Sunday ,19th May 2024

सावधान भोपाल, दिल्ली के नक्शेकदम पर !

सावधान भोपाल, दिल्ली के नक्शेकदम पर !

डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल 

 हमारे विकास का पैमाना क्या होना चाहिए ? रोटी  ,कपड़ा ,मकान ,नौकरी  बढ़िया हेमामालिनी जैसी चिकनी सड़कें ,गगनचुम्बी बिल्डिंग्स , ओवर ब्रिज ,स्मार्ट सिटी आदि आदि .इससे क्या होता हैं ?इससे हमारी प्रतिष्ठा बढ़ती हैं ,इज़्ज़त बढ़ती हैं ,शहरवासी सीना तान कर चलते हैं ,ये सब हमारे गौरव को बढ़ाते हैं .हम यबकुछ कह सकते हैं जैसे ये हमारी बड़ी भव्य भवन हैं ,बड़ा आलीशान हाल हैं ,बड़ी सुन्दर संग्रहालय हैं बढ़िया मेट्रो जिसकी भोपाल जैसे शहर में कोई उपयोगिता नहीं बी आर टी एस के कारण आवागमन कष्टकारी और मौतों का निमंत्रण अधिक. वाहनों की  अनुपातहीन वृद्धि इन सबका आधार /मूल पेड़ों की कटाई,वर्षो तक निर्माण होने से आवागमन में  खुदाई जिससे धूल का होना और प्रदुषण फैलना .
                           ऐसे विकास से क्या फायदा जो हमारी मौत को आसान बनाये .जिसके दूरगामी प्रभाव से रोगों की अधिकता और स्वास्थ्य विभाग का लोक निर्माण विभाग करने लगा .बात अटपटी जरूर लग रही होंगी पर यह समाचार क्या हमारे लिए पर्याप्त आधार नहीं हैं .भोपाल में ३ साल में ख़राब हुई हवा की गुणवत्ता ,धूल कणों की संख्या डेढ़ गुना बढ़ी.
                            राजधानी में बीते तीन बरसों में हवा में मौजूद बारीक धूल कणों की संख्या में वृद्धि होना ,लगातार पेड़ों का कटना ,शहर में चलने वाली खुदाई ,निर्माण और भवनों का विनष्टीकरण के कारणवर्ष २०१८ में  शहर के परिवेशीय हवा में पीएम् -१० का औसत स्तर १३५ माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर और पीएम -२.५ का औसत ५९ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा था .श्वसन योग्य अच्छी हवा में पीएम -१० का स्तर ५० माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर   और पीएम -२.५ कास्त्र ३० माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक नहीं होना चाहिए .
                           भोपाल में लगातार धूल (पीएम -१०ौर २.५ )का बढ़ने का सबसे बड़ा कारण अधोसंरचना परियोजनाओं के कारण चल रही खुदाई और निर्माण कार्य हैं .पेड़ों की घटती संख्या भी इसके लिए जिम्मेदार हैं .जिन सडकों पर गढ्ढे या शोल्डर ख़राब हैं ,इन इलाकों में धूल अधिक बढ़ रही हैं .
                               ये सब बातें सरकार की तरफ से कही जा रही हैं जो घातकता की निशानी हैं .इसमें सबसे बड़ा योगदान किसका हैं ,सरकार का नहीं ! विकास का हैं क्योकि हमको विकासशील से विकसित होना हैं और विकास का होना अनिवार्य हैं ,क्योकि ये भवन मनुष्य की आयु से बड़ी उम्र की होंगी .मनुष्य ,जीव जंतु जिन्होंने भी जन्म लिया हैं उनका मरण होना निश्चित  हैं और हम विकासशील से विकसित होने के लिए भवन,सडकों का होना अतिआवश्यक हैं ,मनुष्य /जनता तो मरने के लिए ही होती हैं ,कब तक जिन्दा रहेंगे ,इस तरह के विकास से मानव बीमार होगा कारण उसे एलर्जी ,श्वाश रोग ,हृदय रोग ,गढ्ढों के कारण फ्रैक्चर होना ,आदमी को पूरा आराम मिलेगा ,वैसे मनुष्य सबसे अधिक कर्मशील जानवर हैं .सब जानवर जंगल में अपना पूरा विकास बिना प्रकति के नुकसान पहुचाये करते हैं पर मानव जैसे जानवर सबको नष्ट कर अपना विकास करते हैं .
                                  कौन नहीं चाहता विकास पर जो विकास आगामी काल में हमारे लिए प्राणघातक बने उससे अच्छा धीरे धीरे  सम्रग चिंतन से विकास करे .आगामी ठण्ड माह में हमें इसके दुष्परिणाम भोगने तैयार रहना होगा ,और इसके कारण व्यापारियों को अभी से ऑक्सीजन मास्क का स्टॉक रख लेना चाहिए और हमारे शहर के डॉक्टर्स इसकी सलाह देंगे और उस समय मास्क की कमी होकर ब्लैक में बिकेंगे .और विशेष दवाये भी लगेगी .सरकार के विकास में जनता का धन स्वास्थ्य सुधार में अधिक जायेगा .सरकारी खरीदी से खरीददारों को फायदा होगा .
                                इसमें किस को दोषी माना जाए ,सरकार, ठेकेदार. जनता दोषी जनता रहेंगी कारण जनता राजधानी में क्यों रहना चाहती हैं .और मालूम हैं की यह समस्या आने वाली हैं तो देहली जैसे जनता को अपने पलायन का स्थान ढूंढ लेना चाहिए .
                               विकास करना जरूरी हैं ,क्योकि हम प्रगति शील हैं.
                               विकास करने के लिए विनाश होना जरूरी हैं 
                               विकास में एक स्थान में परिवर्तन होता हैं 
                                परिवर्तन तो करना ही होगा 
                                मनुष्य  जानवर, जंगल  जल, वायु पृथ्वी आकाश और अग्नि 
                               ये सब निःशुल्क मिलती हैं 
                               मनुष्य के निर्माण में क्या लागत लगती हैं 
                                  कुछ नहीं 
                               खेल खेल में बिना इच्छा के जन्म लेता हैं 
                               फिर 
                               उसको दुनिया छोटी लगने लगती हैं 
                               सावधान होना जरुरी हैं 
                                अन्यथा बिना उसके भी मरना हैं और 
                                 उसके कारण मरना होगा .

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