बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ बाबरी कांड का केस चलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती पर आपराधिक साजिश का केस चलाने का फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की दलील को स्वीकार किया. सर्वोच्च अदालत ने माना कि बीजेपी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत कई नेताओं ने कारसेवकों के सामने भड़काने वाले भाषण दिये. भाषण बाबरी मस्जिद से कुछ ही दूरी पर बनाए गए मंच से दिये गए. सर्वोच्च अदालत ने सीबीआई के सबूतों को ठोस करार देते हुए आडवाणी समेत 10 नेताओं के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र का मुकदमा चलाने का रास्ता साफ कर दिया.
न्यायमूर्ति पीसी घोष और आरएफ नारीमन की बेंच ने राय बरेली ट्रायल कोर्ट की सुनवाई को लखनऊ की सुनवाई के साथ मिलाते हुए ज्वाइंट ट्रायल का आदेश भी दिया. सर्वोच्च अदालत ने मुकदमे के लिए दो साल साल की समयसीमा भी रखी है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट में हर दिन सुनवाई होगी. इस दौरान किसी भी कारण सुनवाई टाली नहीं जाएगी और न ही जजों को ट्रांसफर किया जाएगा. अदालत ने सीबीआई से अभियोजन पक्ष के गवाहों को पुख्ता सुरक्षा मुहैया कराने का भी आदेश दिया है. सुनवाई 19 अप्रैल के ठीक चार हफ्ते बाद शुरू होगी.
आडवाणी, जोशी और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती पर तुरंत प्रभाव से मुकदमा शुरू होगा. वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के पूर्व नेता कल्याण सिंह के खिलाफ सुनवाई बाद में शुरू होगी. कल्याण सिंह इस वक्त राजस्थान के राज्यपाल हैं. राज्यपाल पद के चलते उन्हें संवैधानिक छूट मिली हुई है. कार्यकाल खत्म होने के बाद उनके खिलाफ मुकदमा चलेगा. 16 दिसंबर 1992 को विश्व हिंदू परिषद, बीजेपी और शिवसेना के नेताओं की अगुवाई में सैकड़ों उपद्रवियों ने अयोध्या में मौजूद बाबरी मस्जिद के ढांचे को ढहा दिया. बीजेपी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी उस विध्वंस से पहले राम मंदिर यात्रा भी निकाल चुके थे.
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