Sunday ,19th May 2024

सरकार को इस बात का गर्व होता है कि वह शराबखोरी के धंधे को पनपा रही

सरकार को इस बात का गर्व होता है कि वह शराबखोरी के धंधे को पनपा रही

 

                                                                                     हिन्दुस्तानी राजसी ठाठ के किरदार रिश्वत खाने के रेकॉर्ड तो तोड़ ही चुके हैं. पूरी दुनिया में भारतीय राजनेता भ्रष्टाचार के मामले में लगभग सबसे ऊंची पायदान पर हैं. अनापशनाप दौलत कमाने के कारण उनकी शाही शानोशौकत भी जनचर्चा में सबसे अधिक शामिल है. आजादी की लड़ाई में खादी की मुख्य भूमिका थी. उस जनयुद्ध में हिन्दुत्व और कॅम्युनिस्ट शक्तियों को प्रतिनिधित्व करते लोग शामिल नहीं थे. फिर भी वे स्वदेशी और सादगी के जीवन के पक्षधर थे. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का स्वदेशी से सीधा रिश्ता रहा है. कम्यून में बेहद सामान्य जीवन जीते कम्युनिस्ट नेता भी आज भी अंशतः उस परंपरा को कायम रखे हुए हैं.
                                                                                          दो बड़ी सत्ताधारी पार्टियों कांग्रेस तथा भाजपा के नेता तथा कई बड़े प्रादेशिक क्षत्रप अमीरी की सियासत को ढोते फूल कर कुप्पा होते रहते हैं. जयललिता की साड़ियां और सैंडिलें, मायावती की चंदाखोरी, लालू यादव की चाराखोरी, टू जी स्कैम, राष्ट्रमंडल खेल, कोल स्कैम तथा अन्य घोटालों के जरिए राजनेताओं ने अपना एक अलग उपवर्ग तैयार कर लिया. अपनी ऐशगाह में बैठे नेताओं ने भोजन तक का चालचलन और चरित्र बिगाड़ने में कोताही नहीं बरती है. पहले नहीं होता था. अब जहां देखो वहां रोजाअफ्तार की पार्टियां हो रही हैं. इस्लाम की पवित्रता से किसी को लेना देना नहीं रह गया है. इन पार्टियों में वैभव और फूहड़ प्रदर्शन का मुकाबला होता है. बड़े दिन पर ईसा मसीह के चरित्र पर कोई बात नहीं होती. रात भर शराब की पार्टियां चलती हैं. नाच और हुड़दंग की धींगामस्ती होती है. सत्य के शहीद के चारों ओर नेताओं के झूठ का लिहाफ होता है. वासनाएं भी होती हैं. हर धर्म ने शराबखोरी की मुमानियत की है. फिर भी इन सरकारी और निजी पार्टियों में खुले आम शराब पिलाई जाती है. सरकार को इस बात का गर्व होता है कि वह शराबखोरी के धंधे को पनपा रही है.

                               शरद पवार ने गन्ना कारखानों के लिए विदर्भ के किसानों की जमीनों की सिंचाई का पानी पी लिया. उन्होंने केन्द्रीय मंत्री के रूप में यह भी कहा कि भारत के गरीब बहुत खाने लगे हैं. इसलिए अनाज महंगा हो गया है. राजनीति की बिसात पर उन्हें पद्मविभूषण दिया गया है. अमेरिका भी कहता रहा कि भारतीय खाते बहुत हैं. जबकि औसत अमरीकी सबसे ज्यादा खाता है.
                             उस महादेश को मालूम है कि भारत दुनिया के सबसे कुपोषित देशों में है. चालीस प्रतिशत अबादी को तो ठीक से भोजन तक नसीब नहीं है. हैम्बरगर, पिजा, मटन चॉप, बिरयानी और मुर्गमुसल्लम खाने वाले अमीर मुल्क भारतीय भूखों का अंतर्राष्ट्रीय मजाक उड़ा रहे हैं. हमारे नेता हैं कि फिर भी गाफिल हैं. अधिकांश को डायबिटीज, रक्तचाप, हृदयरोग और तनाव की बीमारियां हैं. फिर भी केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी की बेटी की शादी में सौ करोड़ खर्च होने का चर्चा है

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