Thursday ,5th December 2024

किसान कर रहे हैं पूरे देश में चक्का जाम की तैयारी

शनिवार 6 फरवरी को पूरे देश के राज्यमार्गों पर चक्का जाम कर के किसान अपने आंदोलन को अगले पड़ाव पर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं. 26 जनवरी को जो हुआ, उसे ले कर चक्का जाम के कार्यक्रम को लेकर कुछ आशंकाएं भी हैं. तीन घंटों का चक्का जाम देश के सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तर के राज्यमार्गों पर 12 से 3 बजे तक आयोजित किया जाएगा. किसान नेता राकेश टिकैत ने गुरूवार को पत्रकारों को बताया कि रुकी हुई गाड़ियों में बैठे लोगों को खाना और पानी देने की व्यवस्था की जाएगी. टिकैत ने सरकार द्वारा किसानों के धरना स्थल पर भारी प्रतिबंध लगाने पर कहा कि दिल्ली में चक्का जाम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि यहां तो सरकार ने खुद ही यह काम कर दिया है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में चक्का जाम का विशेष प्रभाव दिखाई देने की आशंका है. इसीलिए दिल्ली पुलिस ने शहर की सभी सीमाओं पर जहां किसान धरने पर बैठे हैं वहां कई प्रतिबंध लगाए हैं. लोहे और कंक्रीट के बैरियरों के अलावा सड़क पर सीमेंट घोल कर डाला गया है, कंटीली तारें बिछाई गई हैं और लोहे की बड़ी बड़ी कीलों को जमीन में गाड़ दिया गया है. गुरूवार को गाजीपुर बॉर्डर पर लगी कीलों को उखाड़ा जा रहा था लेकिन पुलिस ने बाद में पत्रकारों को बताया कि उन्हें हटाया नहीं जा रहा है, सिर्फ किसी दूसरी जगह लगाया जाएगा. अंतरराष्ट्रीय साजिश की जांच इस बीच दिल्ली पुलिस ने "भारत सरकार के खिलाफ वैमनस्य फैलाने" के आरोप में एक एफआईआर दर्ज की है. दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन ने पत्रकारों को बताया कि सोशल मीडिया पर साझा किए गए "टूलकिट" नाम के एक डॉक्यूमेंट को पुलिस ने संज्ञान में लिया है और कहा है कि 26 जनवरी को दिल्ली में जो हिंसा हुई उसे आयोजित करने की हूबहू योजना इस टूलकिट में है. रंजन के अनुसार इसके जरिये "भारत के खिलाफ एक आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक युद्ध शुरू करने की अपील की गई थी". यह टूलकिट स्वीडन की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग ने ट्वीट की थी और कहा था कि यह उनके लिए है जो भारत के किसानों की मदद करना चाहते हैं. जब रंजन से पूछा गया कि क्या ग्रेटा के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है तो उन्होंने बताया कि एफआईआर में किसी का नाम नहीं है. इसके बाद ग्रेटा ने फिर ट्वीट कर कहा कि वो अब भी किसानों के साथ खड़ी हैं और चाहे उन्हें कितनी भी नफरत, धमकियां और मानवाधिकारों के उल्लंघन का डर दिखाया जाये, उनका निर्णय बदलेगा नहीं.

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