Friday ,18th October 2024

सड़क परिवहन निगम का अस्तित्व ख़त्म कर निगम की प्रॉपटी पर नेताओं के चंदा दाताओ का कब्ज़ा ?

 

श्याम सुन्दर शर्मा

भारतीय जनता पार्टी के वर्ष 2003 के चुनावी घोषणा पत्र पर अमल करें वर्तमान की सरकार तो सड़क परिवहन निगम अस्तित्व में आ सकता है  सरकार पर बिना किसी अतिरिक्त आर्थिक भार के चल सकता है सड़क परिवहन निगम  लाभदायक अनुबंध निति जिसका जन्मदाता मध्य प्रदेश संडक परिवहन निगम स्वयं था यदि जारी रखी  जाती तो जो मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम परिसपन की और है वह नहीं होता .
 मध्य प्रदेश सड़क परिवहन की अनुबंध नीति पड़ोसी राज्यों ने अपना कर उनकी अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में सफलता प्राप्त की लेकिन जिस प्रदेश ने सार्वजनिक परिवहन सेवा अनुबंध नीति के तहत घाटे में चल रहे निगम को प्रॉफिट/ लाभ प्राप्त करना में सफलता प्राप्त की/  लाकर खड़ा कर दिया जिस कारण मध्य प्रदेश की सार्वजनिक परिवहन सेवा अनुबंधित नीति को दूसरे राज्यों ने अपना लिया और बेहतर परिवहन सुविधा उपलब्ध कराना प्रारंभ किया वहीं मध्य प्रदेश के कुछ एक सार्वजनिक परिवहन निगम से जुड़े हुए व्यवस्थापकों जिम्मेदारो के  व्यक्तिगत हित तथा कुप्रबंधन के कारण से आज मध्य प्रदेश में सार्वजनिक परिवहन सुविधा निजी हाथों में है*! 


देश के 11 पडोसी राज्यों में दिल्ली/ हरियाणा/ पंजाब / उत्तर प्रदेश /हिमाचल /जम्मू कश्मीर/ महाराष्ट्र /गुजरात / राजस्थान/ छत्तीसगढ़ / मध्य प्रदेश सहित बेहतर परिवहन सुविधा देना वाला राज्य जो पडोसी राज्यों की बेहतर परिवहन सेवाओं के लिए  हमेशा उदाहरण रहा उस राज्य में ही सर्वजनिक परिवहन सेवाओं को सरकार की इच्छा शक्ति नहीं होना और कुछ तथाकथितों के व्यक्तिगत लाभों  माफिया गिरी के कारण से आम यात्रियों आमजन से सार्वजनिक परिवहन सेवा छीन ली गई  !
  *इच्छा शक्ति परिवहन क्षेत्र से जुड़े हुए सरकारी जिम्मेदार और सरकार अपने आप में पैदा करे तो सार्वजनिक परिवहन सुविधा फिर से निगम के माध्यम से दी जा सकती है ! 
अतिरिक्त ज्यादा कुछ नहीं नाम मात्र के आर्थिक भार सरकार पर आयेगा  और सड़क परिवहन निगम की हजारों करोड रुपए की जो संपत्ति का जो खेल बंदर बांट का जारी है वह प्रतिबंध होगा स्थाई संपत्ति सुरक्षित हो जाएगी* 
सड़क परिवहन निगम की संपत्ति पर प्रदेश के विभिन्न शहरों में सड़क परिवहन निगम के डिपो कार्यालय हुआ करते थे /है उन प्रत्येक डिपो कार्यालय में पूरे प्रदेश में प्रति एक में एक कुल  विभिन्न देवी देवताओ के 52 मंदिर हैं! वर्तमान में सभी डिपो  खंडार बने हुए हैं अधिकतम के आसपास आगे पीछे स्थानीय अतिक्रमण माफिया द्वारा अतिक्रमण कर रखा है कुछ डिपो  कार्यालयों की संपत्ति पर परिवहन विभाग ने अपने कार्यालय खोल रखे हैं!
