Sunday ,19th May 2024

झोलाछाप डॉक्टरों की मंडी बना भोपाल, स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी से उठ रहे सवाल

झोलाछाप डॉक्टरों की मंडी बना भोपाल, स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी से उठ रहे सवाल
 
 
क्या झोला छाप डॉक्टर माफिया नहीं हैं?

भारत भूषण विश्वकर्मा 

      संवाददाता 

 

भोपाल । एक ओर जिला प्रशासन भू माफिया, मिलावट माफिया सहित अपराधियों पर लगातार कार्यवाही कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ शहर में झोला छाप डॉक्टर भी माफिया की शक्ल ले रहे हैं । अयोग्य चिकित्सकों द्वारा भोपाल में अनिवार्य योग्यताओं व नियम कायदों को ताक पर रखकर गरीबों की जिंदगी से खिलवाड़ लगातार जारी है वाबजूद इसके स्वास्थ विभाग व जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा अबतक कार्यवाही नही किया जाना कई संदेह पैदा करता है । शहर की तंग गलियों से लेकर मुख्य बाज़ारों तक झोलाछाप (गैर अहर्ताधारी) डॉक्टरों की भरमार बढ़ती ही जा रही है । आलम यह है कि एक-एक गली में आधा आधा दर्जन क्लीनिक बेखौफ संचालित हो रहे हैं, बिना योग्य डिग्री के भी हर छोटे और बड़े मर्ज का इलाज इनके यहां होता है । कई स्थानों पर इन झोलाछाप डॉक्टरों ने अपनी क्लीनिक पर एम बी बी एस, एम डी, और सर्जन डॉक्टरों के नाम भी लिखवा रखे हैं, बिना किसी परीक्षण के मरीजों का इलाज करने वाले ये फ़र्ज़ी डॉक्टर इलाज के दौरान मरीज़ की हालत बिगड़ने पर हाथ खड़े कर देते हैं । किसी के नुकसान की इनको कोई परवाह नहीं है, इन झोलाछाप डॉक्टरों का लक्ष्य सिर्फ नोट बटोरना होता है । आए दिन गरीब तबके के लोग इन डॉक्टरों के शिकार हो रहे हैं, जिससे उनकी जान पर बन आती है । पूर्व समय में भी  ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें गैर योग्यता प्राप्त  झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से मरीजों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़े हैं, यहां तक कि कई मरीजों की मृत्यु होने की स्थिति में भी इन झोलाछाप डॉक्टरों को ही परिजनों द्वारा दोषी ठहराया गया है । इसके बावजूद भी ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं । शहर की गली आैर मुख्य सडकों पर क्लीनिक खोले झोलाझाप डाॅक्टरों में से अब तक केवल कुछ ही डाॅक्टरों के खिलाफ कार्रवार्इ की गर्इ है, इसके बाद से कार्यवाही खानापूर्ति बनकर रह जाती है । यहीं कारण है कि झोलाझाप डाॅक्टर स्वास्थ्य विभाग से जरा भी नहीं डरते।

_झुग्गी आैर गांव वाले गरीब होते हैं इनके शिकार_

झाेलाझाप डाॅक्टरों का शिकार शहर काम करने वाले मजदूर आैर गांव में रहने वाले गरीब लोग हो रहे हैं, ये लोग इन डाॅक्टरों से 20 से 50 रुपये में दवार्इ ले लेते हैं। जिसका खामयाजा कर्इ बार उन्हें अपनी मौत को गले लगाकर चुकाना पडता है। अब तक एेसे कर्इ मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें झोलाझाप डाॅक्टरों की दवार्इ से लोग अपनी जान तक गंवा चुके हैं।

_स्वास्थ्य विभाग का भी नहीं है कोर्इ खौफ_

शहर के पिछड़े इलाकों, झुग्गियों व गांवों में सैकड़ों की संख्या में झोलाछाप डॉक्टर क्लीनिक चला रहे हैं । उन्हें पता है कि विभाग कभी छापेमारी करने नहीं आएगा चूंकि विभागीय अधिकारियों के साथ उनकी सांठ-गांठ रहती है। किसी शिकायत पर अगर छापेमारी हो भी जाती है तो इसकी जानकारी इन्हें पहले ही मिल जाती है। अवैध क्लीनिकों के अलावा ऐसे मेडिकल स्टोर भी सैकड़ों की संख्या में चल रहे हैं जो नियमोँ को पूरा नही करते । कई मेडिकल स्टोरों पर नाबालिग बच्चो द्वारा दवा का विक्रय किया जा रहा है, तो कहीं फार्मासिस्ट ही दुकान में मौजूद नहीं है । मुनाफे के रूप में नोटों के चंद टुकड़े कमाने के लालच में कई मेडिकलों से ही उपचार भी किया जा रहा है । यही नहीं इन मेडिकल स्टोर पर उन दवाइयों को भी आसानी से लिया जा सकता है जिन पर प्रतिबंध लगा है । बिना वैध चिकित्सीय पर्चों के सभी प्रकार की दवाओं का बेचना इनके लिए आम बात हो चली है ।

_इन जगहों पर है सबसे ज्यादा झाेलाझाप डाॅक्टर_

झोला छाप डॉक्टरों का यह गोरखधंधा पुराने भोपाल के पिछड़े क्षेत्र छोला, भानपुर, शिवनगर, कल्याण नगर, आरिफ नगर, सुभाष नगर, शाहजहानाबाद, टीला जमालपुरा, गांधीनगर, बैरागढ़, करोंद, द्वारका नगर, चाँदबढ़, निशातपुरा, गोविंदपुरा, सेमरा, नरेला संकरी सहित शहर की सीमा में पनप रहा है ।

झापेमारी से पहले ही मिल जाती है जानकारी

सूत्रों का दावा है कि किसी झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ जब भी किसी के द्वारा शिकायत पर छापेमारी की कार्यवाही की जाती है तो इससे पहले ही उन्हें इस छापेमारी की जानकारी मिल जाती है। इसी का फायदा उठाकर ये झोलाछाप डाॅक्टर अपनी दुकान बंद कर मौके से गायब हो जाते हैं।

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