सतना - प्रदेश का 42 प्रतिशत राजस्व देने वाले विंध्य प्रदेश के प्रवेश द्वार सतना को महिला बाल विकास के महा भ्रष्ट शिरोमणि सौरभ सिंह ने कलंकित कर के रख दिया है लेकिन उनकी और कोई देखने वाला नहीं है क्योंकि उनके पास चांदी की अप्सरा है जिसके दम पर वह सब को नचाते रहते हैं । सूत्रों का कहना है कि कुपोषण मामले में आई भोपाल की टीम को सौरव सिंह ने अपनी जेब में रखकर रेवांचल का टिकट थमा दिया । दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि तीन मातृशक्तियों को सजा दी गई लेकिन भ्रष्टाचार के जनक सौरभ सिंह का बाल बांका भी नहीं हुआ क्या यह प्राकृतिक न्याय के खिलाफ नहीं है आखिर भ्रष्टाचारी टीम का कप्तान के ईमानदार हो सकता है यह तो वही हुआ की "सुई को फांसी और तलवार को माफी" कुपोषण के खिलाफ सिर्फ कागजों में लड़ाई लड़ने वाले महिला बाल विकास विभाग को पोषित बच्चों का हक खाकर मोटा हो रहा है । लेकिन बेचारी गरीब जनता अपनी बदनसीबी पर आंसू बहा रहे हैं । जनता में कुपोषण की व्यथा सुनकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व्यथित तो हुए । लेकिन वे भ्रष्टाचारियों का कुछ बिगाड़ नहीं पाए । इस विभाग में सौरभ सिंह के खतरनाक भ्रष्ट खिलाड़ी सीडीपीओ नागेंद्र तिवारी और संजय उरमलिया तो इतने बेशर्म है कि सूखे मौसम में भी उन्हें हरा हरा ही दिखता है । सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में पोषण घोटाला उजागर होने के बाद आंगनवाड़ी केंद्रों की महिला कर्मचारी सौरव सिंह की प्रताड़ना से प्रताड़ित है। सौरभ सिंह उन्हें नौकरी से निकाल देने की धमकी देकर दिन-रात फर्जी रिकॉर्ड बनवा रहे हैं ।
मध्यप्रदेश में 'पोषण आहार' में बड़ा घोटाला आया सामने,
मध्यप्रदेश में पोषण आहार योजना में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है , पोषण आहार योजना के तहत गरीब बच्चों और महिलाओं को मिलने वाला राशन जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है,
एमपी के महालेखाकार (AG) ने मिड डे मिल और बच्चों के लिए मुफ्त भोजन योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का पता लगाया है, इसके बाद से विपक्ष राज्य सरकार पर हमलावर हो गया है,
मध्य प्रदेश के एकाउंटेंट जनरल की 36 पन्नों की एक गोपनीय रिपोर्ट ने महिला बाल विकास विभाग में बड़ा घोटाला उजागर किया है, इस रिपोर्ट में सामने आया है कि करोड़ों का कई किलो वज़नी पोषण आहार कागजों में ट्रक पर आया लेकिन जांच में वो मोटरसाइकिल, ऑटो पर दिखाया गया है,
रिपोर्ट के मुताबिक लाखों ऐसे बच्चे जो स्कूल नहीं जाते उनके नाम पर भी करोड़ों का राशन बांट दिया गया है,
साथ ही इस विभाग में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, लाभार्थियों की पहचान में अनियमितता, स्कूली बच्चों के लिए महत्वाकांक्षी मुफ्त भोजन योजना के वितरण और गुणवत्ता नियंत्रण में गड़बड़ी पायी गयी है,
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि छह कारखानों से 6.94 करोड़ रुपयों की लागत के 1,125.64 मीट्रिक टन राशन का परिवहन किया गया था, लेकिन परिवहन विभाग से सत्यापन करने पर पता लगा कि ट्रकों के जो नंबर दिये गये हैं उन पर मोटरसाइकिल, कार, ऑटो और टैंकर पंजीकृत हैं,
रिपोर्ट के मुताबिक 2021 के लिए टेक होम राशन (टीएचआर) योजना के लगभग 24 प्रतिशत लाभार्थियों की जांच पर आधारित थे, इस योजना के तहत 49.58 लाख पंजीकृत बच्चों और महिलाओं को पोषण आहार दिया जाना था, इनमें 6 महीने से 3 साल की उम्र के 34.69 लाख बच्चे, 14.25 लाख गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली मां और 11-14 साल की लगभग 64 हजार बच्चियां शामिल थीं जिन्होंने किसी कारणवश स्कूल छोड़ दिया है,
110.83 करोड़ रुपये के मूल्य के राशन का फर्जीवाड़ा आया सामने
रिपोर्ट की जांच के दौरान, यह पाया गया कि आठ जिलों के 49 आंगनबाडी केन्द्रों में केवल तीन स्कूल न जाने वाली लड़कियों का पंजीकरण किया गया था, हालांकि, उन्हीं 49 आंगनवाड़ी केंद्रों के तहत, डब्ल्यूसीडी विभाग ने 63,748 लड़कियों को सूचीबद्ध किया और 2018-21 के दौरान उनमें से 29,104 की मदद करने का दावा भी किया था, साफ तौर पर यहां आकड़ों में हेर फेर करके 110.83 करोड़ रुपये के मूल्य के राशन का फर्जीवाड़ा हुआ है,
वास्तविक राशन उत्पादन में 58 करोड़ रुपयों की हेराफेरी उजागर
इसके अलावा, राशन निर्माण संयंत्रों ने भी उनकी निर्धारित और अनुमानित क्षमता से अधिक उत्पादन की जानकारी दी, जब कच्चे माल और बिजली की खपत की तुलना वास्तविक राशन उत्पादन से की गई, तो यह पाया गया कि इसमें से 58 करोड़ रुपयों की हेराफेरी की गई थी,
घोटाला उजागर होने के बाद विभागों मे मचा हडकंप
इस समय महिला बाल विकास विभाग सुर्खियो मे है, अधिकारी कर्मचारी दिन व रात भर काम कर रहे हैं, दफ्तर रात में भी खुले रह्ते हैं, जानकारी मिली कि इस समय पोषण आहार के रिकार्ड तेयार किए जा रहे हैं, जो पोषण आहार आया ही नही, हित ग्राहियो में बंटा ही नहीं, उसका भी रिकार्ड बनाया जा रहा है, इस समय आंगनवाड़ी केंद्रो कि महिला कर्मचारी बहुत परेशान हैं, अधिकारी नौकरी से निकाल देने की धमकी देकर उनसे दिन रात काम करा रहे हैं, फर्जी तरीके से सरकारी रिकार्ड बनवाया जा रहा है, जिस पर शवाल खड़ा हो गया है,
बड़ी बात तो ये है कि इस विभाग के मंत्री खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं, 2020 में उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी नेता इमरती देवी ने महिला बाल विकास मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से ये विभाग मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है, उनके दफ़्तर से इस बारे में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
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