Thursday ,21st November 2024

एक तरफ दीदी कैफे दूसरी ओर बैगा आदिवासी की पुरखों की जमीन पर तन रहा KIA मोटर्स का शोरूम

शहडोल में राजस्व संहिता का खुला उल्लंघन, अधिवक्ता ने खोला मोर्चा 



हमारी शहडोल कलेक्टर बढ़िया है सबकै तकलीफ़ का सुनतथी अउर हमपंचै बहुत बहुत निकहा समझित है कि हमीहि कौनौ तकलीफ़ होई ता शिकायत कर दईब पक्का कार्यवाही होई आइसन हमार विश्वास उनखर पर है लेकिन राजेश गुप्ता वारै मुद्दे का देखै सुनए के बाद का पता हमहि इंसाफ मिल पाईं योका शंका हबै यह कहना है बैगा आदिवासी किसान परिवार के लोगों का पढ़े और समझे कहा चूक हो गई क्यों हो रही है समझे।

 

शहडोल। मध्यप्रदेश के अंतिम छोर का शहडोल जनजाति परिवारों को विकास की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए संवेदनशील कलेक्टर श्रीमती वंदना वैध का उठाया गया प्रभावी कदम वर्तमान समय में जिला प्रशासन के बेहद संवेदनशील होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है बीते शुक्रवार यहां आदिवासी जनजाति की महिलाओं के जीविका चलाने के लिए शहडोल की संवेदनशील कलेक्टर ने कलेक्ट्रेट परिसर के अंदर ही दीदी कैफें (स्वल्पाहार) का शुभारंभ कराया है निश्चित तौर पर इससे लगभग 10 महिलाओं के स्वरोजगार का रास्ता साफ हुआ है ताकि यह आदिवासी जनजाति परिवार की महिलाएं अपने पैर पर खड़े हो सके और विकास की मुख्यधारा में जुड़ सकें, जिला प्रशासन की इस पहल की जिले भर के हर आम और खास लोगों को कलेक्टर श्रीमती वंदना वैध की सराहना करते देखा और सुना जा रहा है। सराहनीय कार्य की प्रशंसा होना लाजिमी भी ही है। लेकिन जिला प्रशासन का कर्तव्य है कि जिले की जनता के साथ सामान व्यवहार और सामान कानून व्यवस्था का भय मुक्त परिपालन कराया यहां जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से जाने कैसे चूक हो रही है या जानबूझकर बेबस बैगा आदिवासी परिवार के अधिकार को गांधी के फेरे में रौंदा जा रहा है। हम बात कर रहे हैं महीनों से एक आदिवासी परिवार अपनी पुश्तैनी भूमि को कब्ज़ा मुक्त कराने को लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों की दहलीज पर इंसाफ की गुहार लगाने वालें सोहन बैगा पिता भोला बैगा की सोहन बैगा के मुताबिक नगर के प्रतिष्ठित लेकिन भ्रष्ट कारोबारी ने KIA मोटर्स का शोरूम बनाने के लिए बैगा आदिवासी परिवार की पुश्तैनी भूमि जाने कैसे हड़प ली। मामले में निर्माण कार्य को लेकर जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर अब नवंबर आ गया चक्कर काट रहा है लेकिन किसी भी अधिकारी को रहम नहीं आया जो मामले की जांच में तेजी लाकर बैगा आदिवासी परिवार की पुश्तैनी भूमि जो इनका और इनके परिवार का वर्तमान समय में भविष्य हो सकती है कोई प्रभावी कार्यवाही करें। जबकि इधर सोहन बैगा की सिकवा, शिकायतो का दौर शुरू हुआ ही था कि उधर करोड़पति का आलीशान शोरूम मानो युद्धस्तर पर निर्माण कार्य जारी कर दिया गया। लगता है इस मामले में बैगा आदिवासी किसान परिवार की आवाज दबा दी जा रही है।

सीएम हेल्पलाइन हुई बेअसर....

