Thursday ,21st November 2024

बिना विवाह के हर लडक़ी गांव के ही लडक़े के साथ लिव-इन-रिलेशन में

बिना विवाह के हर लडक़ी गांव के ही लडक़े के साथ लिव-इन-रिलेशन में

मुकेश भट्ट 

बालाघाट

 

भारत में मध्यमवर्गीय या गरीब परिवार में लिव-इन रिलेशन अर्थात बिना फेरे लिये ही दाम्पत्य जीवन जीने का मामला जरूर नया लगता हैं। पर यहां के नक्सल प्रभावित एक गांव में ऐसा हैं। यहां पर 13-14 वर्ष की लडक़ी उसी गांव के ही लडक़े के साथ लिव-इन-रिलेशन में अर्थात बिना शादी किये ही दाम्पत्य जीवन में रहने लगती हैं। उनके बच्चे होते हैं और वह भी इसी तरह लिव-इन-रिलेशन बनाते हैं। यहां ना ही तो कोई बारात आती हैं और ना ही जाती हैं। दूसरे गांव से रोटी  बेटीका कोई संबंध नहीं होता हैं। क्योंकि यहां के लोग अभाव में जीते हैं। शादी करने के लिये उनके पास रूपया-पैसा नहीं हैं। इस दौरान वह यह भी नहीं देखते की वह रिश्ते में चचेरा या फुफेरा या अन्य तरहसे भाई-बहिन भी होते हैं।

जानकारी के अनुसार बालाघाट जिले के नक्सल प्रभावित दक्षिण बैहर क्षेत्र की ग्रामपंचायत बिठली के तहत आने वाला ग्राम दुगलई की हकीकत भी यही हैं। जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी दूर पहाड़ी  जंगलों से घिरे इस दुगलई आदिवासी गांव में शादी ब्याह को लेकरकोई परम्परा नहीं हैं। रीति-रिवाज के नाम पर कोई रस्म अदायगी भी नहीं की जाती हैं। बल्कि गांव में ही युवक  युवति अपने मनपंसद के युवक-युवति उसी गांव में पसंद कर साथ में बिना विवाह किये ही दाम्पत्य जीवन जीने लग जाते हैं। जिनके दो-तीन बच्चे भी हैं।

दरअसल यह गांव बुनियादी सुविधाओं से मरहूम हैं। साथ ही विकास की मुख्यधारा से भी कटा  हुआ हैं। ग्रामीण आर्थिक तंगी में रहते हैं। जिसके कारण दोना-पत्तल बनाकर या फिर जंगल से ही कंदमूलके सहारे अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि ना ही तो इसके कारण कोई दूसरी लडक़ी का रिश्ता करने हेतु पहुंचते नहीं हैं। यही कारण हैं कि आपस में उसी गांव में लडक़ा-लडक़ी दाम्पत्य जीवन जीने लगते हैं। शिक्षा का भी यहां पर अभाव हैं। पढ़ाई-लिखाई के लिये भी कोई व्यवस्था नहीं हैं। जिसके कारण बच्चों का भविष्य भी अंधकारमय बने हुये हैं। बल्कि घास-पूस के मकान में रहने वाले इन ग्रामीणों के पास सिर्फ बच्चों का पालन-पोषण भी चुनौती बन गया हैं।हालांकि इस गांव में एक महिला पंच कमली बाई हैं। जो इनका  नेतृत्व करती हैं। पर गांव कीअसुविधा के चलते वह इन ग्राम में लिव-इन-रिलेशनशीप में कोई बदलाव नहीं कर पायी हैं। धुरू,कुसुमलताधुपक सहित ऐसे कई ग्रामीण हैं जो लिव-इन-रिलेशन में रह रहे हैं और उनके  बच्चे भी हैं।

शासन की तमाम योजनाओं के क्रियान्वयन का दावा प्रशासन की ओर से किया जाता हैं। लेकिन जिस तरह से ग्राम दुगलई में यह मामला सामने आया हैं उसमें ना सिर्फ एक तरह  से बाल-विवाह अर्थात 18 वर्ष की उम्र के पश्चात ही शादी करने  बच्चे पैदा करने के लिये जो मुहिम चलायी जाती हैं उसकी भी पोल खोलकर  रखदी है । जबकि यहां पर 13-14 वर्ष में ही साथ में रहकर 18-20 वर्ष की उम्र पहुंचते तक 2-3 बच्चे पैदा हो जा रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा की कोई उपलब्धता नहीं होने के कारण कई बार ग्रामीणों की जानमाल पर बन आती हैं और उन्हें असमय ही मौत के मुंह में  समाजाना पड़ रहा हैं। गांव की पंच कमली बाई के अनुसार ग्रामीणों के पास कोई ऐसा विकल्प नहीं होने तथा आर्थिक तंगी के कारण ऐसा हो रहा हैं। अन्यथा ग्रामीण आपस में कभी भी रिश्ते बनाकर  नहीं रहते वे भी दूसरे गांव की लडक़ी मांगते  देते तथा बारात लेकर जाते।

हालांकि इस तरह के मामले में जब हमारी बात प्रशासन के आला अधिकारियो से हुई प्रशासन ने उस गांव में जन समस्या निवारण शिविर आयोजित करने का निर्णय किया  । प्रशासन का कहना हैं कि आगामी 27 जनवरी को दुगलई में शिविर आयोजित करा कर समस्याओं का निराकरण किया जायेगा। साथ ही लिव-इन-रिलेशन में कम उम्र में गर्भवती हो कर नवजात के जन्म नहीं देने को लेकर भी जनजागरण करने का निर्णय किया गया हैं।

 

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