भारत ने 2020 के अंत तक कोविड को फैलने से रोकने पर काफी हद तक काबू पाया था लेकिन अब संक्रमण एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है. जानकारों का कहना है कि इसके लिए वायरस का नया रूप यानी डबल म्यूटेंट जिम्मेदार है. भारत के कई राज्यों में 'डबल म्यूटेंट' के तौर पर कोरोना वायरस का नया रूप देखने में आ रहा है जिसने भारत में इस वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर का खौफ पैदा कर दिया है और माना जा रहा है कि वायरस का यह रूप पहले वाले से कहीं ज्यादा खतरनाक है. देश भर में कोरोना वायरस के तेजी से हो रहे प्रसार के बीच कम से कम 18 राज्यों में वायरस के कई और वेरिएंट्स का भी पता चला है. इंडियन SARS-CoV-2 कंसोर्टियम ऑन जेनोमिक्स, डबल म्यूटेंट वेरिएंट के ताजा नमूनों का अध्ययन (जीनोमिक सीक्वेंसिंग) कर रहा है. इंडियन SARS-CoV-2 कंसोर्टियम ऑन जेनोमिक्स स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत बनाई गई 10 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का समूह है जो देश में अलग-अलग हिस्सों से आए नमूनों की जीनोमिक सीक्वेंसिंग का पता लगाता है. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र यानी एनसीडीसी के निदेशक सुजीत कुमार सिंह ने पिछले हफ्ते मीडिया को बताया कि भारत में अब तक इस वेरिएंट के 771 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें सबसे पहले 736 मामले यूके वेरिएंट का पता चले और 34 मामलों में एक वेरियंट दक्षिण अफ्रीका और एक ब्राजील का है. क्या है डबल म्यूटेंट वेरिएंट? अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र से लिए गए नमूनों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि दिसंबर 2020 से अब तक E484Q और L452R म्यूटेशन्स में बढ़ोत्तरी देखी गई है.अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व अधीक्षक एमसी मिश्र ने डीडब्ल्यू को बताया, "डबल म्यूटेशन यानी दोहरा उत्परिवर्तन तब होता है जब एक वायरस की दो उत्परिवर्तित वेरिएंट्स साथ मिलकर एक तीसरा वेरिएंट बनाती हैं. भारत में जो डबल म्यूटेंट दिख रहा है वह E484Q और L452R से मिलकर बना है." विशेषज्ञों का कहना है कि L452R वेरिएंट सबसे पहले अमेरिका में मिला था जबकि E484Q वेरिएंट स्वदेशी है. एमसी मिश्र कहते हैं, "यह डबल म्यूटेंट कोविड मामलों में तेज बढ़ोत्तरी की एक बड़ी वजह हो सकता है लेकिन इसके लिए हमें अभी और परीक्षण करने होंगे और उनके परिणाम का इंतजार करना होगा." वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में कोविड वेरिएंट्स के इस तरह से उभार की उम्मीद नहीं थी. स्वास्थ्य मामलों के जानकार शाहिद जमील ने डीडब्ल्यू को बताया, "हम यह निश्चित तौर पर नहीं कह सकते हैं कि संक्रमण दर में आई तेजी की वजह नए वेरिएंट्स ही हैं लेकिन ऐसा हो सकता है. और हमें इसकी पड़ताल करने की जरूरत है." जानकारों की चिंता इस बात को लेकर भी है कि डबल म्यूटेशन एंटीबॉडीज के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर, शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को खत्म कर सकता है. यही नहीं, इसकी वजह से कोविड-19 से उबर चुके लोगों में भी दोबारा संक्रमण की आशंका बनी रहती है. कुछ मामलों में ये वेरिएंट्स वैक्सीन्स को भी निष्प्रभावी करने की क्षमता रखते हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के महामारी और संचारी रोग विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख ललित कांत कहते हैं, "हम जो देख रहे हैं वह कोरोना वायरस मामलों में एक स्पाइक है और इससे यह पता चलता है कि नए वेरिएंट्स बहुत तेजी से संक्रमण फैला रहे हैं." कोविड संक्रमण में बढ़ोत्तरी सोमवार को भारत में कोविड संक्रमण के 68,020 नए मामले सामने आए जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अब तक देश भर में 1,20,39,000 लोग संक्रमित हो चुके हैं. रविवार से सोमवार के बीच महज 24 घटे में कोविड संक्रमण से देश भर में 291 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि संक्रमण से अब तक हुई कुल मौतों की संख्या 1,61,843 है. महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कोविड संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं जबकि अधिकारी कई जगह सख्ती से लॉकडाउन पर अमल करा रहे हैं. दिल्ली में भी एक दिन में 1900 नए मामले सामने आए हैं जो कि पिछले साल 15 दिसंबर के बाद से सबसे ज्यादा हैं. पिछले करीब एक हफ्ते से देश भर में हर रोज कोविड संक्रमण के चालीस हजार नए मामले सामने आ रहे हैं जबकि जनवरी और फरवरी महीनों में संक्रमण की रफ्तार काफी धीमी हो गई थी. अधिकारियों ने लोगों को कोविड प्रोटोकॉल्स को सख्ती से मानने की अपील की है. पिछले हफ्ते 12 राज्यों के और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया, "स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए एक पांच स्तरीय रणनीति बनाई गई है जिसके तहत 46 जिलों में लगातार 14 दिन तक रोकथाम और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे." केंद्र सरकार ने राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा है कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि पिछले साल जैसी संक्रमण की स्थिति न आने पाए. भारत में 16 जनवरी से बड़े पैमाने पर टीकाकरण की शुरुआत हो चुकी है लेकिन देश भर में अब तक सिर्फ छह करोड़ लोगों को ही टीका लग सका है. 1 अप्रैल को राष्ट्रव्यापी टीकाकरण का तीसरा चरण शुरू हो जाएगा जिसमें 45 साल तक की उम्र के लोगों को टीका लगेगा. उम्मीद की जा रही है कि अगस्त तक भारत में तीस करोड़ लोगों को टीका लग चुका होगा.
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