनाने की दिशा में एक और कदम बढ़ा कर हुए भारत ने अमेरिकी व्हिस्की पर आयात शुल्क कम कर दिया है. इसे व्यापार युद्ध टालने के लिए बीच के रास्ते के तौर पर देखा जा रहा है.
भारत ने अमेरिकी बर्बन व्हिस्की पर आयात शुल्क 150 फीसदी से घटाकर 100 फीसदी कर दिया है. इस फैसले से अमेरिकी ब्रांड जैसे संटोरी की जिम बीम को फायदा होगा. यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के भारत पर ‘अनुचित' व्यापार शुल्क लगाने के आरोपों के बाद आया है. सरकार की यह अधिसूचना 13 फरवरी को जारी हुई थी, लेकिन शुक्रवार को यह मीडिया की सुर्खियों में आई. हालांकि, दूसरे शराब उत्पादों पर 150 फीसदी का शुल्क जारी रहेगा.

यह कटौती ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच व्हाइट हाउस में हुई बातचीत का हिस्सा है. ट्रंप लंबे समय से व्यापार असंतुलन की आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका उन सभी देशों पर ‘प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क' लगाएगा जो अमेरिकी सामान पर ऊंचे टैक्स लगाते हैं. ट्रंप ने कहा, "व्यापार के मामले में मैंने निष्पक्षता के लिए फैसला किया है कि मैं एक प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क लागू करूंगा. यानी जो भी देश अमेरिका से आयात पर शुल्क लगाते हैं, हम भी उन पर उतना ही शुल्क लगाएंगे. ना उससे कम, ना ज्यादा.”

बर्बन व्हिस्की पर शुल्क कटौती भारत की ओर से एक छोटा लेकिन प्रतीकात्मक कदम माना जा रहा है, क्योंकि दोनों देश व्यापक व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं. ट्रंप और मोदी ने कई आर्थिक मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें भारत द्वारा अमेरिकी तेल, गैस और सैन्य साजो सामान की खरीद बढ़ाने का प्रस्ताव शामिल था.
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बैठक के बाद कहा कि सात महीने के भीतर एक समझौता हो सकता है. वहीं, एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने संकेत दिया कि यह समझौता इस साल के अंत तक पूरा हो सकता है. ट्रंप ने मोदी से मुलाकात के बाद कहा था, "हम भारत के साथ प्रतिस्पर्धात्मक तरीके से काम कर रहे हैं. भारत जो शुल्क लगाता है, हम भी उतना ही लगाएंगे.”

ट्रंप की शुल्क रणनीति
ट्रंप का प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क लगाने का प्रयास व्यापार असंतुलन को संतुलित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है. गुरुवार को, उन्होंने अपनी आर्थिक टीम को यह निर्देश दिया कि वे दूसरे देशों में अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए करों की गणना करें और उसी के अनुसार अमेरिकी शुल्क तय करें. यह समीक्षा गैर-शुल्क बाधाओं जैसे वाहन सुरक्षा नियमों और मूल्य संवर्धित करों (वैट) पर भी केंद्रित होगी, जिन्हें अमेरिकी व्यापार के लिए हानिकारक माना जाता है.

हालांकि, इस घोषणा में तत्काल नए शुल्क लागू करने की बात नहीं की गई, लेकिन इसने वैश्विक व्यापार तनाव को बढ़ाने की आशंका पैदा कर दी है. इसके बावजूद, शेयर बाजारों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और वैश्विक स्टॉक्स में वृद्धि दर्ज की गई. हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि इन शुल्कों की संरचना तैयार करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. अमेरिकी निवेश बैंक बार्कलेज के विश्लेषकों ने एक नोट में लिखा, "वैश्विक वित्तीय बाजार इस बात से राहत महसूस कर सकते हैं कि तत्काल नए शुल्क नहीं लगाए गए, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह देरी वास्तव में इनके लागू होने की संभावना को कम करती है या नहीं.”
ट्रंप ने चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ को भविष्य के प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क के संभावित लक्ष्य के रूप में चिह्नित किया है. वाणिज्य मंत्री पद के लिए नामित हॉवर्ड लटनिक ने कहा कि हर देश की शुल्क नीतियों की अलग-अलग समीक्षा की जाएगी, जिसकी रिपोर्ट 1 अप्रैल तक आने की संभावना है. हालांकि इसका क्या असर होगा, यह अभी साफ नहीं है.

ट्रंप की प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क योजना व्यापार विवादों को जन्म दे सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस नीति को लागू करना कानूनी रूप से जटिल होगा. संभावित कानूनी विकल्पों में 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 122 शामिल है, जो छह महीने के लिए अधिकतम 15 फीसदी की दर से फ्लैट शुल्क लगाने की अनुमति देता है, या 1930 के टैरिफ अधिनियम की धारा 338, जो अमेरिकी व्यापार को नुकसान पहुंचाने वाले भेदभावपूर्ण शुल्क के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार देती है, लेकिन कभी उपयोग नहीं की गई.
संभावित व्यापार युद्ध
हालांकि ट्रंप की भाषा आक्रामक रही है, लेकिन उनके प्रशासन ने बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखे हैं. एक व्हाइट हाउस अधिकारी ने कहा कि अमेरिका खुशी-खुशी अपने शुल्क कम करेगा यदि दूसरे देश भी अपने शुल्क घटाते हैं. उन्होंने कहा, "नए शुल्क, सबको एक लाठी से हांकने की बजाय अधिक अनुकूल तरीके से लगाए जाएंगे.” हालांकि उन्होंने वैश्विक स्तर पर एक समान शुल्क लगाने की संभावना से इंकार नहीं किया.
नेशनल फॉरेन ट्रेड काउंसिल की उपाध्यक्ष टिफैनी स्मिथ ने प्रशासन के संतुलित दृष्टिकोण का स्वागत किया. उन्होंने कहा, "यह राहत की बात है कि प्रशासन जल्दबाजी में नए शुल्क लगाने की योजना नहीं बना रहा है, और हम राष्ट्रपति के इस अधिक संतुलित, अंतर-एजेंसी दृष्टिकोण की सराहना करते हैं. उम्मीद है कि इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप हम अपने व्यापारिक साझीदारों के साथ मिलकर उनके शुल्क और व्यापार बाधाओं को कम कर सकेंगे, बजाय इसके कि हम अपने खुद के शुल्क बढ़ाएं.”

इस बीच, ट्रंप ने संकेत दिया कि कार, सेमीकंडक्टर और दवाओं पर भी अतिरिक्त शुल्क लगाए जा सकते हैं. अटलांटिक काउंसिल के भू-अर्थशास्त्र केंद्र के निदेशक जोश लिप्स्की ने कहा, "यह सिर्फ बातचीत के लिए नहीं है, इसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए,” भारत में बर्बन के शुल्क में कटौती के फैसले और व्यापक व्यापार समझौते की संभावनाओं के बीच, आने वाले कुछ महीने यह तय करने में महत्वपूर्ण हो सकते हैं कि क्या ट्रंप के व्यापार युद्ध की धमकियां वास्तविक नीति में बदलेंगी या वैश्विक व्यापार बाधाओं को कम करने के लिए सार्थक वार्ता होगी

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