Sunday ,19th May 2024

एक था टाईगर , टाईगर ज़िंदा है ये सब पुराने टाईटल है अब है भोपाल पुलिस के तीन टाईगर ।

एक था टाईगर , टाईगर ज़िंदा है ये सब पुराने टाईटल है अब है भोपाल पुलिस के तीन टाईगर

झोला छाप ख़बरी की कलम से

भोपाल - अपने अजय देवगन की फिल्म सिंघम जरूर देखि होगी और उसमे पुलिस  के एक किरदार से वकीप भी होंगे लेकिन हम ना तो सिंघम फिल्म के किरदार की बात कर रहे है नहीं सलमान की फिल्म के टाईटल की हम बात कर रहे भोपाल पुलिस के उन तीन टाइगरों की जो अपने शिकार पर निकलने के बाद कभी ख़ाली हाथ नहीं लौटते जिनकी ज़िन्दादिली और मिलनसार व्यवाहर साथ ही गरीब और मज़लूमो के लिए किसी मासिया से कम नहीं।

भोपाल पुलिस के पहले टाईगर का नाम है सुधीर अरजरिया जिनकी कार्य प्रणाली और पुलिसया अनुभा अपने आपमें एक कबीले तारीफ है। गरीबो के लिए मसीहा और धन्ना सेठो को उनका रुतबा ,पहचन की हककीगत याद दिलने वाले इस थाना प्रभारी के आगे अगर चलता है तो सिर्फ और सिर्फ पुलिसिया कानून अपनी के अनूठी कार्य प्रणाली के धनि इस थाना प्रभारी ने भोपाल में कई थानों में अपनी एक अलग जगह जनता के दिलो में बनाई है बुन्देल खंड के इस फिट के थाना प्रभारी का रुतबा भी गज़ब का है। गरीबो पर अगर किसी ने अत्या चार या किसी प्रकार का प्रहार किया तो फिर सुधीर उन्हें सालको के पीछे पहोचने किसी की नहीं सुनते फिर कितना भी रुतबे वाला क्यों ना हो इसी कार्य प्रणाली के चलते सुधीर गरीबो के दिलो में राज करते है।इस भोपाल पुलिस टाईगर के दहाड़ के आगे आरोपी के पैसे रुतबे और पहचान सब एक ही वार में दम तोड़ देती है और इसकी शिकारी आंखे उस शिकार को पूरी तरह एक्सरे कर झपटा मार कर उसे उसकी असली जगह समाज में बता देती है।

                      भोपाल पुलिस के दूसरे टाईगर का नाम है सुधेश तिवारी इस थाना प्रभारी की रफ़्तार इतनी तेज़ है की जुर्म करने वाला कितना भी छुपले और कितना भी अवैध गोरख धंधा करले इस टाईगर की  रफ़्तार उसे  ढूंढ ही लेती है। सुदेस की कार्य प्रणाली और कार्य शैली का अंदाज़ गज़ब का है इनकी मुकबरी इतनी खतरानक है की इनकी रफ़्तार के आगे कितना भी बड़ा और शातिर क्रमिनल हो वो बच नहीं सकता। प्यारे मिया के बरसो में खड़े किये साम्राज्य को मिंटो में ध्वस्त करने वाले इस टाईगर के पंचे की झपट इतनी खतरनाक है की सामने वाले शिकार को एक ही पंजे में कलेजा बहार निकलने पर मजबूर कर देती है।

सुधेश तिवारी की रफ़्तार के आगे ना तो अवैध शराब माफिया टिक सके नहीं फरारी काटने वाले शातिर बदमाश इसकी सिमा में जो भी घुसा वो इनकी रफ़्तार और इनके पंजो से बच नहीं सका चम्बल के इस टाईगर ने भोपाल में अच्छे से अच्छे खां मिया को अपने पंजे की झपट और रफ़्तार से दबोच कर उसका साम्राज्य ख़त्म कर दिया।

                भोपाल पुलिस का तीसरा टाईगर  है संजीव कुमार चौकसे इस थाना प्रभारी की मासूम और चुलबुली शक्ल के पीछे एक जासूस ,कम्प्यूटर से भी तेज़ दीमंग वाला पुलिस वाला छुपा है। थाना प्रभारी संजीव कुमार चौकसे उन केसो को सुलझाते है जिसकाआरोपी कोई भी सुबूत नहीं छोड़ता संजीव की मस्तिष्क गति के आगे शातिर से शातिर अपराधी को उनके पुलिसिया पंजो के आगे घुटने टेकने ही पड़ते है। विदिशा में भी संजीव अपना कमल 2015 में दिखा चुके है जिसे लेकर उन्हें केन्द्री ग्रह मंत्री पदक सम्मन से सम्मनित किया गया है।

इस टाईगर की सोच और समझ दारी युवाओ को भी प्रेरणा  देती है। और उन्हें हमेशा ये सिखाती है की युवा देश का भविष्य है उन्हें जुर्म का रास्ता नहीं चुनना चाहिये।संजीव कुमार चौकसे अपने जासूसी कार्य प्रणाली और अपने दिमांग का इस्तमाल कर के कई अनसुलझी फलियों को सुलझाने की काबलिय रखते है। ये टाइगर अपने शिकार को गहरी से गहरी खाई से निकाल कर उसे ढूंढ कर मजलूम और पीड़ितों को न्याय दिलाने क़ानूनी कब्र में आरोपी को भेजने  की काबलिय रखता है।

भोपाल पुलिस को ऐसे जाबाज़ टाइगरों पर गर्व है और वो अपना सीना ताने इनकी कमांड में मुजरिमो को साफ़ करने खड़ी है ऐसे जबाजो को मेरा एक सालम बनता है। जयहिंद जय भारत

 

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