 पूरे प्रदेश में लगभग 78 बड़े बस स्टैंड और छोटे/अस्थायी 47 बस स्टैंड पर भी अधिकतर  संपत्ति भी अतिक्रमण की चपेट में है 78 बस स्टैंड में से 44 बस स्टैंड मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम द्वारा स्वयं द्वारा की गई कमाई के माध्यम से प्राप्त लाभ के द्वारा खरीदे गए थे बाकी के बस स्टैंड शहरी निकायों के रहे*  
मध्य प्रदेश से वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश का विखंडन कर छत्तीसगढ़ राज्य बनाने की घोषणा के साथ-साथ मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम का भी बंटवारा किया गया बंटवारे की शर्त अनुसार मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ राज्य को रायपुर/ बिलासपुर/ भिलाई/ दुर्ग/ रायगढ़ मैं जो राज्य परिवहन निगम की संपत्ति थी एवं जो कर्मचारी कार्यरत थे जो बसे वाहन संचालन हो रही थी उन सबको मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़  राज्य को सौंप दिया गया 
 छत्तीसगढ़ राज्य में मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम का आज तक गठन नहीं हुआ /नहीं किया गया क्यो की विघटन के बाद  छत्तीसगढ़ सड़क परिवहन प्रबंधन के जिम्मेदारों की मानसिकता मध्य प्रदेश के प्रबंधनों के जिम्मेदारों की तरह ही रही जबकि उत्तर प्रदेश से जब उत्तरांचल राज्य बनाया गया तो उत्तर प्रदेश की भांति उत्तरांचल ने भी तत्काल सड़क परिवहन निगम का गठन कर सड़क परिवहन निगम के मध्यम से वाहनों का संचालन प्रारंभ किया इस प्रकार बिहार राज्य के सड़क परिवहन निगम को बंद करने का निर्णय हुआ लेकिन जनहित देसी सामाजिक महान बहुत के द्वारा कर्मचारी संगठन के संयुक्त प्रयास से हाई कोर्ट में जाण्याची का प्रस्तुत की गई जिसका निराकरण करते हुए माननीय न्यायालय ने बिहार सड़क परिवहन निगम के माध्यम से वाहनों का संचालन प्रारंभ किया जो  आज सबसे बेहतर परिवहन सुविधा उपलब्ध  करने वाले राज्यों में से एक राज्य बना हुआ है! 
1992 से  मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम की आर्थिक स्थिति को कमजोर करना तत्कालीन सरकार ने प्रारंभ किया 1998 तक सड़क परिवहन निगम की आर्थिक स्थिति को इतना कमजोर कर दिया कि वाहनों की संख्या कम होती चली गई और कर्मचारियों की संख्या बढ़ती गई वही तत्कालीन सरकार की लापरवाहियों के कारण से प्रदेश की सड़कों की हालत बहुत ही खराब होने से सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र की यातायात सुविधा पूर्णता गड़बड़ा गई
*मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम के अस्तित्व को खतरा पहुंचाने के लिए बंद करने की स्थिति निर्मित हेतु जहां पर यात्रियों की भरमार थी  यात्री संख्या का दबाव था जो राष्ट्रकृत मार्ग थे जिस पर सड़क परिवहन निगम का ही अधिकार था उन अधिकार वाले मार्गों पर 25 किलोमीटर 50 किलोमीटर के अनुज्ञा पत्र जारी किए जाकर मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम की वाहनों के आगे आगे समानांतर रूप से वाहनों का संचालन निजी मोटर मलिक को सौपा गया 25/ 50 किलोमीटर के अनुज्ञा /परमिट की आड़ में निजी मोटर मलिको द्वारा, परिवहन के जिम्मेदारों से साठ गांठ कर 200 से 250 किलोमीटर वाहनों का संचालन प्रारंभ कर दिया गया जो मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम की वाहनों के लिए लाई इलाज बीमारी साबित हुआ इसका विरोध भी कर्मचारी प्रतिनिधियों ने किया लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई गढ़ जोड़ की ताकत के आगे कर्मचारी संगठन प्रतिनिधि साबित हुए प्रदेश में हाहाकार मचाने लगा  तत्कालीन सरकार का विरोध होना प्रारंभ हुआ तत्कालीन सरकार के सरकारी कर्मचारी के साथ-साथ  सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों के वेतन भत्तों की की स्थिति भी गड़बड़ा गई 20 से 30 माह तक कर्मचारियों को वेतन लबित हो गया /प्राप्त नहीं हुआ परेशान, कर्मचारी