मिलावटी दुध और खाद्य उत्पादों पर प्रशासन की सख्ती अब दिखने लगी है
रिपोटर - भुपेन्द्र बरमण्डलिया
झाबुआ - मिलावटी दुध और खाद्य उत्पादों पर प्रशासन की सख्ती अब दिखने
लगी है। कार्रवाई के बाद खुले दुध की बिक्री में कमी आने के साथ आम
ग्राहक का पैकिंग के दुध पर भरोसा बढ़ा है। लगातार कार्रवाई के बाद झाबुआ
स्थित सांची दुग्ध संयंत्र से दुध की बिक्री में 13 फिसदी से अधिक का
इजाफा हुआ है। अमुमन यह स्थिति कार्रवाई के बाद पुरे प्रदेश में देखने को
मिल रही है।
मिलावटखोरों और दुषित खाद्य सामग्री पर मुखमंत्री की सख्ती
के बाद हरकत में आए प्रशासन ने तोबड़तोड़ कार्रवाई की। कई सैंपल लिये जाने
के साथ दोषी पाए जाने पर मिलावटखोरों के खिलाफ रासुका तक की कार्रवाई की
गई। पश्चिमी मध्प्रदेश के आदिवासी झाबुआ जिले में भी लगातार कार्रवाई के
बाद आम ग्राहकों का सरकारी दुग्ध संयंत्र पर भरोसा बढ़ा है और लोग अब
पैकिंग का ही दुध ले रहे है।
राकेश कुमार, ग्राहक (ट्रांसक्रिप्शन- पहले मैं डेयरी से दूध लेता
था, लेकिन मुझे पता चला कि डेरी के दूध में मिलावट आ रही है दूध अच्छा
नहीं आ रहा है। इसलिए अब मैं सांची का दूध लेने लगा हूं क्योंकि सांची का
दूध कई सालों से अपनी क्वालिटी बनाए हुए रखे हैं बहुत अच्छा दूध आता है।
)
जिले में खुले दुध बेचने वालों का बढ़े इलाके पर कब्जा रहा
है। गुजरात से सटे होने के चलते अन्य संस्थाओं का दुध भी झाबुआ पहुंचता
है। कार्रवाई के बाद इनकी बिक्री में कमी आई है और लोगों ने पैकिंग का
दुध खरीदना शुरू कर दिया है।
पवन सारस्वत, दुध विक्रेता (ट्रांसक्रिप्शन- मिलावट वाला दूध जो
मार्केट में ज्यादा आ रहा है, खुली डेरियों में जो मिलावटी दूध मिल रहा
है। उसकी चेकिंग चल रही है। इस कारण सांची के दूध की बिक्री में बढ़ोतरी
हो गई है। लोगों को विश्वास है बरसो पुराना दूध है, इसलिए लोग इस पर बहुत
भरोसा करते है। पहले जो दूसरे ग्राहक नहीं लेते थे वह भी लेने लगे है।
लोगों का विश्वास बनते जा रहा है। )
प्रदेश के 5 संभागों में सहकारी दुग्ध संघों के माध्यम से
516 दुग्ध संयंत्र काम कर रहे है। जिनमें भी झाबुआ भी शामिल है। जिला
मुख्यालय स्थित संयंत्र में प्रतिदिन 19 हजार लीटर की खपत होती है।
कार्रवाई के बाद यह आंकड़ा और बढ़ गया है। स्थानीय संयंत्र में ग्रामीण
स्तर की सहकारी समितियों से लेकर संयंत्र तक गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा
जाता है। यही कारण है कि मिलावट के मामले सामने आने के बाद लोगों का
सांची पर भरोसा बढ़ा है।
एलएन गुप्ता, प्रबंधक सांची दुग्ध संयंत्र (ट्रांसक्रिप्शन-
क्वालिटी के मामले में सांची ब्रांड का इस और ध्यान रहा है। इसी कारण
लोगों का विश्वास जमा हुआ है। यहां समिति से जो दूध आता है समिति से
चेकिंग होने के बाद प्लांट स्तर पर रिचेकिंग होती है। उसके बाद ही दूध
दिया जाता है। प्रशासन द्वारा जो कार्रवाई की जा रही है उससे हमारे
संयंत्र की सेल बढ़ गई है। पिछले दिनों में साढे 17 हजार बिक्री होती थी
अब साडे अट्ठारह हजार दुध जा रहा है )
खास बात-
1. प्रदेश के 5 संभाग और बुंदेलखंड में सांची के दुग्ध संयंत्र स्थापित।
2. प्रदेश में कुल 516 संयंत्र काम कर रहे।
3. प्रदेश में दुध संकलन को लेकर 7 हजार 190 समितियां जुड़ी हुई।
4. प्रदेश की समितियों में कुल 2 लाख 64 हजार 653 सदस्य शामिल।
5. प्रदेश में प्रतिदिन 11 लाख 2 हजार 657 लीटर दुध इकट्ठा किया जाता है।
6. सरकारी दुग्ध संयंत्र के माध्यम से प्रतिदिन 7 लाख 66 हजार 195 लीटर
दुध प्रतिदिन बेचा जाता है।
7. इकट्ठा किये गए दुध के एवज में संघ सालभर में 1430 करोड़ रूपयों का दुध
विक्रेताओं को भुगतान करता है।
8. दुध के साथ अन्य उत्पाद के बिक्री से संघ को प्रतिवर्ष 1751 करोड़ की
आमदनी होती है।
फेक्ट फाइल-
इंदौर भोपाल उज्जैन ग्वालियर जबलपुर बुदंलेखंड कुल
1. युनिट संख्या- 95 172 94 46 87 42 516
2. स्मितिया - 1581 2501 1216 762 857 485 7190
3. सदस्य संख्या-58304 83414 51983 21450 27704 22270 264653
4. दुग्ध संकलन-325345 412097 163512 50628 40413 37146 1102657
क्रिग्राप्रतिदिन
5. दुग्ध विक्रय- 242600 370392 70369 28667 32613 24409 766195
लीटरप्रतिदिन
6. भुगतान - 398.48 513.67 172.94 58.51 38.06 40.67 1430.00
रू करोड़ में
7. विक्रय प्राप्ति- 527.08 691.63 267.83 99.07 101.83 45 1751.00
रू करोड़ में
टोटल नंबर ऑफ फाइल- 17
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