रोज आंखों से होने वाले यौन हमले सहती हैं
ज्यादातर भारतीय महिलाएं, रोज आंखों से होने वाले यौन हमले सहती हैं. कभी उनके वक्ष को घूरा जाता है तो कभी कामुक नजरें उनके शरीर को स्कैन करती हैं. इस वीडियो के जरिये ऐसे समाज को कड़ा संदेश दिया गया है.
देश में यौन दुर्व्यवहार आम जिंदगी का ऐसा हिस्सा बन चुका है कि वह हर जगह दिखाई पड़ता है, यहां तक की दफ्तरों में भी. समाज में शिक्षा का विस्तार होने के बावजूद कई लड़कों को लगता है कि महिलाओं के शरीर को अपनी नजरों से टटोलना उनका अधिकार है. कई पुरुष तो बेशर्मी से साथ घूरने लगते हैं. कई बार बहाना खोजकर बेवजह छूते भी हैं.
घर से बाहर निकलने वाली ज्यादातर महिलाएं शाम तो ऐसी ही यातनाएं झेलते हुए वापस लौटती हैं. पुरुषों की तरह वह भी चाहती हैं कि वे कहीं पर आराम से बैठकर बातचीत कर सकें. कोई पहनावे से उनके चरित्र का मूल्यांकन न करें. गर्मी लगने पर उन्हें भी कुर्ता या टीशर्ट फटकाते हुए हवा मारने की इच्छा होती है. लेकिन वो चाहकर भी ऐसा नहीं कर पाती हैं.
शाना अहमद ने अपनी शॉर्ट फिल्म के जरिये ऐसे लोगों को एक कड़ा संदेश दिया है. उनकी फिल्म अंतरात्मा को झकझोरते हुए सवाल करती है कि क्या यही सभ्यता और शिक्षा का निचोड़ है.
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