कांग्रेस के नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम व उनके बेटे कार्ति के घरों पर सीबीआई ने छापा मारा है. छापे मुंबई, दिल्ली, गुरुग्राम और चेन्नई में मौजूद घरों पर मारे गए.
पी चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) से एक कंपनी को क्लीयरेंस दिलवाई. एक दक्षिण भारतीय टीवी चैनल के मुताबिक केंद्रीय जांच एजेंसी ने सिर्फ चेन्नई में ही पूर्व वित्त मंत्री और उनके बेटे कार्ति के 14 ठिकानों पर छापे मारे हैं.मामला पूर्व वित्त मंत्री के बेटे कार्ति चिदंबरम से जुड़ा है. कार्ति पर वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अफसरों की मदद से आईएनएक्स मीडिया को मंजूरी दिलाने का आरोप है.यूपीए सरकार में वित्त मंत्री और गृह मंत्री का पद संभाल चुके पी चिदंबरम ने सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. छापों के बाद चिदंबरम ने कहा, "सरकार, सीबीआई और अन्य एजेंसियों का इस्तेमाल कर मेरे बेटे और उसके दोस्तों को निशाना बना रही है. सरकार का लक्ष्य मेरी आवाज बंद करना और मुझे लिखने से रोकना है." चिदंबरम ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, स्तंभकारों, एनजीओ और सिविल सोसाइटी के संगठनों की आवाज बंद कर रही है.
FIPB से दी गई मंजूरी के बारे में उन्होंने कहा, "FIPB की मंजूरी सैकड़ों मामलों में दी गई. FIPB बनाने वाले पांच सचिवों, FIPB सचिवालय के अधिकारियों और हर केस से जुड़ा प्रशासन, सार्वजनिक अधिकारी हैं. उनमें से किसी के खिलाफ भी कोई आरोप नहीं है. मेरे खिलाफ भी कोई आरोप नहीं है. हर मामले में कानून के मुताबिक कार्रवाई हुई. अनुमति देना या खारिज करने का काम FIPB के पांच सचिवों की भारत सरकार को दी गई सलाह पर हुआ."
वहीं एक दूसरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय भी एयरसेल-माक्सिस डील को दी गई FIPB मंजूरी की जांच कर रहा है. आरोप है कि इस मामले में हवाला से जुड़े नियमों का उल्लंघन किया गया. एयरसेल-माक्सिस डील चिंदबरम के वित्त मंत्री रहते हुए हुई. प्रवर्तन निदेशालय का कहना है, "प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत एयरसेल-माक्सिस डील को दी गई FIPB की मंजूरी की जांच हो रही है. इस मामले में विदेश से आया पैसा करीब 3500 करोड़ था, जबकि सरकार की नीतियों और FIPB गाइडलाइंस के मुताबिक 600 करोड़ रुपये से ज्यादा के बहाव के लिये उपयुक्त अथॉरिटी वित्त मामलों की कैबिनेट समिति है."
प्रवर्तन निदेशालय ने इस केस की प्रगति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है. तीन अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान बीजेपी के नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच से कहा कि उन्हें सीबीआई की तरफ से जवाब मिला है. जवाब में कहा गया है कि मामले की जांच हर एंगल से की जा रही है. इसमें 2006 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान दी गई FIPB मंजूरी भी शामिल है.
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