Thursday ,21st November 2024

दो गज़ ज़मींन के लिए खून पसीने की कमाई में पिसा हुआ भोपाल का आम आदमी

झोला छाप खबरी

दो गज़ ज़मींन के लिए खून पसीने की कमाई में पिसा हुआ भोपाल का आम आदमी

 

ज़मींन के नाम पर गरीब की रोटी छीनते भू - माफिया ?

 

भोपाल । कहने को प्रदेश की राजधानी भोपाल और भोपाल में लुटता पीटता गरीब पूरी ज़िंदगी की कमाई और सर छुपाने 2 गज़ ज़मींन तो राजधानी के समीप निगम सिमा के  क्षेत्रों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि पर आवासीय प्लाटों और भूखंडों को बेचने का सिलसिला बदस्तूर जारी है, गौर करने वाली बात यह है कि भोपाल के इतने नजदीक इन इलाकों में दर्जनों नहीं बल्कि सैकड़ों कॉलोनाइजर प्रॉपर्टी डीलर्स बिना रेरा और टीएनसीपी समेत अन्य आवश्यक अनुमतियों के प्लाट बेच रहे हैं ।  स्थिति यह है कि कहीं 51 हजार में प्लाट दिया जा रहा है कहीं 49 हजार में तो कहीं प्लॉट की कीमत 700 रुपये वर्गफीट तक वसूली जा रही है । इतने बड़े पैमाने पर चल रहे गैर अनुमति प्राप्त भू - माफिया का कारोबार बहुत बड़े स्तर पर फल फूल रहा है, सूत्रों से प्राप्त जानकारियों के अनुसार भोपाल विदिशा रोड के ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ जगह ऐसी जमीनों पर भी आवासीय भूखंड बनाकर बेच दिए गए हैं जो धारा 16 के अंतर्गत आती है ।यही नहीं जल्द आमिर बनने की चाह इनको इतनी है की गरीबो को लूटने में इस कदर जुट गए है की कईयों के तो रजिस्टेशन भी नहीं है.

 

यही नहीं भोपाल के बैरागढ़ में भू माफिया इतने ताकतवर है की एफटीएल की जमींन और क़ब्जे की जमींन पर भी प्लाट और फार्म हॉउस बेच रहे है और एक घर का सपना लिए एक गारिब अपनी ज़िदगी भर की कमाई इन माफियो को दे रहा है गरीबो की खून पसीने की गाड़ी कमाई को इस कदर ये भू-माफिया झटकने में लगे है की कम दाम में छत देने का वादा लेकिन जिस ज़मींन पर गरीब सर छुपाने के सपने संजोये बैठा है वहा सिर्फ और सिर्फ बर्बादी ही है। 

साथ ही प्लाटिंग के कार्य से जुड़े कई कॉलोनाइजर और बिल्डर्स प्लॉट बेचने के लिए लुभावने वादे करते हुए भव्य गेट बनाने का, रोड बनाने का, सीवेज ड्रेनेज सिस्टम का, पार्क मंदिर बनाने जैसे कई वादे अपने ब्रोशर या अन्य दस्तावेजों में लिख लेते हैं, किंतु सालों पहले बिकी कई कालोनियों के भूखंडों की स्थिति आज भी खेतों जैसी ही है । नतीजतन वहां पहुंचने के लिए पर्याप्त रोड़ों तक की व्यवस्था कॉलोनाइजरों द्वारा नहीं की जाती है, वहीं दूसरी ओर शासकीय अनुमतियों के न होने के कारण यदि लोग वहां निवास भी करने लगे तो उन्हें मूलभूत सुविधाएं  मिलने में काफी समय लग जाता है ।साथ ही छूठ भैया बिल्डर ज़मींन के आम पर खुले आम ठगी कर रहे है। 

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