दिल्ली: इस बार दिल्ली विधानसभा चुनावों में कुल 699 उम्मीदवारों में से 28 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने 50 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति घोषित की है. पांच उम्मीदवारों के पास 100 करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति है.
भारत में चुनावों में धनबल की अहमियत देखनी हो तो उम्मीदवारों के हलफनामों में दिलचस्प कहानियां मिल जाती हैं. दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार भी कई धनी उम्मीदवार नजर आ रहे हैं.
एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने 699 उम्मीदवारों के हलफनामों का आकलन कर पता लगाया है कि एक प्रतिशत यानी पांच उम्मीदवार अरबपति हैं. ये सभी उम्मीदवार दिल्ली की प्रमुख पार्टियों के सदस्य हैं.
बीजेपी के 68 में से तीन, कांग्रेस के 70 में से एक और आम आदमी पर्टी के भी 70 में से एक उम्मीदवार ने 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति घोषित की है. इसके अलावा बीजेपी ने आठ, कांग्रेस ने सात और आम आदमी पार्टी ने छह ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है जिन्होंने 50 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति घोषित की है.
699 उम्मीदवारों की कुल संपत्ति 3,952 करोड़ पाई गई. यह केंद्र सरकार की स्मार्ट शहर योजना पर होने वाले सालाना खर्च से भी ज्यादा है. प्रति उम्मीदवार औसत संपत्ति का मूल्य है 5.65 करोड़.
कौन है सबसे धनी उम्मीदवार
2020 के चुनावों के समय औसत संपत्ति 4.34 करोड़ थी. इसकी अगर दिल्ली के आम आदमी की औसत कमाई से तुलना करें तो यह कम से कम 100 गुना ज्यादा है. 2023-24 में दिल्ली सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली में सालाना प्रति व्यक्ति आय 4.61 लाख रुपये थी.
दिल्ली के पांच सबसे धनी उम्मीदवारों में से दो बीजेपी से हैं. शकूर बस्ती से चुनाव लड़ने वाले करनैल सिंह सबसे धनी उम्मीदवार हैं. उनकी कुल संपत्ति है 259 करोड़ रुपये.
दूसरे नंबर पर हैं राजौरी गार्डन से चुनाव लड़ने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा. उनकी कुल संपत्ति है 248 करोड़ रुपये. इनके अलावा बीजेपी के परवेश साहिब सिंह के पास 115 करोड़, कांग्रेस के गुरचरण सिंह के पास 130 करोड़ और ‘आप' की धनवंती चंदेला के पास 109 करोड़ रुपये की संपत्ति है.
आधे उम्मीदवार ग्रेजुएट
सभी उम्मीदवारों में 46 प्रतिशत (322) उम्मीदवार ऐसे हैं जो ग्रेजुएट हैं. 18 उम्मीदवारों के पास डिप्लोमा है. छह ने खुद को बस साक्षर बताया है और 29 ने खुद को अशिक्षित बताया है.
56 प्रतिशत उम्मीदवारों (394) की उम्र 41 से 60 साल के बीच है. 28 प्रतिशत 25 से 40 साल के हैं. 15 प्रतिशत उम्मीदवारों की उम्र 61 से 80 साल है. 80 साल से ऊपर के भी तीन उम्मीदवार हैं.
उम्मीदवारों में लैंगिक गैर बराबरी साफ दिखाई दे रही है. सिर्फ 14 प्रतिशत उम्मीदवार (96) महिलाएं हैं. 2020 में कुल उम्मीदवारों में महिलाओं की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत थी.
कई उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले
एडीआर के मुताबिक 19 प्रतिशत उम्मीदवारों (132) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. 12 प्रतिशत उम्मीदवार (81) गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा आप (29) के सदस्य हैं. कांग्रेस के 13 और बीजेपी के नौ हैं.
एडीआर के मुताबिक गंभीर मामले वे होते हैं, जिनमें पांच साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान है. इनमें मारपीट, हत्या, अपहरण, बलात्कार, भ्रष्टाचार, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध जैसे मामले शामिल हैं.
2020 में गंभीर मामलों वाले उम्मीदवारों की संख्या 15 प्रतिशत थी, यानी इनकी संख्या में गिरावट आई है. 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि भारत की राजनीतिक पार्टियां अगर आपराधिक रिकॉर्ड के लोगों को उम्मीदवार बनाती हैं, तो उन्हें लिखित में बताना होगा कि वो बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार को क्यों नहीं चुन सकीं. पार्टियों ने अभी तक यह जानकारी दी है या नहीं इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है
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