Thursday ,21st November 2024

ये है वो कलम का धनि पत्रकार जो भोपाल में फर्जी भतीजा के नाम से मशहुर है

ये है  वो कलम का धनि पत्रकार जो भोपाल में फर्जी भतीजा के नाम से मशहुर है 

राजेंद्र सिंह जादौन

लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार है ..

कभी भी कामयाब पत्रकार अथवा संवाददाता अपने आप जन्म नहीं लेता। वह पैदा नहीं होता, बल्कि पैदा किया जाता है, बनाया जाता है। पत्रकारिता में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ आवश्यक गुणों की आवश्यकता होती है, जिसके कारण वह किसी भी क्षेत्र में सफलताओं की सीढ़ियां चढ़ता रहता है। ये आवश्यक गुण कुछ इस प्रकार होने चाहिये ईमानदारी, साहस, धैर्य, सावधानी, बुद्धिमत्ता, विद्वता, मित्रता, दया, भरोसा, सामाजिक दर्द, जिज्ञासु होना उसके लिए जरूरी है। निरीक्षक, समीक्षक, आलोचक दृष्टि, कल्पना शक्ति, दूरदृष्टि, चतुरता, मुस्तैदी, प्रसन्नता, चालाकी, आशावादिता, विनोदीवृत्ति, सुरक्षात्मक दृष्टि आदि उसके व्यक्तित्व के लिए बेहद जरूरी हैं ।

व्हाट्सएप्प और फेस बुक पर अक्सर फर्जी चचा के चाय के बहाने फर्जी भतीजे की कलम से निकले तीखे सच ने मुझे उस पत्रकार से मिलने को मजबूर कर दिया और मैंने भी एक दिन फर्जी चचा के फर्जी पत्रकार भतीजे को लपक लिया .. सोशल मिडिया पर फर्जी चचा के फर्जी भतीजे के नाम से मशहूर और पत्रकारिता को एक मिशन की तरह देखने वाला प्रवेश गौतम मूलतः मध्य प्रदेश के सतना जिले के ब्राह्मण परिवार सेै हैं केमिकल इंजीनियरिंग के बाद बेंगलोर के एक कॉलेज से मार्केटिंग में एमबीए किया और फिर फर्जी भतीजे साहब यूएस की एक कंपनी में रीजनल मैनेजर इंडिया के पद पर कार्य करने लगे इसी बीच सतना में उनकी माता का स्वास्थ्य अचानक बिगड़ गया और इन कारणों से प्रवेश को मध्य प्रदेश वापस लौटना पड़ा , एक वर्ष तक इलाज के लिए माता को भोपाल शिफ्ट किया क्योंकि भतीजे मिया को जीवन चलाने के लिए नोकरी तो करनी ही थी सो बोरिया बिस्तर बाँध कर भतीजे साहब पहुच गये स्टार समाचार के दफ्तर मार्केटिंग की जॉब के लिए पर उनके भाग्य में तो कुछ और ही लिखा था, क्योंकि भतीजे साहब की अंग्रेजी अच्छी थी तो संपादक ने पंद्रह दिन का समय देते हुए इन फर्जी भतीजे साहब को एडिटोरियल टीम में बतौर पत्रकार शामिल कर लिया साहब ने भी पंद्रह दिनो में कलम का ऐसा जोर दिखाया की पंद्रह दिनो बाद ये सिटी टीम में परमानेंट पत्रकार बन गये बस फिर क्या था भतीजे साहब ने ऐसी छलांग लगाई की सारे पटिएबाज पीछे छूट गये और ये साहब आज कल अपनी एम बी ए मिक्स पत्रकरिता और अंग्रेजो से आजादी के बाद विरासत में मिली अंग्रेजी का हुनर भोपाल के कई  बड़े पत्रकारिता घराने को दिया है और अब ये अपनी खुद की एक न्यूज़ वेब चलते है  जिसका नाम है द करेंट स्टोरी ......

पत्रकारिता को मिशन के नजरिए से देखने वाले इस भतीजे से जब मेरी चर्चा हुई तो इन्होने अपनी वही मुस्तैदी दिखाते हुए कुछ इस अंदाज में पत्रकारिता का तीर छोड़ा .. रिपोर्टिंग करते समय समानता का पालन करना बहुत आवश्यक है। यदि आप किसी विवादास्पद विषय अथवा घटना की रिपोर्टिंग करने जा रहे हैं, तो आपका कर्तव्य है कि दोनों पहलुओं की रिपोर्टिंग करें। यदि कोई हड़ताल मनाई गई तो संवाददाता उस जगह पर जाते हुए हड़ताल कितनी सफल हुई, इसका लेखन यथार्थ के साथ करें। यदि किसी एक ही पक्ष का लेखन आप करेंगे तो आपके समाचार लेख में निष्पक्षता नहीं होगी। और पाठकों का विश्वास इस प्रकार आप खो देंगे और किसी भी समाचार में यथार्थता की बुनियादी जरूरत है। यदि आप यथार्थता को नजरअंदाज करेंगे तो आप पाठकों का विश्वास ग्रहण नहीं कर पाएंगे। इसलिए अपने लेख की जानकारियों तथा तथ्यों की बार-बार जांच करना आवश्यक है। नामों को, आंकड़ों तथा तथ्यों को शुद्धता के साथ लिखें। छोटी-छोटी गलतियों से बचे रहना भी आवश्यक है . और आज कल पत्रकारिता में पूरा सच कहीं भी नहीं है और पसरे हुए पूरे झूठ को ढूंढना मुश्किल नहीं। ऐसे में जरूरी हो जाता है मीडिया शिक्षा जो किसी को भी दी जा सकती है। सूचना क्रांति के इस विस्फोटक दौर में मीडिया के चरित्र और उसकी मजबूरियों को समझने के लिए कुछ प्रयास किए जाने चाहिए। जब तक ऐसा हो पाता है, तब तक एक आम दर्शक और पाठक को इतना तो जान ही लेना चाहिए कि वह जो देखे-पढ़े, उस पर विश्वास करने से पहले अपनी समझ को भी इस्तेमाल में लाए। सीधा मतलब यह कि अगर वह खुद भी थोड़ा पत्रकार बन सके तो कोई हर्ज नहीं। यह किसने कहा कि हथियार की समझ तभी बढ़ानी चाहिए, जब खुद के पास हथियार हो।

तो भाईजान फर्जी चचा के इस फर्जी पत्रकार भतीजा प्रवेश गौतम को मेरी शुभ कामना की उनकी ये हथियार रूपी कलम इसी तरह धार से चलती रहे और करेप्शन नामक बीमारी को आयुर्वेदिक दावा की तरह काम करते हुए जड़ से ख़त्म करती चले ..

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