मंडी सचिव लगा रहे मंडी बोर्ड को जेब भरने चुना
मंडी सचिव लगा रहे मंडी बोर्ड को जेब भरने चुना
भोपाल / प्रदेश भर में मुख्यमंत्री किसनो के लिए चिंतित है और समय समय पर किसानो को लाभ पहुचाने के लिए प्रयास भी करते रहते है और मुखिया ये भी चाहते है की कृषि को लाभ का धंधा बनाया जाये पर प्रदेश भर की मंडियों में मंडी सचिव मंडी बोर्ड और सरकार को चुना लगाकर अपनी जेब भरने में लगे हुए है । ऐसा ही एक मामला रतलाम की जावरा मंडी का है। जहाँ ओपी खेड़े मंडी सचिव है इन पर मंडी समिति और मंडी अध्यक्ष ने गुमरहा कर जेब भरने के आरोप लगाए है दरसल इस मंडी की अध्यक्ष पार्वती पाटीदार है जो कि पढ़ी लिखी नहीं है। इस कारण मंडी सचिव ओपी खेड़े इन्हे किसी भी जानकारी देने योग्य नहीं समझते और मंडी में अपनी मन मर्ज़ी चलाते है इनके इस रवैये से मंडी समिति और अध्यक्ष ही नहीं बल्कि किसान और व्यापरी भी परेशान है। जिसकी शिकायत वे कई बार मंत्री और मंडी बोर्ड को कर चुके है।
ऐसा नहीं की मंडी बोर्ड ने कोई एक्शन नहीं लिया मंडी बोर्ड ने हाल ही में इनका ट्रांस्फर किया लेकिन अपने काले कारनामो को छुपाने के लिए ये कोर्ट से स्टे ले आये। राज्य कृषि विपाणन बोर्ड भोपाल ने पत्र क्रमांक 10 / 2 क्र ब पार्ट 6 जावरा 1579 भोपाल से 1 अप्रेल 2017 को जारी किया था जोकि अर्नियापीथा मंडी प्रांगण जावरा में 16 भूखंडो को नियम अनुसार नीरस्त करने हेतु सचिव को लिख़ा गया था जो जावरा मंडी के अवाक क्रमांक 12 में 20 अप्रेल 2017 को प्राप्त होना बताया गया है किन्तु ये पत्र मंडी अध्यक्ष को 5 माह बाद 6 /09 /2017 को प्राप्त हुआ जिसकी जानकारी मंडी सचिव ने अध्यक्ष से 5 माह तक छुपकर राखी और नहीं आज दिनाँक तक ईस पत्रको अवलोकन हेतु मंडी समिति के सामने प्रर्स्तुत किया गया।
वही राज्य कृषि विपाणन बोर्ड भोपाल ने पत्र क्रमांक 10 / 2 क्र ब पार्ट 7 जावरा 1667 भोपाल से 25 अप्रैल को जारी किया था जोकि जावरा मंडी में अवाक क्रमांक 162 / 5 मई 2017 को प्राप्त हुआ ये पत्र भी मंडी अध्यक्ष को 06/09/2017 को दिया गया इस पत्र में 36 भूखंडो को अवैध मानकर अतिक्रमण में रखा गया था और कार्यवाही करने के निर्देश प्रबंध संचालक ने दिए थे इस पत्र को भी मंडी समिति के सामने अवलोक के लिए सचिव द्वारा नहीं रखा गया।
अर्नियापीथा मंडी प्रांगण में वर्ष 2014 में पूर्व सचिव द्वारा ज़मीनो को सीमांकन करकर कब्ज़ा लिया गया था पर ओपी खेड़े मंडी सचिव ने इसे भी अपने जेब भरने के लिये प्रशासन को गुमरहा करते हुए पुनः सीमंकन कराकर वह भूमि वापस कर दी और इस सीमांक के दौरान नहीं सचिव ने मंडी समिति को सूचित किया और नहीं अध्यक्ष को वही मंडी में किसानो की जो उपज आती है उसका कुछ भाग बिखर जाता है जिसके लिए नीलामी की जाती है जिसकी आय मंडी समिति को होती थी पर सचिव द्वारा इसे खुले बाजार में 59468 में बेच दिया गया और सरकारी दस्तावेज में इसे नीलाम होना बताया गया जिसकी शिकायत जिला कलेक्टर को मंडी समिति ने 14 / 02 / 2017 को की थी जावरा मंडी में कृषि उपज की निकासी प्रारूप 10 पर हो रही है जबकि प्रदेश के बाहर प्रदेश में या लोकल में मंडियों में अनुज्ञा पर्त्रो के माध्यम से निकासी की जाती है पर जावरा मंडी में सचिव की मनमानी के चलते ये निकासी प्रारूप 10 पर की जा रही है जिसके चलते मंडी को करोडो का टेक्स का चुना लग रहा है। वही मंडी बोर्ड और शासन द्वारा किसानो का भुक्तान चेक से 100 प्रतिशत बंद कर दिया गया है पर इस मंडी में सचिव 100 प्रतिशत भुगतान चेक से कर रहे है।
जिसके कारण किसानो के चेक बाउंस हो रहे है और किसान अपनी मेहनत के पेसो को पाने के लिए भटक रहा है। और सचिव द्वारा सरकारी दस्तावेजों में पूरा भुगतान डिजिटल दिखया गया है और चेक से भुगतान शून्य दिखाया जा रहा है इतना ही नहीं इन सचिव महोदय पर इंदौर कार्यलय द्वारा अपराधी प्रकरण में लिप्त होने पर निलंबन की कार्यवाही भी हो चुकी है ये प्रकरण अभी कोर्ट में विचार आधीन है इन्हे 17/06 /2014 को गिरफ्तार कर भोपाल कोर्ट में धारा 419 ,420 ,एवं 66 ए आई टी एक्ट में पेश किया गया था. इतनी अनियमितता के बाद भी ये सचिव आजभी अपने अमले के साथ मंडी में डेट हुए है जिसपर किसी भी तरह आला कमान का ध्यान नहीं है
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