गौरतलब हो कि राजस्व मामले के जानकार बताते हैं कि जब मामला जिला प्रशासन की चौखट चौखट दस्तक दे रहा है शिकायत सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सीएम हेल्पलाइन पर तक जा रही है तो कहीं ना कहीं लग रहा है स्थानीय जिम्मेदार अधिकारियों ने पूंजीपतियों को संरक्षण प्रदान किया है वरना प्रशासन को सोहन बैगा की पुश्तैनी भूमि की सामान्य शिकायत पर सूक्ष्मता से जांच होने तक निर्माण कार्य यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी कर दिया जाना चाहिए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इधर शिकायत के बाद ऑफ द रिकार्ड भ्रष्ट कारोबारी जिसने पूर्व में लाखों रुपए का टैक्स चोरी किया, और शोरूम में ग्राहकों को उनके अधिकार से वंचित करने मामले में प्रश्नचिन्ह लग चुका है आज उस मामले से नसीहत लेनें की जगह चंद पैसे की भूख के चलते अब बेबस बैगा आदिवासी किसान परिवार की पुश्तैनी भूमि हड़प रहे हैं मानो जिन्हें सरकारी अफसर ने ग्रीन सिग्नल दिया है।

दागदार भ्रष्ट कारोबारी का कमाल....

संपत्ति पर कब्जा उसके मालिक का होना एक कानूनी अधिकार है। किसी भी संपत्ति के मालिक को यह अधिकार प्राप्त है कि उसकी संपत्ति पर कब्जा उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं होना चाहिए। मामले में कानूनी कार्रवाई समय से ना होना, इसी लचर सिस्टम का फ़ायदा रसूखदार धनाढ्यों को मिलता है मामले में संवेदनशील कलेक्टर श्रीमती वंदना वैध और पुलिस प्रशासन को संज्ञान लेते हुए सोहन बैगा को राहत मिले प्रयास किया जाना चाहिए वरना बेबस लोगों का न्याय व्यवस्था से टूटतीं आशा और भविष्य दोहरी कानून व्यवस्था गरीब बैगा परिवार बनाम भ्रष्ट करोड़पति कारोबारी के दृष्टिकोण से देखा जाएगा।

कोरियाई कंपनी बनाम बैगा आदिवासी....

किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से उसकी इच्छा के विरुद्ध बेकब्जा नहीं किया जा सकता। मामले में 5 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा सकता था, बहरहाल संबंधित विभाग अधिकारियों की चौखट चौखट दस्तक देने के बावजूद सोहन बैगा का आरोप है कि मदद को कोई अफसर जाने किस भय के हाथ नहीं बढ़ा रहा है उसने बिक्री नहीं की और राजेश गुप्ता ने हड़प ली। मामले में समय रहते निष्पक्ष निर्भीक जांच की आवश्यकता है।
अब बात जब समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही है अधिकारी तारीख पर तारीख का खेल खेल रहे हैं और उधर कथित भ्रष्ट आरोपी राजेश गुप्ता दिन रात अपने शोरूम का सपना संजोए धड़ल्ले से निर्माण कार्य जारी रखा हुआ है हम आपको बता दें इस मामले में KIA मोटर्स पर भी सवाल उठते हैं कैसे कोरियाई कंपनी देश में बैगा आदिवासियों का भविष्य रौंदे जा रही है।

अब अधिवक्ता ने खोला मोर्चा....

जिले में पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता संघ ने भी बैगा आदिवासी बहुल इलाकों में करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर पूंजीपतियों का कब्जा किए जाने का मामला प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उजागर किया है मतलब कहीं न कहीं ज़िम्मेदारो की आंख में व्यापक भ्रष्टाचार दिखाई देकर भी अनदेखा कर रहे हैं। किस दबाव में समझ से परे है। या इसके बदले हुए मायने वर्तमान समय में जनता को समझना होगा जिले में इंसाफ, न्याय चेहरा देखकर मिलता है। यहां पर बात आदिवासी बाहुल्य इलाके में ही आदिवासियों की दुर्दशा होती नज़र आ रही है आदिवासियों के हक में डाका डाला जा रहा है सूत्रों की माने तो आगामी विधानसभा चुनाव के पूर्व तमाम राजनीतिक दल आदिवासियों की बेशकीमती जमीन पर हाथ साफ करने वाले मुद्दों पर जिला प्रशासन  सहित सत्ता में बैठी सरकार को आड़े हाथों लेने की तैयारी में है।

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