नरेश टिकैत नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन का बड़ा चेहरा हैं. लेकिन ये तेवर उन्हें विरासत में मिले हैं. उनका परिवार हमेशा किसानों के हक में खड़ा रहा है और पहले भी कई बार सरकार की आंखों में चुभता रहा है. जिस तरह का आंदोलन इन दिनों दिल्ली की सीमा पर चल रहा है, ठीक वैसे ही आंदोलन का नेतृत्व तीन दशक पहले नरेश टिकैत के पिता महेंद्र सिंह टिकैत ने किया था. मौजूदा किसान आंदोलन कई महीनों से चल रहा है. इस दौरान कड़ाके की सर्दी में कई प्रदर्शनकारियों की मौतें हुईं, पुलिस से टकराव हुआ, इंटरनेट बंद किया गया और किसानों के कुछ धड़े आंदोलन से अलग भी हुए. लेकिन 51 साल के नरेश टिकैत अपने रुख पर कायम हैं. एक वीडियो में उन्हें आंखों में आंसुओं के साथ यह कहते हुए सुना जा सकता है, "अगर ये कानून वापस नहीं लिए गए तो राकेश टिकैत आत्महत्या कर लेगा." उनके इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया. किसान आंदोलन के समर्थकों में एक नए उत्साह का संचार हुआ. वीडियो गाजीपुर बॉर्डर पर बना था जिसमें टिकैत कह रहे हैं कि वे इस जगह को खाली नहीं करेंगे. सभा में उनके भाषण के बाद अगले दिन हजारों लोग अपने ट्रैक्टर और ट्रॉली लेकर धरना स्थल पर पहुंच गए. आंसुओं का असर वीडियो देखने के बाद उत्तर प्रदेश के एक किसान गिरिराज सिंह भी गाजीपुर बॉर्डर के लिए निकले. लेकिन वह सड़कों पर खड़े किए गए अवरोधों और रास्ते बंद किए जाने से घंटों तक जूझते रहे. वह कहते हैं, "उस दिन टिकैत नहीं, बल्कि सब रोए थे." हरियाणा से आए एक किसान कुलदीप त्यागी कहते हैं, "यह आंदोलन का फिर जन्म होने जैसा था." नवंबर से किसान दिल्ली के बाहरी इलाकों में धरने पर बैठे हैं. कई दौर की वार्ताओं के बावजूद सरकार उन्हें नहीं मना पाई है. स्थिति इतनी गंभीर है कि इसे 2014 में सत्ता आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सबसे बड़ा संकट बताया जा रहा है. किसानों का कहना है कि वे कानूनों को वापस लिए जाने तक डटे रहेंगे. नए कानूनों के तहत किसान मुक्त बाजार में अपनी फसल बेच पाएंगे, जबकि किसान सरकार की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी चाहते हैं. किसानों का कहना है कि नए कानून उन्हें बड़ी बड़ी कंपनियों का मोहताज बना देंगे. लेकिन सरकार का कहना है कि नए कानूनों से कृषि के क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा और इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी. भारत में दो तिहाई लोग किसी ना किसी तरह खेती बाड़ी के काम में ही लगे हैं. किसानों का आंदोलन अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियां बटोर रहा है. पॉप सुपरस्टार रिहाना और जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग ने किसानों के समर्थन में ट्वीट किए हैं, जिसका मोदी समर्थकों ने तीखा विरोध किया है. कई अभिनेताओं और खिलाड़ियों ने इसे भारत के अंदरूनी मामलों में दखल बताया.
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