Thursday ,21st November 2024

झाबुआ - ए.पी.एल.राशनकार्ड धरको के झूठे आंकड़ों के साथ बस बदहाली के आँसू ही दे सकते है

झाबुआ - ए.पी.एल.राशनकार्ड धरको के झूठे आंकड़ों के साथ बस बदहाली के आँसू ही दे सकते है

रिपोटर - भुपेन्द्र बरमण्डलिया

आदिवासी अंचल झाबुआ जिले में भले ही सर्वेक्षण गरीब आबादी की
मोटी तस्वीर दे सकता है। लेकिन सर्वेक्षण के आंकड़े ए.पी.एल.राशनकार्ड
धरको के झूठे आंकड़ों के साथ बस बदहाली के आँसू ही दे सकते है।झाबुआ के
मेघनगर वार्ड क्रमांक 3 में रहने वाली जमना बाई जिसका पति  दिमाग से अर्ध
वीकक्षिपत व विकलांग है इतना ही नही जमना बाई को दो वक्त की रोटी भी ठिक
से नसीब नही हो पाती.. पीड़ित जमना बाई ने बी.पी.एल राशनकार्ड के लिए नगर
परिषद में कई बार आवेदन दिया लेकिन बिना जांच के आवेदन निरस्त कर जमना
बाई को अमिर घोषित कर दिया गया। बीपीएल राशन कार्ड ना होने की वजह से
जमना बाई को शासन की किसी भी योजना का लाभ आज तक नहीं मिल पा रहा है।
 

यह है मेघनगर में रहने वाली असहाय जमना बाई जिनके पास टूटा फूटा
घर तो है लेकिन छत के नाम पर उन्होंने घर की छत पर प्लास्टिक की पन्नी
डाल रखी है..जमना बाई के दो बच्चे हैं लेकिन वो कहने मात्र के ही हैं जो
अपने बूढ़े मां-बाप को उनके बुरे हाल पर छोड़ कर कहीं चले गए। लाचारी से
जूझ बेबस जमना बाई और उनके पति की ओर ध्यान देने वाला कोई नही..जमना बाई
के पति कि बात करे तो पैर से विकलांग है और दिमाग से अर्ध
विक्षिप्त....जमना बाई अपने दिनभर के दाना पानी का जुगड़ा आस पास के घरों
में बर्तन मांज कर दो वक़्त की रोटी जुटाती है। जमना बाई अपनी बेबसी और
शासन की योजना का लाभ लेने के लिए नगर परिषद में बी.पी.एल राशनकार्ड
बनवाने के लिए कई बार गुहार लगा चुकी है.जिससे वे योजना की पात्र
हितग्राही बन सके...क्या अब शासन-प्रशासन जमना बाई की मदद करेगा या फिर
यह परिवार ऐसे ही बदहाली के आंसू बहाते रहेगा।
 

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