एवं कर्मचारी संगठनों द्वारा एकजुट होकर अपनी आवाज को बुलंद किया गया एवं तत्कालीन सरकार के जिम्मेदारों तथा विपक्ष के जिम्मेदारों से चर्चा की गई तत्कालीन सरकार ने विचार विमर्श नहीं किया गया विपक्ष में भारतीय जनता पार्टी की तत्कालीन लोकप्रिय सर्व मान्य नेता जो तत्कालीन सरकार  श्री दिग्विजय सिंह सरकार के जन् विरोधी नीतियों का प्रचार प्रसार कर सत्ता परिवर्तन की पहल कर रही थी उन्होंने सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों की पीड़ा को समझा 2003 के चुनावी घोषणा पत्र में घोषणा पत्र के पेज क्रमांक 16 के सरल क्रमांक 4 पर यह उल्लेखित किया कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने पर कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा सड़क परिवहन निगम का उत्थान किया जाएगा प्रदेश की जनता ने जन देश भारतीय जनता पार्टी को दिया उमा भारती जी मुख्यमंत्री बनी प्रदेश के आम नागरिकों की भांति मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी उनके परिवार एवं मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम में आस्था रखने वाले आमजन मन में सड़क परिवहन निगम के  उत्थान कि आशा जागृत हुई और विश्वास हुआ कि निश्चित रूप से उमा भारती जी के कार्यकाल में सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों का हित भी होगा सड़क परिवहन निगम का उत्थान भी होगा! 
लेकिन शायद जो होना था /होना चाहिए था/ होने वाला था वह सब कुछ थम सा गया 
उमाभारती जी हुबली कांड के कारण प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा/त्याग प्रत्र दे चुकी थी 
उनके  मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा/त्याग प्रत्र देने के कारण से जो आशा की किरण  निगम के उत्थान की थी वह बुझी गई ! 
उमाभारती जो के स्थान पर आदरणीय बाबूलाल गौर जी को मुख्यमंत्री का दयित्व प्राप्त हुआ श्री गौर साहब को  भी सड़क परिवहन निगम के अस्तित्व को बनाए रखने हेतु कर्मचारियों को हितों एवं लंबित वेतन भुगतान के संबंध में कई चर्चाएं हुई  घोषणा पत्र के बारे में बताया गया ! लेकिन गौर साहब के समक्ष भी गढ़ जोड़ भारी पड़ा कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि कमजोर साबित हुए समय  पर वेतन नहीं मिलने के कारण से दुखी कर्मचारियों द्वारा सरकार की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के तहत नाम मात्र की धनराशि के बदले 11500 कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा क्योंकि कर्मचारियों को भयभीत होकर नौकरी छोड़ने हेतु स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लागू कर दी गई थी
  परिणाम यह निकला की 2 जनवरी 2005 को आदरणीय बाबूलाल जी गौर साहब जो अब इस दुनिया में हम सब के बीच नहीं है जो  मुख्यमंत्री रहते हुए किसी शासकीय कार्यक्रम में ग्वालियर पहुंचे थे ग्वालियर में  किसी ✒ कलमकार /प्रत्रकार द्वारा गौर साहब से सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों की समस्याओं के निदान हेतु  आमजन की परिवहन समस्या के निदान हेतु कर्मचारियों के लंबित वेतन भुगतान के संबंध में प्रश्न किया/ जनकारी लेने पर तत्कालीन आदरणीय मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन श्री बाबु लाल गौर साहब द्वारा भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में उल्लेखनीय घोषणा को नजर अंदाज करते हुए सड़क परिवहन निगम के परीसमापन की घोषणा एक पत्रकार वार्ता में कर दी एक बहुत ही बड़ा गढ़जोड़ जो सड़क परिवहन निगम की प्राइम लोकेशन की संपत्ति सड़क परिवहन निगम के एकाधिकार वाले यातायात यात्रियों के अधिक संख्या मैं यात्री मिलने वाले मार्गो  पर जहां निजी मोटर मालिक वाहन संचालन नहीं कर सकते थे उन्हें उन मार्गों को हस्तांतरित करने एवं महान संचालित करने हेतु व्यवस्था बना दी/ अवसर प्रदान किया/ मौका दिया वह सब सफल हुए! 
