Thursday ,21st November 2024

नो कमेन्ट - आखिर रेवाड़ी किसने खाई

नो कमेन्ट - आखिर रेवाड़ी किसने खाई 

राजेंद्र सिंह जादौन

     

                विज्ञापन घोटाले पर मध्य प्रदेश विधानसभा में फिर एक बार गहमा गहमी सुरु होगयी है कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने विधानसभा में एक सवाल के जरिए मंत्री नर्वोतम मिश्रा से पूछा कि बीते पांच वर्षो में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रचार और विशेष अवसरों के प्रचार के लिए कुल कितनी राशि खर्च की गई जिसपर मिडिया पर प्रहार करते हुए कई अशोभ्नीय शब्दों का प्रयोग भी हुआ.

                              काँग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने सदन में नर्मदा सेवा यात्रा के विज्ञापन दाताओ और विज्ञापन प्राप्त कर्ताओं को चोरशब्द से संबोधित किया जिस पर सत्ता पक्ष ने जमकर हंगामा किया और जीतू पटवारी से सदन से माफ़ी मांगने की बात कहीं.जीतू पटवारी सदन ने नर्मदा सेवा यात्रा के प्रचार के लिए दिए गए विज्ञापन के खर्च पर दो अलग-अलग उत्तरों से संतुष्ट नहीं थे. जब सत्ता पक्ष से सही उत्तर नहीं मिला तो जीतू ने सदन में कह दिया कि- ये चोरों की मंडली है, चोरों को विज्ञापन देते है, यह उत्तर नहीं दे रहेजिसे अध्यक्ष ने विलोपित करवा दिया। जबकि अपने बयान में कहीं भी जीतू ने मीडिया शब्द का उपयोग ही नहीं किया. लेकिन जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसे मीडिया से जोड़ते हुए सदन में पांच बार दोहराया कि ये मीडिया को चोर कह रहे है,ये मीडिया को चोर कहा है.

                अब ये तो समझ के परे था की मीडिया को चोर कौन कह रहा था, जीतू पटवारी या फिर माननीय मंत्री महोदय. हाला की जीतू पटवारी ने  एक बार फिर अपनी बात कही उन्होंने कहा कि- जो वाकई जर्नलिज्म कर रहे है वो परेशान है, चोरों का एक गिरोह बन गया है जो ओरिजनल जर्नलिज्म वाले परेशान है”.

                   वैसे यह पहला मोका नहीं है जब जनसंपर्क विभाग पर सवाल उठा हो इससे पहले भी काँग्रेस विधायक बाला बच्चन ने कहा था की मिडिया को दिए जाने वाला सारा पैसा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि बनाने के लिए खर्च किया गया है। इस मामले में कुछ खास लोगों को भारी कमीशन अथवा घूूस दी गई है। बच्चन ने एक सूचिका ज़िक्र करते हुए कहा था कि सूची में शामिल कुछ लोग सुपात्र व सामर्थ हैं जिन्हें वाकई विज्ञापन दिया जाना चाहिए। लेकिन इस सूची में अधिकांश नाम सन्देहास्पद है।

                           हालाकी जीतू पटवारी के एक सवाल पर मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने जवाब में कहा की । बीते पांच वर्षो में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रचार पर कुल 1,19,99,82,879 रुपए की राशि खर्च की गई।,‘विशेष अवसरों के प्रचार पर 1,95,43,72,353 रुपए के विज्ञापन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिए गए।

  जल संसाधन मंत्री डॉ. मिश्रा द्वारा सदन में दिए गए जवाब और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को पांच वर्ष की अवधि में दिए गए विज्ञापन पर व्यय हुई राशि को जोड़ें तो वह 3,15,43,55,232 रुपए होती है। जीतू पटवारी का आरोप है कि उन्होंने उन संस्थानों की सूची मांगी थी, जिन्हें विज्ञापन जारी किए गए हैं, मगर वह सूची उपलब्ध नहीं कराई गई।

                  पर जीतू के सवाल ने एक बात तो स्पष्ट करदी है की जो पत्रकार बड़ी महंनत मशक्कत के बाद छोटी मोटी पत्र पत्रिका चलते है उन्हें नियमो का हवाला दिया जाता है और बाकियों के लिए नियमो को ताक पर रख दिया जाता है .बात विज्ञापन तक सिमित नहीं बात पत्रकारों के सभी अधिकारों की है .जो उनतक कभी कभी कबार पहोचते है . जनसंपर्क की बात करू तो मिडिया विभाग में एक सूचि चलती है किसे किस कार्यकर्म में बुलाना है किसे नहीं इस तरह का भेद भाव भी यहाँ आम बात है .पर अभी तक जीतू और मंत्री जी दोनों स्पष्ट नहीं कर पाए है की आखिर रेवड़ी किसने खाई ।

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