Sunday ,19th May 2024

अब 1 जुलाई से लागू हो सकेगा जीएसटी

अब 1 जुलाई से लागू हो सकेगा जीएसटी

देश की लोकसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चार विधेयकों की मंजूरी मिल गयी. इसी के साथ देश ने नई ऐतिहासिक कर प्रणाली की ओर कदम बढ़ा दिये हैं. सरकार की लक्ष्य जीएसटी कानून को 1 जुलाई से लागू करना है.

देश में 'वस्तु एवं सेवा कर' (जीएसटी) के मुद्दे पर संघ और राज्य करों से जुड़े चार विधेयक सात घंटे की चर्चा के बाद और वोटिंग के जरिए पारित किये गये. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट कर कहा, "यह आजादी के बाद किया गया ऐतिहासिक कर सुधार है और हम सभी के लिए एक ऐतिहासिक दिन भी है."

लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे कर सुधार की दिशा में उठाया गया एक छोटा कदम बताया है. लोकसभा की मंजूरी के बाद अब इन विधेयकों को राज्यसभा के समक्ष पेश किया जायेगा. सरकार और कारोबारी वर्ग देश में नई कर व्यवस्था को लागू करने के लिये लंबे समय से प्रयास कर रहे थे. कारोबारी जगत को उम्मीद है कि जीएसटी कानून के लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था में 1.5 से 2 फीसदी की तेजी आयेगी. हालांकि सरकार को अब भी कुछ खास वस्तुओं और सेवाओं पर कर की दरें तय करनी है.

लोकसभा में चर्चा के दौरान सवाल उठा कि नई कर व्यवस्था संसद के अधिकारों के साथ समझौता हो सकती है. जिसके जवाब में जेटली ने कहा कि ये विधेयक कराधान के मामले में संसदीय अधिकारों के साथ समझौता नहीं करते. उन्होंने बताया कि टैक्स की दर की सिफारिश का अधिकार जिस परिषद को दिया गया है, उसे संसदीय कानून के तहत ही बनाया गया था.

जेटली ने कहा है कि जीएसटी कानून से जुड़े सभी मसलों को लेकर संसद और राज्य विधानसभाओं की सर्वोच्चता बनी रहेगी. उन्होंने साफ किया कि मुआवजा भी उन ही राज्यों को दिया जायेगा, जिन्हें जीएसटी लागू होने से नुकसान हो रहा हो. लेकिन यह मुआवजा भी शुरुआती पांच साल के लिये ही होगा. उन्होंने साफ किया कि केंद्र सरकार इस मसले में राज्यों पर अपनी राय थोपने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है, इसीलिये जीएसटी परिषद में कोई भी फैसला लेने में केंद्र का वोट केवल एक तिहाई है जबकि दो तिहाई वोट राज्यों के पास है.

प्रस्तावित कानून में कर की दरें 5 से 28 फीसदी के दायरे में रखी गई हैं लेकिन अभी यह तय नहीं किया गया है कि किस प्रकार की वस्तुओं पर कर की ये दरें लागू होंगी. मौजूदा व्यवस्था की खामियों के चलते टैक्स जमा करवाने में लगातार कमी आ रही थी और स्थानीय संरक्षणवाद को बढ़ावा मिल रहा था. इसलिये कारोबारी जगत लंबे समय से जीएसटी की मांग कर रहा था.

Comments 0

Comment Now


Total Hits : 278015