सड़क परिवहन निगम के अस्तित्व को खत्म करने की घोषणा हो गई घोषणा के बाद भी कर्मचारी संगठनों प्रति निधियो ने हार नहीं मानी इसका विरोध प्रारंभ किया जो जारी है! 
राजनीति समीकरणों के बदलावों के कारण बाबूलाल  गौर जी के स्थान पर प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के और से, मुख्यमंत्री का दायित्व आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी को प्राप्त हुआ शिवराज सिंह चौहान जी से तत्काल परिवहन मंत्री एवं अन्य जिम्मेदारों से प्रदेश की परिवहन लचर व्यवस्था निगम के कर्मचारियों की समस्या निदान हेतु कई  बार चर्चा की/ हुई परंतु उन्होंने एक लाइन में यह कहकर अपने आप को सुरक्षित करने की कोशिश की और बोला की मुझे सड़क परिवहन निगम बंद करना विरासत में प्राप्त हुआ है तो यह बंद तो होगा ही और उनके कार्यकाल में यह पूर्ण रूप से बंद होने की स्थिति में आ गया
मतलब शिवराज जी भी सड़क परिवहन निगम के अस्तित्व को सुरक्षित रखने एवं परिवहन व्यवस्था आमजन को सुगम सुलभ सस्ती उपलब्ध कराने के  प्रयासों को नजर अंदाज करते रहे ! 
अब भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री के रूप में डॉ मोहन यादव जी स्थापित है परिवहन की बेहतर सुविधाओं को उपलब्ध कराने हेतु वह संजग है ऐसा प्रतीत होता है 
उन्होंने प्रदेश में परिवहन चौकिया के माध्यम से हो रहे परिवहन क्षेत्र के भ्रष्टाचार को प्रतिबंध समाप्त करने  हेतु मध्य प्रदेश की सीमाओं पर परिवहन चौकिया जो वर्षों से स्थापित थी जिनको बंद करने के आदेश निर्देश जारी किए गए और उनको अमल लाये  भी 
जबकि परिवहन चोकीयो के बंद नहीं किया जाये इस हेतु प्रत्यक्ष /प्रत्यक्ष विरोध भी हुआ चौकिया को बंद किया जा चुका है
 ऐसा प्रतीत होता है कि  डॉ मोहन यादव मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश शासन और परिवहन मंत्री मध्य प्रदेश शासन तथा वर्तमान के परिवहन के जिम्मेदार अब सर्वजनिक परिवहन यातायात  सुगम सुलभ सस्ती बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने हेतु इस बारे में विचार  विमर्श करेंगे  चिंता चितन करते हुए  मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम के अस्तित्व को खड़ा करने की पहल कर आम जनता को अन्य राज्यों की भांति सड़क परिवहन निगम के माध्यम से परिवहन सेवा उपलब्ध कराने में सफल होंगे /निर्णय लेने भारत के संविधान के चौथे स्तंभ की पहल पर और आमजन समूह के मन की भावनाओं को आधार मानक

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