Friday ,18th October 2024

जन चर्चा कलेक्टर से भू माफिया की सांठ गांठ?

वाह कलेक्टर साहब आपने तो कमाल करदिया,2019 तक जो भूमि चरनोई थी 2024 में निजी कैसे होगई?
 

संवाददाता -मुकेश शर्मा

मौ/भिंड। जिले की मौ तहसील के मौ नगर में स्थित शासकीय चरनोई भूमि सर्वे क्रमांक  3168/1, 3184/1, 3162, 3147 रकबा 5 बीघा 9 विश्वा गौचर भूमि को कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने  भू माफिया से सांठ कर निजी घोषित करदी।भू माफिया ने आज से लगभग 20 वर्ष पहले कूटरचना से सरकारी दस्तावेजों में उक्त चरनोई भूमि को अपने नाम चढ़ावा लियाथा। जिसकी  शिकायत कलेक्टर के यहां हुई शिकायत पर जांचोपरांत तहसीलदार मौ ने प्रकरण दर्ज कर कारवाई शुरू की भू माफिया  को तहसील न्यायलय से कई नोटिस भेजे गए परंतु नोटिस लेने से इंकार कर दिया  शिकायत कर्ताओं ने भू माफिया के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही कर भूमि को पुनः शासकीय नोइयत चरनोई दर्जकराये जाने की मांग सभी संबंधित अधिकारियों से की थी।शिकायत में बताया कि कस्वा मौ में स्थित उपरोक्त भूमि मौ-श्योंढा रोड से लगी हुई भूमि है और उक्त भूमि का बाजारू मूल्य वर्तमान में लगभग 10 करोड़ है। भूमि वर्ष 2019 तक शासकीय चरनोई थी खसरा सम्बत् 2010 लगायत 2014 एंव 2015 लगायत 2019 में यह भूमि निस्तार चरनौई की भूमि थी  जिस पर कभी भी खेती नहीं हुई। सर्वे कमांक 3168 के उत्तर दिशा की तरफ  अन्य व्यक्तियों के स्वामित्व के सर्वे क० 3146, 3165, 3163, 3153, 3148 व अन्य सर्वे क्रमांक लगे हुये हैं।इसके अलावा  मौ-श्योडा रोड से खेतों  तक जाने का रास्ता इसी शासकीय सर्वे नम्बर 3168 में से  है।बर्तमान मे सर्वे क 3146 में तिलक सिंह जाटव एंव अन्य लोगों के मकान  में बने हुये हैं । प्रमोद कुमार एंव अशोक कुमार पुत्रगण शान्ती कुमार भू-माफिया  हैं  शासकीय भूमि को हड़पना का इनका मुख्य पेशा है शासकीय सर्वे क्रमांक 3168 को 3168/1 कायम कराके फर्जी रूप स अपने नाम करा लिया है और सर्वे क्रमांक 3168/2 को खन्ती के रूप मे इन्द्राज करा दिया था।इस फर्जी।बाड़े की शिकायत  एसडीएम गोहद,कलेक्टर भिण्ड संजीव श्रीवास्तव एंव तहसीदार मौ को कीगई।शिकायत में इस इस बात का दस्तावेजीय उल्लेख किया गया कि उक्त भूमि शासकीय चरनोई है जिसका फर्जी विकय पत्र अशोक कुमार एवम प्रमोद कुमार नेअपने रिश्तेदारों बसंत कुमार आदि से वर्षो पहले अपने नाम से करा कर और विकय पत्र के आधार पर नामान्तरण करा लिया है ऐसे फर्जी इन्द्राज के आधार पर भूमि भूखंडों के रूप मे अन्य लोगों को विक्रय करना चाहते हैं। शिकायत पर कलेक्टर ने तहसीलदार मौ को जांच के आदेश दिए जिसपर पटवारी ने पूर्व के राजस्व रिर्कोड के अनुसार जांच।की जांच में  सर्वे क्रमांक 3168 को आम रास्ता पाया गया।जांच रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार ने प्रकरण दर्ज कर सुनवाई की सुनवाई के दौरान प्रमोद एवम अशोक को 03/05/2024,से कईबार मौका दिया पर  प्रमोद कुमार जैन ने नोटिस लेने से इंकार कर दिया न सुनवाई में उपस्थित हुए और न ही प्रकरण में सुनवाई के दौरान कोई दस्तावेज पेश किए।इसलिए तहसीलदार का प्रकरण क्रमांक 0081 आदेश दिनांक 08/11/2011 एवं धारा संख्या 59 के अनुसार खसरा नंबर 3168/1 का क्षेत्रफल 3760 (वर्ग मी.) व्यपवर्तित किया गया।
तहसीलदार द्वारा प्र. क.0009/4-121/2024-25 एवं आदेश दिनांक 11/05/2024 के अनुसार दिनांक 24/06/2024 को निजी से शासकीय, नौईयत एवं खसरा टिप्पणी में परिवर्तन दर्ज करदी उसके बाद भू माफिया ने अपने रिश्तेदार एसडीएम के माध्यम से कलेक्टर से सेटिंग की ओर कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने तहसीलदार का आदेश सोमोटो में लेकर निगरानी   में लेलिया और कलेक्टर द्वारा प्र. क्र.0019/निगरानी/2024-25 एवं आदेश दिनांक 11/07/2024 के अनुसार दिनांक 26/07/2024 को शासकीय से निजी एवं खसरा टिप्पणी में परिवर्तन करदी और भू माफिया को दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश ऑर्डर सीट पर देदिए।इसके अलावा कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने पीठासीन अधिकारी तहसीलदार के विरुद्ध केस दर्ज करने के आदेश भी दिया।अब सवाल यह पैदा होता है कि जब 2019 तक उक्त भूमि की नोइयत चरनोई थी तो कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को भू माफिया ने येसे कौन से दस्तावेज उपलब्ध कराए जिन से भूमि निजी साबित होती है।इसके अलावा एक पीठासीन अधिकारी के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध करने का अधिकार है क्या इन सवालों के ज़बाब न तो कलेक्टर के पास हैं और न जनप्रतिनिधियों के पास?अब चौराहों पर साहेब के यही चर्चेहैं कि साहेब हद करदी आपने!.. जारी...!

 

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