Sunday ,19th May 2024

मध्य प्रदेश पुलिस में पनपता भ्रष्टचार औऱ कर्जे में डूबी सरकार ?

मध्य प्रदेश पुलिस वैसे तो देश मे नम्बर वन पुलिस है लेकिन अधिकारियों ,नेताओ की चाकरी में राज्य सेवा के जवान और अला अधिकारी सरकार को करोड़ों का चुना लगा रहा है मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारियों के बंगले पर लगे हुए कर्मचारी ट्रेड आरक्षक जोकि मध्य प्रदेश सरकार से आरक्षक से लेकर एएसआई स्तर तक के है (इनमें  आरक्षक ड्राइवरों को नहीं जोड़ा गया है) कर्मचारी बंगलो पर चाकरी कर रहे हैं जिससे मध्य प्रदेश पुलिस को करोड़ों का चुना लग रहा है जबकि यही काम अगर आउट सोर्स से भर्ती कर युवाओं से कलेक्ट्रेट रेट के संविदा कर्मचारीयो से कराया जाए तो काफी कम खर्चे में यह काम हो सकता है और 4000 बेरोजगार लोगों को रोजगार भी मिल सकता है आपको बता दें कि आज दिनांक में 4076 ट्रेड आरक्षक पुलिस विभाग में कार्यरत हैं जिसमें से आरक्षक से लेकर एएसआई स्तर के अधिकारी हैं जोकि 27000 से लेकर 68000 तक का वेतन प्राप्त करते हैं अब आपको ले चलते हैं सीधे आंकड़ों पर जिससे आपको पता चलेगा कि कैसे सरकार के आईपीएस ऑफिसर लगा रहे हैं करोड़ों का चूना जबकि सरकार हमेशा प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला देकर कर्मचारियों के वेतन भत्ते आदि की बढ़ोतरी नहीं करती है आपको बताते हैं मध्य प्रदेश पुलिस मान लो कि 4076 आरक्षक से लेकर एएसआई तक का वेतन का एवरेज ₹45000 के हिसाब से ही निकाल लेते है तो क्योंकि कि मध्य प्रदेश पुलिस में आरक्षक से लेकर इंस्पेक्टर को 13 माह का वेतन प्रदाय किया जाता है तो 
45000*4076=
183420000/ (अठारह  करोड़ चौतीस लाख बीस हजार ) एक माह माह में खर्च 183420000*13=
2384460000 (दो सौ अड़तीस  करोड़ चवालिस लाख साठ हजार रुपए) एक वर्ष में खर्च
क्योंकि जो काम मध्य प्रदेश पुलिस के ट्रेड आरक्षक कर रहे हैं वह कोई भी आउटसोर्स संविदा या कलेक्टर रेट पर कर्मचारीयो से से ₹9000(कलैक्टर रेट) एक व्यक्ति के लागत पर करवाया जा सकता है जिसमें होने वाला खर्च लगभग 3 गुना कम होगा 9000*4000=36000000 (तीन करोड़ साठ लाख रुपए एक महीना)
36000000*12=432000000 ( तिरतलीस करोड बीस लाख रुपए) 1 वर्ष में होने वाला खर्च 
 2384460000 (ट्रेड आरक्षक)
 432000000  (क्लेक्टररेट)
 1952460000 (दोनो में अंतर)  एक सौ पिंच्यांवे करोड़ चौबीस लाख साठ हजार का अंतर अब आप ही समझिए मध्य प्रदेश पुलिस अपने अफसरों पर कितना पैसा खर्च कर रही है सिर्फ उनके ऐसो आराम और उनके घर कर्मचारी उपलब्ध कराने में ही करोड़ो रुपए का खर्च हो रहा है जबकि यह काम काफी कम रूपयो में हो सकता है और मध्य प्रदेश पुलिस में सीधे-सीधे 4000 कर्मचारियों का बल एक साथ बढ़ सकता है एक तरफ मध्यप्रदेश शासन सरकार कर्मचारियों के वेतन भक्तों को लेकर हमेशा बजट का रोना रोती है और एक तरफ करोड़ों रुपए अरबों रुपए अधिकारियों के आन बान और शान में उड़ाए जा रहे हैं ? नतीजा सरकार कर्जे में है ,बेरोजगारी के कारण युवा फाँसी के फंदे पर या तालाब के किनारे खड़ा है ? प्रदेश में गरीब भूख से मर राह है ? औऱ अधिकारी करोड़ो की जमीन और बंगेले खरीद रहे है ?

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