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नाथ की जीवन रूपी वाल के कुछ पन्ने

नाथ की जीवन रूपी वाल के कुछ पन्ने 

राजेंद्र सिंह जादौन 


मध्यप्रदेश के नाथ कमल नाथ जिन्होंने मध्यप्रदेश के 18 वे मुख्य मंत्री की सपथ 17 दिसंबर 2018 को राजधानी के जम्बूरी मैदान से ली और सपथ के तुरंत बाद अपने कार्य स्थल पर जाकर कार्य शुरू किया अगर में नाथ के जीवन के कुछ अध्यय की बात करू तो एक सरल स्वाभाव और सेवा भावी व्यक्तित्व मुझे दीखता है। में नाथ से पहली बार दिल्ली में उनके बंगले पर मिला उस वक्त मुझे पत्रकारिता की इतनी गहरी समझ नहीं थी और में अपने एक कलिक के साथ उनसे मिला था। क्योंकि वो मेरी एक छोटी सी मुलकात थी और पहली बार में किसी के व्यक्तिव पर कोई टिप्पड़ी करना उचित नहीं होता।लेकिन वहाँ से लौटने के बाद मेने नाथ के व्यक्तित्व को समझने उनके डायरी के कुछ पन्ने खंगाले और देखा की इतने सरल और सफल व्यक्ति का राजनीति में क्या काम फिर देखा की राजनीति ही तो समाज सेवा है। लेकिन नाथ जैसे कुछ राजनेताओ को छोड़ दिया जाये तो आज राजनीति सिर्फ एक बड़ा धंधा है। पर नाथ ने इसे हमेशा समाज सेवा और जनता के विकास के लिए उपयोग किया है।  

" अगर नाथ के जीवन और उनके राजनीति की बात की जाये तो उनकी वाल के कुछ पन्ने आप भी देखे ये पन्ने उन्ही की जीवन की किताब से लिए गए है कुछ शब्द मेरे और कुछ शब्द उनके जीवन के है  " 

 1946 का साल था जब देश आज़ाद होने के लिए तैयार हो रहा था, तभी उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर में एक किलकारी गूंजी थी। ये किलकारी थी कमलनाथ की। तब कौन जानता था कि कानपुर का ये लाल मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा की तकदीर बदलने के लिए आया है। देहरादून के दून स्कूल से पढ़ाई करने वाले कमलनाथ ने कोलकाता के सेंट ज़ेवियर कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की। अच्छी पढ़ाई, उज्जवल भविष्य - लेकिन  कमलनाथ के अंदर एक बेचैनी सी थी, आम आदमी का दर्द उन्हें सोचने पर मजबूर करता था कि आखिर कैसे वो उनकी तकलीफ़ दूर कर सकते हैं। यही बेचैनी उन्हें छिंदवाड़ा खींच लाई और महज़ 34 साल की उम्र में वह अपनी कर्मभूमि छिंदवाड़ा से जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंच गए। इस जीत ने  कमलनाथ को छिंदवाड़ा का लाल, उनका सरताज बना दिया।
ज़मीन से जुड़े हुए नेताओं की जब कभी बात होती है तो कमलनाथ का नाम सबसे आगे आता है। भारतीय राजनीति में खासकर मध्य प्रदेश के जनमानस के लिए कमलनाथ का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री की भूमिका में कमलनाथ न केवल देश के विकास में महत्वपूर्ण और बेहद सराहनीय भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि अपने संसदीय चुनाव क्षेत्र छिंदवाड़ा का नाम भी रोशन कर रहे हैं। ये  कमलनाथ के प्रयासों का ही नतीजा है कि राष्ट्रीय ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी छिंदवाड़ा विकास की एक मिसाल बन कर उभरा है। 
यही नहीं मध्य्प्रदेश इन्हे काफी लगाव भी है उत्तर प्रदेश में जन्मे नाथ ने मध्यप्रदेश को ही अपना घर मानकर सेवा की और आज जब वो मध्यप्रदेश के सरताज बने है तब भी उनकी जुबान पर सिर्फ और सिर्फ मध्यप्रदेश के युवा महिला और बच्चो के लिए कुछ करने की ललक साफ दिखाई पड़ती है। 

इतना ही नहीं प्रदेश ने भी उन्हें कभी निराश नहीं होने दिया और उनकी उपलब्धियों को और उनके समाज सेवा के कार्य को स्वीकार किया और उन्हें सार्वजनिक जीवन में उल्लेखनीय योगदान के लिए 2006 में जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया। 
यही नहीं उन्हें राष्ट्री और अंतर्राष्ट्री स्थर पर भी कई सम्मना मिले है। 

2007 में FDI मैगज़ीन और फ़ाइनेंशियल टाइम्स बिज़नेस ने उन्हें FDI पर्सनैलिटी ऑफ़ द ईयर से नवाज़ा। ये सम्मान उन्हें विदेशी व्यापरियों को हिंदुस्तान की तरफ़ खींचने, निर्यात और निवेश को बढ़ावा देने के लिए दिया गया। 2008 में इकॉनॉमिक टाइम्स ने श्री कमलनाथ को ‘बिज़नेस रिफॉर्मर ऑफ़ द ईयर’ का सम्मान दिया। साल 2012 में ‘एशियन बिज़नेस लीडरशिप फ़ोरम अवॉर्ड्स 2012’ के ABLF स्टेटसमैन अवॉर्ड से श्री कमलनाथ को नवाज़ा गया। 
 कमलनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नॉलॉजी के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी हैं।

