देश हो गया कमजोर, कर्जदार और जब तक राज्य देगा षिक्षा और करेगा व्यापार तब तक देश रहेगा कमजोर, और कर्जदार.
देश हो गया कमजोर, कर्जदार और जब तक राज्य देगा षिक्षा और करेगा व्यापार तब तक देश रहेगा कमजोर, और कर्जदार.
देश हो गया कमजोर, कर्जदार और जब तक राज्य देगा षिक्षा और करेगा व्यापार तब तक देश रहेगा कमजोर, और कर्जदार.
ओम जैन 195, विकास नगर-14/4 नीमच (म.प्र.) 458441 ,7697765050
शिक्षा देना राज्य का काम नहीं होने से सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का अभाव विद्यार्थियों और देश के भविष्य को बरबाद कर रहा है और सरकारों का विद्यालयों का संचालन करना देश और प्रजा की सुरक्षा को कम कर रहा है और प्रजा को न्याय भी देर से मिल रहा है. क्योंकि राज्य रक्षा करने वाली और टैक्स से चलने वाली संस्था है और राज्य का सारा रुपया सुरक्षा-व्यवस्था और न्याय-व्यवस्था के लिए है. सरकारें सुरक्षा-व्यवस्था और न्याय-व्यवस्था की आवष्यकताओं में कमी रखकर विद्यालयों का संचालन कर रहीं है और न्यायाधीषों, सेना और पुलिस का वेतन कम रखकर
उनके हक के वेतन में से
प्रोफेसरों और टीचरों को वेतन दे रहीं है.
सरकारें सैन्य और पुलिस बलों की कमी, आधुनिक शस्त्रों-उपकरणों और साधनों आदि की कमी, जेलों और थानों की कमी, न्यायालयों और न्यायाधीषों की कमी, सड़कों की कमी, सड़कों के रख-रखाव की कमी, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल सड़कों की कमी, मेट्रो और बुलेट ट्रेनों के अनुकूल पटरियों की कमी और पोर्ट-एयरपोर्ट आदि की कमी रखकर इन्हीं कामों को पूरा करने का राज्य का अधिकांष रुपया राज्य विरोधी कामों में जैसे यात्री जहाजों, हवाईजहाजों, बसों, रेलों, भाड़ा मालगाड़ियों और समस्त सार्वजनिक सरकारी उद्योगों-बैंकों आदि के संचालन में फूंक रहीं है. ये सारे काम राज्य विरोधी इसलिए है कि इनका संचालन व्यापार का हिस्सा है और राज्य व्यापारी नहीं है. इसी तरह से बांध बनाना राज्य का काम है, लेकिन सार्वजनिक बिजली का उत्पादन और आपूर्ति करना राज्य का काम नहीं है. क्योंकि उत्पादन और पूर्ति करना व्यापार की श्रेणी में आ जाता है. सरकारों के व्यापार करने से देष में व्यापार घट गया और व्यापार के घटने से बेरोजगारी बढ़ गयी और रुपया गिर गया और रुपए के गिरने से देष हर तरह से कमजोर हो गया और डोनेषन के रूप में विदेषी भीख और कर्जों का मोहताज हो गया. इसी तरह से सरकारों का विद्यालयों का संचालन करना भी राज्य विरोधी कृत्य है. क्योंकि राज्य षिक्षक नहीं है. सरकारों का राज्य विरोधी कामों में राज्य का सुरक्षा-व्यवस्था और न्याय-व्यवस्था का रुपया फूंकने से देष की सुरक्षा-व्यवस्था, न्याय-व्यवस्था और अर्थ-व्यवस्था कमजोर हो गयी.
सैन्य और पुलिस बलों की कमी से और आधुनिक षस्त्रों-उपकरणों, साधनों आदि की कमी से सेना और पुलिस के जवान लगातार षहीद हो रहे है तो जनता जान-माल से हाथ धो रहीं है और न्यायालयों और न्यायाधीषों की कमी से जनता को न्याय अति विलंब से मिल रहा है.
सड़कें बनवाना, पटरियां बिछवाना और पोर्ट-एयरपोर्ट बनवाना पूर्णरूप से राज्य का काम है. क्योंकि इनका निर्माण सुरक्षा-व्यवस्था का हिस्सा है. इसलिए पोर्ट-एयरपोर्ट, रेलवे लाइनों और सड़कों पर राज्य का पूर्ण आधिपत्य रहना चाहिए. लेकिन यात्री जहाजों, हवाईजहाजों, बसों, रेलों, भाड़ा मालगाड़ियों और उद्योगों-बैंकों आदि का संचालन करना राज्य का काम नहीं है. क्योंकि इनका संचालन व्यापार का हिस्सा है. तो सरकारों को इनका पूर्णरूप से निजीकरण करना चाहिए, लेकिन सरकारों ने इनका संचालन तो अपने हाथ में रखा और सड़कों को निजी हाथों में दे दिया. सरकारों के इन्हीं राज्य विरोधी कामों को करने से नाजायज टोलटैक्स पैदा हुआ और सरकारी यात्री जहाजों, हवाईजहाजों, बसों, रेलों, भाड़ा मालगाड़ियों और व्यापार-उद्योगों और बैंकों आदि ने देष को भयंकर घाटा दे-दे कर रुपए को गिरा दिया और देष को हर तरह से कमजोर, कर्जदार और भिखारी बना दिया और प्रजा को न्याय के लिए तरसा दिया. अतः सरकारें राज्य के अधीन चलने वाले यात्री जहाजों, हवाईजहाजों, रेलों, बसों, भाड़ा मालगाड़ियों और समस्त सार्वजनिक व्यापार-उद्योगों और बैंकों आदि का निजीकरण करें और निजीकरण से प्राप्त हुए धन से पहले विदेषी कर्ज चुकाएं ताकि देष को विदेषी कर्ज और ब्याज से मुक्ति मिले. फिर सरकारें आंतरिक कर्ज चुकाएं. टोल कम्पनियों को भुगतान कर देष की सड़कों को टोलनाकों से मुक्त कराएं, न्यायालयों और न्यायधीषों की कमी को पूरा करें और सुरक्षा-व्यवस्था के अधूरे कामों को पूरा कर सुरक्षा-तंत्र को मजबूत बनाएं.
राज्य के अधीन चलने वाले यात्री जहाजों, हवाईजहाजों, रेलों, बसों, भाड़ा मालगाड़ियों और समस्त सार्वजनिक सरकारी व्यापार-उद्योगों और बैंकों आदि का निजीकरण होते ही उनका विकास और विस्तार तेजी से होगा और बेरोजगारी समाप्त होगी और पेट्रोलियम पदार्थ आदि के आयात के मुकाबले निर्यात ज्यादा होगा और देष हर तरह से समृद्ध होगा और रुपया डाॅलर से ऊपर होगा.
सारांष- राज्य को बनाते ही षिक्षक और व्यापारी देष हो गया कमजोर, कर्जदार और भिखारी और जब तक राज्य देगा षिक्षा और करेगा व्यापार तब तक देष रहेगा कमजोर, और कर्जदार.
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