राजेन्द्र सिंह जादौन
वर्तमान में पत्रकारिता पर अगर विचार किया जाये तो पत्रकार भी विलुप्त होते दिखाई देंगे । और विलुप्त होती जाती, प्रजाति को बचाना सरकार का दायित्व है। कहने को मध्यप्रदेश टाईगर प्रदेश बन गया है। लेकिन पत्रकारिता के टाईगर विलुप्त होते जा रहे है।
इसका एक मुख्य कारण विचार धारा के एक पत्रकारिता कॉलेज से है। यहाँ विचारधारा के ऐसे सिलिपर सेल्स तैयार किये गये जो आज देश भर में सिर्फ एक विचारधारा पर खबरे लिखते और दिखाते है। पत्रकारिता कम और मार्केटिंग ज्यादा ?
वर्ष 2020 तक पत्रकारिता पूरी निष्ठा ईमानदारी और कर्म प्रधान थी धीरे धीरे विचारधारा के विश्व विद्यायल से डिग्री लिये पत्रकरो ने पत्रकारिता को गुलामी, चापलूसी, बंगला ड्युटी और मार्केटिंग का अड्डा बना दिया है ।
अब आप ये भी लिख और कह सकते है कि प्रचीन पत्रकारिता के मायने और उद्देश्य कुछ और थे इन्ही उद्देश्य और मायनो के चलते कलेक्टर तो दूर की बात मुख्यमंत्री और मंत्रियो के तकिये गीले हो जाते थे । अखबारों के दफ्तर के बाहर नेता, मंत्री, शासन, प्रशासन के आला अधिकारी घंटो संपादक से मिलने इंतज़ार किया करते थे लेकिन आज ये पत्रकारिता और पत्रकार दोनो विलुप्त हो चले है । अब विचारधारा के विद्यालय से डिग्री प्राप्त पत्रकार पत्रकारिता की आचार संहिता का पालन करते है । श्री मान से लेकर आदर्णीय, माननीय तक की चापलूसी करते हुए खबरों में संबोधन करते है ?
वैसे तो पत्रकारिता की कोई आचार संहिता नही है पत्रकार का काम सच लिखना एवं जनता तक उसे पहुँचाना है। पत्रकार का काम सवाल करना है फिर देश का कोई भी स्तम्ब हो ?
वर्तमान में विचारधारा विद्यालय से डिग्री वाले पत्रकार कम सेल्समैन उन अधिकारियों, मंत्री, नेता और दफ्तर के बाहर आपको घंटो इंतज़ार करते मिल जायँगे जो लोग कभी पत्रकरो से मिलने उनके दफ्तर के बाहर खड़े रहते थे। पत्रकार और पत्रकारिता को इस विचारधारा के विद्यायल ने विलुप्त की तादाद पर ला छोड़ा है और पत्रकार अब सेल्समैन बन गया है ?
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