Thursday ,21st November 2024

पुलिस बिल पर बिहार में सड़क से सदन तक हंगामा

पटना में मंगलवार को सड़क से सदन तक अभूतपूर्व दृश्य दिखा. पुलिस बिल के विरोध के नाम पर पहले जमकर गुंडागर्दी हुई, फिर सदन के अंदर स्पीकर को बंधक बनाया गया, धक्कामुक्की हुई और पुलिस ने विधायकों को उठाकर सदन से बाहर फेंका. बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के 20वें दिन मंगलवार को राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने प्रदेश में व्याप्त बेरोजगारी, बढ़ती मंहगाई व बिहार स्पेशल आर्म्ड पुलिस बिल, 2021 के विरोध में विधानसभा मार्च का आयोजन किया था. जेपी गोलंबर से बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव व उनके भाई तेजप्रताप यादव के नेतृत्व में शुरू हुआ मार्च जब राजधानी पटना की हृदयस्थली डाकबंगला चौराहा पहुंचा तो यहां पुलिस ने उन्हें आगे जाने से रोक दिया. फिर क्या था आरजेडी कार्यकर्ता उग्र होकर पथराव करने लगे. पुलिस ने पहले तो धैर्य रखा किंतु जब स्थिति अनियंत्रित होने लगी तो पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल कर भीड़ को तितर-बितर किया और फिर लाठियां चटकाईं. इस दौरान वहां तेजस्वी व तेजप्रताप यादव हेलमेट पहनकर खुली गाड़ी पर सवार हो सबकुछ देखते रहे. करीब दो घंटे से अधिक समय तक यातायात बाधित रहा. समर्थकों ने कई गाड़ियों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया. लाठी-डंडों से लैस आरजेडी कार्यकर्ताओं द्वारा राहगीरों व मीडियाकर्मियों के साथ भी मारपीट की गई. अंतत: पुलिस ने दोनों भाइयों समेत कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, हालांकि कुछ देर बाद उन्हें छोड़ दिया गया. प्रत्यक्षदर्शी शहबाज हुसैन कहते हैं, ‘‘विरोध करना नाजायज नहीं है किंतु जिस तरह से पथराव-हंगामा किया गया वह कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता है. आंदोलन का नेतृत्व करने वालों ने उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश नहीं की. ऐसा लग रहा था, मानो बवाल करना ही उनका उद्देश्य था.'' दूसरी ओर तेजस्वी यादव ने कहा, ‘‘अगर जनहित के मुद्दे पर प्रदर्शन किया जाता है तो सरकार का कोई वरिष्ठ अधिकारी बातचीत के लिए आगे नहीं आता है, बल्कि पुलिस से पथराव व लाठीचार्ज करवाया जाता है. यह तानाशाही नहीं तो और क्या है.'' धक्के मारकर विधायकों को निकाला सड़क से शुरु हुए इस संग्राम का सदन के अंदर भी वह वीभत्स रूप दिखा, जो बिहार विधानमंडल के इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया था. विधानसभा की दोनों पालियों की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई. बिहार स्पेशल आम्र्ड पुलिस बिल, 2021 को मंगलवार को पारित किया जाना था. पहली पाली में सदन के शुरू होते ही आरजेडी विधायकों ने इस बिल के विरोध में हंगामा शुरू कर दिया. कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. विपक्षी विधायक सुबह से ही आक्रामक थे. रिपोर्टर टेबुल पर कुर्सियां फेंकी गई, पलटने की कोशिश हुई और अंतत: उसे तोड़ भी दिया गया. भोजनावकाश के बाद जब फिर कार्यवाही शुरू हुई तो आसन पर बैठे प्रेम कुमार हाथ से पुलिस विधेयक की प्रतियां छीन कर उसे विधायकों ने फाड़ दिया. इस वक्त सत्तापक्ष व विपक्ष के विधायक आमने-सामने आ गए, हाथापाई की नौबत आ गई. मंत्री अशोक चौधरी व आरजेडी विधायक चंद्रशेखर में भिड़ंत होते-होते बची. विपक्ष की ओर से मंत्री की बेंच की ओर माइक्रोफोन भी फेंका गया. सदन की कार्यवाही करीब दो बजे एक बार स्थगित कर दी गई तो आरजेडी के वरिष्ठ नेता व विधायक भाई वीरेंद्र ने अनुशासनहीनता की हद पार कर दी. वह रिपोर्टर टेबल पर कुर्सी रखकर उस पर बैठ गए और खुद को विधानसभा अध्यक्ष घोषित कर दिया. वहां तैनात मार्शलों ने उन्हें रोकने की कोशिश की किंतु वे हटने को तैयार नहीं हुए. फिर उन्होंने पुलिस विधेयक पर वोटिंग करवा दी. उस समय सत्तापक्ष का कोई विधायक वहां मौजूद नहीं था. विपक्षी विधायकों ने ना कहकर इसके विरोध में मत दिया और तब स्वघोषित अध्यक्ष भाई वीरेंद्र ने घोषणा कर दी कि सदन का मत इस बिल के पक्ष में नहीं है इसलिए इसे वापस लिया जाता है. हालांकि यह सब सदन की