मैहर:- मैहर कांग्रेस प्रवक्ता पवन उरमलिया ने कहा तेज तर्रार ईमानदार जिला पंचायत सीईओ हरेन्द्रनारायन सिंह के जाते ही जिले में भ्रष्टाचार लिप्त पंचायत अधिकारियों कर्मचारियों ने ली राहत की सांस, जिले से लेकर जनपद और जनपद के भ्रष्टाचार में फसे आधिकारियी से लेकर पंचायत सचिवों की दबने लगी भ्रष्टाचार की फाइलें,बिना जांच और जमीनी हकीकत देखे ही बनने लगे प्रतिवेदन,लाखो रुपये के गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्यो की राशि डकार कर चंद हजार रुपये लगाकर लीपापोती करके बनवाया जाने लगा निलम्बित सचिवो के बहाली के लिए प्रतिवेदन पहले सुश्री ऋजु बाफना ने कसा था शिकंजा भ्रष्टाचार साबित होने पर सभी जनपद सीईओ को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने व जेल भेजने का दिया था आदेश जिसके चलते भ्रष्ट विभाग में हड़कम्प मच गया था। जहां पर बड़े बड़े नेता की नेतागिरी भी भरते थे पानी उन्हें हटाने के लिए सतना के नेताओ को राज्य सरकार का सहारा लेना पड़ा था उनके जाते ही राजनैतिक रसूख को आइना दिखाने वाले ईमानदार जिला सीईओ हरेन्द्रनारायन सिंह ने भी राजनीति अपने ऊपर नही होने दिया हावी,जनपद और पंचायत कर्मचारियों पर जनहित कार्यो के प्रति लापरवाही करने वालो पर कसे थे नकेल। नही गल रही थी भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों,कर्मचारियों और पंचायत सचिवों की दाल राजनैतिक सरंक्षण भी नही कर रहा था काम। अब देखना है कि नए जिला सीईओ पिछले दो तेज तर्रार IAS अधिकारियों की ही राह पर चलेंगे या फिर सतना के राजनीतिक दबाव में सभी भ्रष्टाचार में लिप्त लोगो को देंगे अभयदान या फिर खोलेंगे इनकी काली कमाई की कर्म कुंडली,फिलहाल पंचायत से लेकर जनपद तक भ्रष्टाचारियो की फाइल दबाने और बहाली के दावे पेंच शुरू हो चुके है। सतना जिले के पंचायत विभाग की सबसे बड़ी समस्या है राजनैतिक घुसपैठ यहाँ पर अधिकारी,कर्मचारी 95% राजनीति में लिप्त है जिसके चलते इस विभाग में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है,चाहे मनरेगा हो ,14 वा वित्त हो ,नल जल योजना हो,आवास योजना हो या फिर रोड निर्माण या अन्य शासकीय भवन निर्माण कार्य हो,जिसकी काली कमाई में रोजगार सहायक,सचिब ,उपयंत्री से लेकर जनपद सीईओ सब शामिल है, हालात ये है कि हजारो के तनख्वाह पर नौकरी करने वाले कई रोजगार सहायक ,सचिब से लेकर उपयंत्री तक लाख से लेकर करोड़ो की सम्पति अर्जित कर चुके है अब उस भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए सतना की दोयम दर्जे की राजनीति का सहारा लेकर ईमानदार जिला पंचायत के अधिकारियों को हटाने के लिए जुगत करते हैं तो वही नेता भी अपने वोट के चक्कर मे इन भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों कर्मचारियों को सहयोग प्रदान कर भ्रष्टाचार को चरम पर पहुचाने में अपनी मुख्य भूमिका निभा रहे है।
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