वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है, जिससे विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत किया जाता है। पौराणिक मान्यता ह कि सावित्री ने बरगद के पेड़ के नीचे अपने मृत पति के जीवन को वापस लाया। यमराज को अपने पुण्य धर्म से प्रसन्न करके आशीर्वाद प्राप्त किया था। यही कारण है कि वट सावित्री व्रत पर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं।
इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। सावित्री ने यमराज से 100 पुत्रों की माता होने का वरदान मांगा था। यमराज ने उसे एक वरदान दिया, जिसके कारण सत्यवान का जीवन उसे वापस करना पड़ा क्योंकि सत्यवान के बिना सावित्री 100 पुत्रों की माता नहीं बन सकती थी।
इसके अलावा यह भी धार्मिक मान्यता है कि बरगद के पेड़ में देवताओं का वास होता है। बरगद की जड़ में भगवान ब्रह्मा, छाल में भगवान विष्णु और शाखाओं में भगवान शिव निवास करते हैं। इस कारण से भी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम वनवास में थे, तब वे तीर्थराज प्रयाग में ऋषि भारद्वाज के आश्रम में गए थे। वहां उन्होंने वट वृक्ष की भी पूजा की। इसलिए बरगद के पेड़ को अक्षयवट भी कहा जाता है।
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