कार्यवाही में रिकॉर्ड नहीं हुआ. स्थिति तब और बिगड़ गई जब चौथी बार पुन: साढ़े चार बजे सदन की कार्यवाही प्रारंभ करने के लिए घंटी बजने लगी. लेकिन, तब विपक्षी विधायक स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के कक्ष के हरेक दरवाजे के सामने धरने पर बैठ गए. विधानसभा अध्यक्ष की अपील भी काम नहीं आई. स्पीकर को बंधक बनाने की कोशिश की गई. किसी भी स्थिति में पुलिस बिल को पास नहीं होने देने पर उतारू विपक्षी विधायकों को अनियंत्रित होता देख पटना के डीएम व एसएसपी को सूचना दी गई. भारी संख्या पुलिस व दंगा निरोधी बल के जवान विधानसभा में घुसे. डीएम-एसएसपी ने माननीयों को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उन दोनों के साथ भी धक्कामुक्की की गई. इसके बाद तो विधायकों को घसीट-घसीट कर बाहर निकाला गया. पुलिस वालों ने लात-घूंसे चलाए और टांगकर विधायकों को बाहर पटक दिया. इस दौरान मकदुमपुर के आरजेडी विधायक सतीश कुमार दास बेहोश हो गए. आरजेडी विधायक विजय मंडल पुलिस की धक्कामुक्की में कई बार गिरे. स्पीकर की कुर्सी घेरकर खड़ी महिला विधायकों को भी महिला पुलिस ने धक्के मारकर, उठाकर बाहर निकाल दिया. विधानसभा के इतिहास में पहली बार इस तरह का हंगामा हुआ. इस ड्रामे के बाद मुख्यमंत्री का संबोधन हुआ और फिर बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक,2021 को सदन से पारित कर दिया गया. इससे पहले विपक्ष के निकाले गए विधायकों के अलावा जो सदस्य बच गए थे, वे सदन से वॉकआउट कर गए थे. नए पुलिस विधेयक को लेकर क्यों मचा है हंगामा बिहार सैन्य पुलिस (बीएमपी) को बिहार स्पेशल आम्र्ड पुलिस बिल, 2021 के जरिए पुनर्गठित करने की कवायद की गई है. कहा जा रहा है कि पहले इसकी भूमिका कानून व्यवस्था के मुद्दे पर बिहार पुलिस के मददगार के तौर पर थी, किंतु बदले हालात में इसकी भूमिका को पुनर्भाषित किया गया है. इसकी जिम्मेदारी बढ़ाई गई है.अब ऐतिहासिक व सामरिक महत्व के केंद्र, हवाई अड्डा, मेट्रो रेल एवं महत्वपूर्ण ओद्यौगिक इकाइयों या प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इसे दी गई है. अब यह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) की तर्ज पर काम करेगा. इसे पुनर्गठित करते हुए विशेष अधिकारों से लैस किया गया है. नए बिल के प्रावधान के मुताबिक इस बल को बगैर वारंट के किसी की तलाशी का और किसी घटना विशेष के बाद संदेह के आधार पर उसकी गिरफ्तारी का अधिकार मिल जाएगा. अगली कार्रवाई के लिए गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को निकटवर्ती थाने को सौंप दिया जाएगा. किसी प्रतिष्ठान की सुरक्षा में तैनात अधिकारी भी बिना वारंट एवं मजिस्ट्रेट की अनुमति बिना किसी को गिरफ्तार कर सकेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं, ‘‘इस बिल को पढ़े बिना विपक्ष अफवाह फैला रहा है. अपराध को नियंत्रित करने के लिए पुलिस तो कार्रवाई करेगी. विधेयक में कुछ भी नया नहीं है. आने वाले दिनों में सशस्त्र बल की भूमिका और बढ़ेगी. इस बिल में यह भी जिक्र है कि जो गलत करेंगे उनपर कार्रवाई भी होगी.'' जबकि विपक्ष का कहना है कि इस बिल से पुलिस की मनमानी बढ़ जाएगी और फिर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. आरजेडी इसे राज्य की सामान्य पुलिस के अधिकार में वृद्धि के तौर पर बता रहा है. तेजस्वी यादव कहते हैं, ‘‘इसके बाद तो पुलिस बिना वारंट के कहीं भी चली जाएगी. लोग पुलिस से पहले से ही परेशान है, अब तो पुलिस और भयादोहन करेगी.'' वहीं मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव का कहना है, ‘‘बिहार सशस्त्र बल से युवाओं को रोजगार मिल सकेगा. केंद्रीय सुरक्षा बलों पर हमारी निर्भरता कम होगी. फिलहाल बीएमपी 129 साल पुराने अधिनियम के तहत चल रहा था. अब यह अपने नियम से संचालित होगा.'' उधर, दूसरी तरफ इस विधेयक के कारण विधानसभा में हुए हंगामे पर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी ट्वीट कर कड़ी टिप्पणी की है. हालांकि उनकी टिप्पणी ने भी भाषा की मर्यादा वैसे ही तोड़ी है जैसी कि उनकी पार्टी ने सदन में मर्यादा का मर्दन किया है

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