Wednesday ,22nd January 2025

नर्मदा के परम तपस्वी संत दादा गुरु का नीलकंठ में आगमन, भक्तों ने किया भव्य स्वागत

नीलकंठ घाट पर मां नर्मदा की महा आरती दादा गुरु ने प्रवचन के माध्यम से श्रद्धालुओं को नर्मदा भक्ति का महत्व समझाया

कन्हैया राठौर भैरूंदा 

सीहोर जिले के भैरूंदा तहसील क्षेत्र स्थित नर्मदा तट नीलकंठ में शुक्रवार को नर्मदा परिक्रमा पर निकले परम तपस्वी संत दादा गुरु का भव्य स्वागत किया गया। दादा गुरु, जो पिछले चार वर्षों से निराहार रहकर केवल नर्मदा जल पर ही आश्रित हैं, अपनी तीसरी नर्मदा परिक्रमा पर निकले हुए हैं। उनके आगमन पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन उनकी एक झलक पाने और सत्संग प्रवचन सुनने के लिए उमड़ पड़े।
दादा गुरु की यह नर्मदा परिक्रमा उनकी साधना और तपस्या का जीवंत उदाहरण है। वह अपने संपूर्ण जीवन को नर्मदा मैया के प्रति समर्पित कर चुके हैं। बताया जाता है कि दादा गुरु ने अपने जीवन का हर पल नर्मदा सेवा में लगाया है। वह निरंतर पैदल परिक्रमा कर रहे हैं, और इस दौरान किसी भी प्रकार के आहार का सेवन नहीं करते, सिर्फ नर्मदा जल पर निर्भर रहते हैं। यह तपस्या भक्तों के लिए एक अद्भुत प्रेरणा और रहस्य का विषय बनी हुई है।
शुक्रवार को दादा गुरु छीपानेर सातदेव टिगाली से नीलकंठ घाट पहुंचे। वहां पहुंचने पर ग्राम पंचायत सरपंच सहित स्थानीय भक्तों ने पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर दादा गुरु के साथ सैकड़ों परिक्रमा वासी भी थे, जो उनके साथ इस पवित्र यात्रा में शामिल हैं। नीलकंठ घाट पर मां नर्मदा की पूजा-अर्चना और महाआरती का आयोजन किया गया। इस दौरान दादा गुरु ने अपने प्रवचनों से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक मार्गदर्शन दिया और नर्मदा मैया के प्रति भक्ति और समर्पण का संदेश दिया।
दादा गुरु के सत्संग और प्रवचन सुनने के लिए आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन नीलकंठ पहुंचे। उनका प्रवचन सुनकर भक्तगण भावविभोर हो उठे और अपने जीवन में नर्मदा सेवा के प्रति प्रेरित हुए। दादा गुरु की यह यात्रा मार्ग उनकी साधना और नर्मदा मैया के प्रति उनके अनन्य प्रेम को दर्शाता है। उनका तप और नर्मदा परिक्रमा का यह तीसरा अभियान एक अनूठी आध्यात्मिक यात्रा है, जो हजारों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र बनी हुई है।

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