Thursday ,21st November 2024

कोरोना वायरस को रोकने के लिए एवरेस्ट पर ‘विभाजन रेखा’ खींचेगा चीन

माउंट एवरेस्ट पर चीन एक विभाजन रेखा खींचेगा ताकि नेपाल से चढ़ने वाले पर्वतारोहियों के जरिए कोरोना वायरस उसकी सीमा में प्रवेश न कर जाए. 2019 में कोरोना वायरस चीन से ही दुनियाभर में फैला था. एवरेस्ट के बेस कैंप में दर्जनों लोग कोविड-19 से पीड़ित हैं. नेपाल में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है. एवरेस्ट के बेस कैंप से 30 से ज्यादा लोगों बीमार लोगों को निकला गया है. एवरेस्ट चीन और नेपाल की सीमा को बांटती है. चोटी का उत्तरी हिस्सा चीन की ओर पड़ता है. तिब्बत में अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि उत्तर दिशा से जाने वाले पर्वतारोहियों का दक्षिणी छोर से आने वाले पर्वतारोहियों से संपर्क रोकने के कठोरतम कदम उठाए जा सकते हैं. शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने यह खबर दी है. तिब्बत माउंटेनीयरिंग असोसिएशन के प्रमुख ने शिन्हुआ को बताया कि माउंटेन गाउड पहाड़ी की चोटी पर विभाजन रेखाएं तय करेंगे जिसके बाद ही पर्वतारोहियों को आरोहण की इजाजत दी जाएगी. हालांकि यह नहीं बताया गया है कि ये रेखाएं कैसे खींची जाएंगी. अप्रैल से अब तक 21 चीनी पर्वतारोहियों को एवरेस्ट पर चढ़ने की इजाजत दी गई है. पर्वतारोहण से पहले ये पर्वतारोही तिब्बत में एकांतवास में रहे थे. चीन ने विदेशी पर्वतारोहियों के एवरेस्ट चढ़ने पर पिछले साल ही प्रतिबंध लगा दिया था. 2020 में नेपाल से भी महामारी के कारण एवरेस्ट पर चढ़ाई नहीं हो पाई थी लेकिन इस साल ने रिकॉर्ड संख्या में परमिट जारी किए थे. नेपाल से एवरेस्ट आरोहण का परमिट लेने की फीस 11 हजार अमेरिकी डॉलर्स यानी करीब आठ लाख रुपये है. इसके अलावा पर्वतारोही 40 हजार डॉलर यानी करीब 30 लाख रुपये एक अभियान के लिए खर्च करते हैं. किसी भी समय पर नेपाल की ओर बने बेस कैंप में एक हजार से ज्यादा लोग होते हैं. इनमें विदेशी पर्वतारोहियों के अलावा नेपाल के गाइड भी होते हैं जो उन्हें चोटी पर लेकर जाते हैं. पिछले तीन हफ्ते में नेपाल में रोजाना दर्ज होने वाले कोरोना वायरस मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है और हर पांच में से दो व्यक्ति टेस्ट के बाद संक्रमित पाए गए हैं.

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