Sunday ,16th March 2025

2024 में सुप्रीम कोर्ट ने एक भी मौत की सजा की पुष्टि नहीं की

आमिर अंसारी

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली ने भारत में मौत की सजा पाने वाले कैदियों पर एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने लगातार दूसरे साल एक भी कैदी की मौत की सजा की पुष्टि नहीं की.
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के क्रिमिनिल जस्टिस प्रोग्राम प्रोजेक्ट 39ए की रिपोर्ट कहती है कि एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित रिकॉर्ड के मुताबिक, 2024 के आखिर तक मौत की सजा पाने वाले 564 कैदी देशभर की जेलों में बंद थे. यह संख्या दो दशकों में सबसे अधिक है.

वहीं 31 दिसंबर 2024 तक देश भर की निचली अदालतों में 139 मौत की सजाएं सुनाई गईं.

"भारत में मृत्युदंड: वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट 2024" नाम से छपी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में निचली अदालतों द्वारा सुनाई गई 139 मौत की सजाओं में से 87 (62 प्रतिशत) हत्या के मामलों में और 35 (25 प्रतिशत) यौन अपराधों से जुड़ी हत्याओं के मामलों में सुनाई गईं. यह पिछले साल से उलट है, जब यौन अपराधों से जुड़ी हत्याओं (59) के मामलों में साधारण हत्या के मामलों (40) की तुलना में ज्यादा मौत की सजाएं सुनाई गई थीं.

साल 2023 में निचली अदालतों ने 122 मौत की सजाएं सुनाई थीं.
सुप्रीम कोर्ट से राहत
2024 में सुप्रीम कोर्ट ने छह अपीलों पर सुनवाई की. इसने पांच मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया जबकि एक को बरी कर दिया गया. रिपोर्ट कहती है कि यह लगातार दूसरा साल था जब सुप्रीम कोर्ट ने एक भी मौत की सजा को मंजूरी नहीं दी.

रिपोर्ट में कहा गया, "साल 2021 से पिछले वर्षों के रुझानों को जारी रखते हुए, कोर्ट ने अपने मृत्युदंड से जुड़े फैसलों में अभियुक्त के जीवन इतिहास, जेल आचरण और मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन से संबंधित रिपोर्टों पर भरोसा किया."

यह प्रोजेक्ट 39ए द्वारा प्रकाशित भारत में मृत्यु दंड: वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट का नौवां संस्करण है.

रिपोर्ट के मुताबिक, "यौन अपराधों के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा में 2019 के बाद से उल्लेखनीय कमी देखी गई, लेकिन हाई कोर्ट द्वारा पुष्टि और सजा में बदलाव (जहां मृत्युदंड को बिना किसी छूट की संभावना के आजीवन कारावास में बदल दिया गया) यौन अपराधों से संबंधित थे." देश भर के हाई कोर्ट - हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब और तेलंगाना ने 9 दोषियों की मौत की सजा की पुष्टि की.
2019 से बढ़े मौत की सजा पाने वाले
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि साल 2019 से मौत की सजा पाने वाले दोषियों की संख्या में वृद्धि हुई है. 2019 में मौत की सजा पाए कैदियों की संख्या 378 थी, जो 2020 में बढ़कर 404 हो गई. इसके बाद साल 2021 में 490, 2022 में 539, 2023 में 554 और साल 2024 के आखिर में यह संख्या 564 हो गई. वहीं महिला कैदियों की संख्या साल 2024 में 17 थी.
रिपोर्ट में मौत की सजा पाए दोषियों की उच्च संख्या के लिए "निचली अदालतों में मौत की सजा के उच्च प्रावधान और हाई कोर्ट में मौत की सजा के खिलाफ अपील के निपटारे की कम दर" को जिम्मेदार ठहराया गया है. साल 2024 में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 34 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई, उसके बाद केरल में 20 और पश्चिम बंगाल में 18 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई.

दिल्ली, त्रिपुरा, असम और जम्मू-कश्मीर में किसी भी कैदी को साल 2024 में मौत की सजा नहीं सुनाई गई.

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