Saturday ,12th October 2024

बिरला कि वादा खिलाफी का दंश झेल रहे झरेलावासी बेशकीमती जमीन जाने के बाद भी नहीं मिला रोजगार।

कटनी -बिरला आई खुशियां लाई  वाली बात महज एक सपने से ज्यादा कुछ नहीं और होगी कैसे जब कम्पनी को अपनो से अधिक परायों से प्यार हो। अपने अर्थात झरेला और आसपास के वो ग्रामीण जिन्होंने जाने क्या क्या कम्पनी के लिए सिर्फ इसलिए कुर्बान कर दिया कि कंपनी के द्वारा जीवन जीने का रोजगार मिलेगा लेकिन ऐसा हो न सका।

 आज तक अनुबंध पत्र देखने को तरस रही आंखे सीएसआर से किया जा रहा अधिकारियों का सत्कार ।बिरला व्हाइट सीमेंट प्रबंधन और सरकार  के मध्य हुए साझा समझौते की कापी को सार्वजनिक करने में बिरला प्रबंधन के पसीने छूट रहे हैं, ग्रामीणों द्वारा सैकड़ों बार अनुबंध पत्र साझा करने की अपील करने के बाद  भी मैनेजमेंट द्वारा अनुबंध पत्र न दिए जाने से संशय के साथ सवाल खड़े होना लाजमी है ।

 तहसीलदार और जिला कलेक्टर के आदेश के आगे भी नहीं झुकी कम्पनी बिरला व्हाइट प्रबंधन की तानाशाही यहां ही नहीं रुकी उन्होंने तहसीलदार सहित जिला कलेक्टर के आदेश की अवेलहना करना भी  नहीं छोड़ी । ग्रामीणों के शिकायत  पत्र प्राप्त होने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों कि धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आया बिरला व्हाइट प्रबंधन। ,प्रबंधन द्वारा झूठी जानकारी के आसरे झरेला वासियों  को ठगा गया साथ ही सैकड़ों सालों कि खेतिहर जमीन जायदाद को जुमलेबाजी कर हथिया लिया गया।

 

 झरेला वालो को ज्यादा कुछ नहीं अनुबंध पत्र अनुसार कंपनी करे कार्य। झरेला वाले ज्यादा कुछ नहीं कम्पनी से अनुबंध पत्र अनुसार कंपनी का कार्य संचालित किए जाने कि मांग करते आए हैं किंतु कम्पनी के द्वारा पैसा,पुलिस,पावर का भय ,भोकाल दिखाकर भोलेभाले लोगों को डरा धमका कर चुप करा दिया जाता है । कम्पनी के द्वारा  गांव की एक मात्र सड़क को भी भारी भरकम परिवहन कर तोड़ दिया गया है।आए दिन कंपनी के कार्य में  आने जाने वाहन चालकों,परिचालको  द्वारा ग्राम कि महिलाओं, बहन,बेटियों पर अश्लील अपशब्द कहा जाता ।गांव के पटी हार कि सरकारी जमीन में कम्पनी के द्वारा जबरजस्ती सड़क निर्माण कर दिया गया है नतीजन गांव का गुजर बसर बंद हो गया है ।

 सीएसआर से नाममात्र भी नहीं हुआ गांव का सुधार कंपनी एक्ट के अंदर समाहित सामाजिक उत्थान,कल्याण मद से एक धेला भी झरेला की जनता जनार्दन के कल्याण के खातिर कम्पनी द्वारा नही खर्च किया गया ।आज भी झरेला जैसी जगह में एक भी स्वास्थ्य केंद्र, स्ट्रीट लाइट अथवा अच्छी सड़क सुविधा उपलब्ध नहीं जबकि झरेला कि जमी का दोहन कर करोड़ों रुपए की कम्पनी सालाना कमाई कर रही है ।

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