1980 में छिंदवाड़ा की जनता ने जब कमलनाथ को 7वीं लोकसभा में भेजा, तो फिर उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। विकास के, आम आदमी का दर्द बांटने के जो सपने उनके दिल में बस रहे थे उन्हें सच करने की चाबी उनके हाथ में आ गई थी और यहीं से शुरू हुई एक 34 साल के युवक की छिंदवाड़ा के मसीहा बनने की कहानी। कमलनाथ की योग्यता और काम के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए उन्हें कई महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंपे गए जिनमें उद्योग मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, वन और पर्यावरण मंत्रालय, सड़क और परिवहन मंत्रालय प्रमुख हैं।  कमलनाथ जी की छवि बेहद ईमानदार नेता की रही है और बात करने का उनका सलीका और मर्यादित व्यवहार उन्हें बाकी नेताओं से अलग खड़ा करता है। यही वजह है कि उन्हें 2012 में संसदीय कार्य मंत्रालय की ज़िम्मेदारी भी सौंप दी गई।  कमलनाथ के विपक्षी दलों से मधुर संबंधों का ही ये नतीजा है कि कई बार मुश्किल परिस्थितियों में यूपीए सरकार संसद में कई महत्वपूर्ण बिल पास करा पाई है।  कमलनाथ कांग्रेस के महासचिव भी रहे हैं। 

1979 तक छिंदवाड़ा बेरोज़गारी और ग़रीबी से कराह था। तब एक दिन जनता ने कमलनाथ को रिकॉर्ड मतों से जिता कर लोकसभा में भेजा। कमलनाथ ने छिंदवाड़ा की जनता के अभूतपूर्व प्रेम और विश्वास का मान ही नहीं रखा, बल्कि छिंदवाड़ा की तकदीर ही बदल कर रख दी। उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की नींव रखी, आम आदमी को मूलभूत सुविधाएं दिलाईं, नौजवानों को नौकरियां दिलाईं और बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए अच्छे स्कूलों की नींव रखी।

कमलनाथ उन चुनिंदा लोगों में से एक हैं जो वक्त से पहले भविष्य की नब्ज़ पकड़ लेते हैं। युवाओं को सही दिशा देने और उनके भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए उन्होंने छिंदवाड़ा में कई वोकेशनल कोर्सेज़ के लिए सेंटर खोले हैं। श्री कमलनाथ का मानना है कि महज़ औपचारिक शिक्षा काफी नहीं है। ज़रूरत है लोगों को ऐसे कामों और कलाओं में दक्ष बनाने की जो उन्हें आजीवन मदद करें। यही वजह है कि जो छिंदवाड़ा कभी पिछड़ा हुआ था आज वहां NIIT, CII, FDDI, IL&FS जैसे संस्थान छात्रों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं। ये श्री कमलनाथ की कोशिशों का ही नतीजा है कि छिंदवाड़ा के युवा दूसरे राज्यों में भी अपनी प्रतिभा और कला का लोहा मनवा रहे हैं। आज हर बड़ा संस्थान छिंदवाड़ा में अपना केंद्र खोलने के लिए लालायित रहता है और तमाम बड़ी कंपनियां यहां से छात्रों को चुनने के लिए तत्पर रहती हैं। 

तीन दशकों से भी ज्यादा समय से छिंदवाड़ा का प्रतिनिधित्व कर रहे  कमलनाथ भले ही आज राजनीति के शिखर पर हैं लेकिन उनकी निगाहें हमेशा जमीन पर रहीं, उन गरीबों के दर्द से भीगती रहीं जिनकी सुनवाई कहीं नहीं होती। कमलनाथ ने उन आदिवासियों को भी उतना ही सम्मान दिया जिन्हें दूसरे नेता चुनाव जीतने के बाद अपना वोट बैंक मान कर पांच सालों के लिए भूल जाते हैं।  कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में आदिवासियों और गरीब तबकों के विकास पर पूरा ध्यान दिया और उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने में कामयाबी पाई। मूल रूप से छिंदवाड़ा एक आदिवासी इलाका माना जाता है जिसमें गोंड, प्रधान, भारिया और कोरकू जैसे जनजातियां प्रमुख हैं।  कमलनाथ आदिवासियों के बिखरे हुए समाज तक विकास की लहर को ले गए और काफी हद तक उन्हें आत्मनिर्भर बना चुके हैं। अगर आज छिंदवाड़ा का आदिवासी समाज खुश है, तरक्की की राह पर है और किसी भी मायने में मुख्य धारा से पिछड़ा हुआ नहीं है, तो इसका श्रेय सिर्फकमलनाथ को ही जाता है। 
कमलनाथ का देश के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने पर हमेशा ज़ोर रहा है। 2011 में स्विटज़रलैंड में विश्व आर्थिक फ़ोरम में कमलनाथ ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। वहां उन्होंने विकासशील देशों की अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में सीधी पहुंच की वकालत की। उनका मानना था कि अगर ऐसा हुआ तो किसान अपना माल बिना किसी बिचौलिए के बेच पायेंगे और ज़्यादा मुनाफ़ा कमा पायेंगे।  अपनी किताब ‘India’s Century’ में कमलनाथ ने विश्व स्तर पर भारत के वाणिज्य विकास की संभावनाओं का विस्तार से ज़िक्र किया है। उन्होंने 2014 में डावोस में हुए विश्व इकॉनॉमिक फ़ोरम में भी शिरकत की है।

" शायद इन पन्नो को पढ़ने के बाद आप भी मेरी तरह सोचे और मध्यप्रदेश के विकास में नाथ के साथ कदम से कदम मिलकार नाथ के साथ चले और प्रदेश को एक कमल की तरह खूबसूरत बनायें। "  

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